किसानों ने तोडा डबवाली का बॉडर,दिल्ली के दरवाजे तक पुहचा किसानों का काफिला, आखिरकार झुकने को मजबूर हुई सरकार
डबवाली न्यूज़ डेस्क
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का काफिला पुलिस द्वारा लगाए गए बेरीकेट्स को तोड़ता हुआ दिल्ली के दरवाजे तक पहुंच गया है। किसानों के बढ़ते आंदोलन को देखते हुए आखिरकार सरकार को भी झुकना पड़ा और किसानों को दिल्ली में एंट्री करने की इजाजत दे दी है। बठिंडा रोड पर पुलिस ने तीन लेयर में बैरिकेडिंग कर रखी थी। फिर ट्रकों को बैरिकेड की तरह लगाया गया। आखिर में वाॅटर कैनन तैनात थी। इतने इंतजाम होते हुए भी भारी पुलिस बल किसानों को नहीं रोक पाए। जैसे ही किसानों ने पुलिस को चेतावनी देते हुए कहा कि साढ़े 11बजते ही हम बेरीकेट्स तोड़ कर दिल्ली के लिए कूच कर देंगे। किसानों को चेतावनी के बाद पुलिस बल की अगुवाई कर डाईसपी डबवाली ने पुलिस बल को हर स्थिति से निपटने के तेयार रहने के निर्देश दिए।जैसे ही साढ़े 10 बजे का टाइम हुआ तो किसानों की भीड़ पूरी तरह उग्र हो गई और उन्होंने बेरीकेट्स उखाड़ दिए और आगे निकल गए । मोका पर मौजूद फायर ब्रिगेड की गाड़ी जैसे ही पानी छोड़ने को तैयार हुई तो किसानों उन्हें चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसानों पर पानी छोड़ा तो वह गाडियो को पलट देंगे। प्रशासन द्वारा पानी छोड़ने के निर्देश नहीं दिए गए। आप को बता दे की कृषि सुधार कानूनों के विरोध में दिल्ली की तरफ कूच करने वाले किसानों का काफिला शुक्रवार को डबवाली में पंजाब हरियाणा सीमा पर हरियाणा पुलिस के नाकों को तोड़कर आगे बढ़ गया। किसानों ने 26 नवंबर को डबवाली में धरना दिया गया था, जिस दौरान देर शाम को ऐलान किया था कि वह 27 नवंबर को सुबह 11 बजे नाके तोड़कर आगे बढ़ेंगे। इस कारण हरियाणा पुलिस भी 11 बजे किसानों को रोकने की तैयारी करने लगी। लेकिन युवा किसानों ने सवा दस बजे ही नाकों को तोड़ दिया। किसानों के प्रदर्शन के कारण डबवाली चौराहे की मुख्य सड़कें पिछले दो दिनों से बंद थी। उनको अब खोला गया है।
किसान जैसे ही आगे बढ़ने लगे तो नाके पर तैनात हरियाणा पुलिस ने उनको रोकने के लिए काफी यत्न किए। लेकिन करीब 440 पुलिस के जवान बड़ी संख्या में आ रहे किसानों को रोक नहीं पाए। नतीजा, किसान जंजीरों से बंधे बैरिकेड को तोड़ने के अलावा सड़क पर रखे बड़े-बड़े पत्थरों को साइड में करते हुए आगे निकल गए। हरियाणा पुलिस की ओर से एक दिन पहले धान से भरे खड़े किए गए ट्रकों को पहले ही हटा लिया गया था। किसानों ने जब बैरिकेड तोड़े तो हरियाणा पुलिस न तो कोई लाठीचार्ज कर सकी, न ही वाटर कैनन चला सकी। जबकि मौके पर एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड की गाड़ी, वाटर कैनन को भी तैनात किया गया था। इसको लेकर हरियाणा पुलिस के डीएसपी कुलदीप बैनेवाल ने बताया कि किसान गिनती में ज्यादा होने के कारण आगे बढ़ सके। हालांकि पुलिस ने उनको रोकने के लिए काफी यत्न किए, लेकिन वह सफल नहीं हो सके।
किसान जब बैरिकेड तोड़कर आगे निकल गए तो सड़क पर लंबा जाम लग गया। किसानों की जो ट्रालियां पहले निकली थी, वह सिरसा तक भी पहुंच गई थी। जो डबवाली से 50 किलोमीटर की दूरी पर है। मगर डबवाली से वाहनों का दिल्ली की तरफ जाना जारी था। किसानों ने सवा दस बजे बैरिकेड तोड़े थे। किसानों का काफिला साढ़े 12 बजे तक आगे बढ़ता रहा। वहीं पुलिस का नाका निकलने के बाद सड़क पर पड़े बड़े-बड़े पत्थरों को किसान हाथों से ही साइड में कर रहे थे, जिनको बाद में हरियाणा पुलिस ने जेसीबी की मदद से हटाया। किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस की चार कंपनियों में 440 मुलाजिमों को तैनात किया था। किसानों की गिनती 30 हजार के करीब थी, जो उनको रोक नहीं सकी। यहां तक कि किसान डबवाली से दिल्ली के लिए करीब दो हजार ट्रैक्टर ट्रालियों समेत अन्य वाहनों से दिल्ली की तरफ रवाना हुए।
ट्रालियों में ही किया सोने का प्रबंध
डबवाली से किसान ट्रैक्टर ट्रालियों में रवाना हुए। उनके द्वारा एक महीने का राशन पहले से ही इकट्ठा किया गया है। एक ट्रैक्टर के पीछे दो ट्रालियों को लगाया गया है। इसके चलते एक ट्राली में तो राशन का प्रबंध है तो दूसरी ट्राली में किसानों के सोने का प्रबंध किया गया है। इस धरने में सबसे बड़ी खासियत तो यह रही कि युवा किसानों के साथ-साथ महिलाओं ने भी बड़ी गिनती में भाग ले रही हैं। बठिडा से नौ जिलों के किसान दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं। किसानों का एक ही मुद्दा है कि कैसे खेती कानून को रद करवाया जाए। इसके अलावा किसानों द्वारा लंगर का प्रबंध भी दिन रात के लिए किया गया है। वहीं जब सभी वाहन चले गए तो किसानों ने अपनी दरियां आदि उठाई। दो घंटे तक जब सभी वाहन नहीं गए थे तब तक स्टेज पर गीतों को चलाया गया।
Source Link The farmers broke the border of Dabwali, the convoy of farmers called to the doors of Delhi, finally the government was forced to bow down


किसान जैसे ही आगे बढ़ने लगे तो नाके पर तैनात हरियाणा पुलिस ने उनको रोकने के लिए काफी यत्न किए। लेकिन करीब 440 पुलिस के जवान बड़ी संख्या में आ रहे किसानों को रोक नहीं पाए। नतीजा, किसान जंजीरों से बंधे बैरिकेड को तोड़ने के अलावा सड़क पर रखे बड़े-बड़े पत्थरों को साइड में करते हुए आगे निकल गए। हरियाणा पुलिस की ओर से एक दिन पहले धान से भरे खड़े किए गए ट्रकों को पहले ही हटा लिया गया था। किसानों ने जब बैरिकेड तोड़े तो हरियाणा पुलिस न तो कोई लाठीचार्ज कर सकी, न ही वाटर कैनन चला सकी। जबकि मौके पर एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड की गाड़ी, वाटर कैनन को भी तैनात किया गया था। इसको लेकर हरियाणा पुलिस के डीएसपी कुलदीप बैनेवाल ने बताया कि किसान गिनती में ज्यादा होने के कारण आगे बढ़ सके। हालांकि पुलिस ने उनको रोकने के लिए काफी यत्न किए, लेकिन वह सफल नहीं हो सके।
किसान जब बैरिकेड तोड़कर आगे निकल गए तो सड़क पर लंबा जाम लग गया। किसानों की जो ट्रालियां पहले निकली थी, वह सिरसा तक भी पहुंच गई थी। जो डबवाली से 50 किलोमीटर की दूरी पर है। मगर डबवाली से वाहनों का दिल्ली की तरफ जाना जारी था। किसानों ने सवा दस बजे बैरिकेड तोड़े थे। किसानों का काफिला साढ़े 12 बजे तक आगे बढ़ता रहा। वहीं पुलिस का नाका निकलने के बाद सड़क पर पड़े बड़े-बड़े पत्थरों को किसान हाथों से ही साइड में कर रहे थे, जिनको बाद में हरियाणा पुलिस ने जेसीबी की मदद से हटाया। किसानों को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस की चार कंपनियों में 440 मुलाजिमों को तैनात किया था। किसानों की गिनती 30 हजार के करीब थी, जो उनको रोक नहीं सकी। यहां तक कि किसान डबवाली से दिल्ली के लिए करीब दो हजार ट्रैक्टर ट्रालियों समेत अन्य वाहनों से दिल्ली की तरफ रवाना हुए।
ट्रालियों में ही किया सोने का प्रबंध
डबवाली से किसान ट्रैक्टर ट्रालियों में रवाना हुए। उनके द्वारा एक महीने का राशन पहले से ही इकट्ठा किया गया है। एक ट्रैक्टर के पीछे दो ट्रालियों को लगाया गया है। इसके चलते एक ट्राली में तो राशन का प्रबंध है तो दूसरी ट्राली में किसानों के सोने का प्रबंध किया गया है। इस धरने में सबसे बड़ी खासियत तो यह रही कि युवा किसानों के साथ-साथ महिलाओं ने भी बड़ी गिनती में भाग ले रही हैं। बठिडा से नौ जिलों के किसान दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं। किसानों का एक ही मुद्दा है कि कैसे खेती कानून को रद करवाया जाए। इसके अलावा किसानों द्वारा लंगर का प्रबंध भी दिन रात के लिए किया गया है। वहीं जब सभी वाहन चले गए तो किसानों ने अपनी दरियां आदि उठाई। दो घंटे तक जब सभी वाहन नहीं गए थे तब तक स्टेज पर गीतों को चलाया गया।
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