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फर्जी फर्मों के चेन पर पुलिस की चोट,19 करोड़ के टैक्स घोटाले के तीन आरोपी गिरफ्तार

डबवाली न्यूज़ डेस्क 
फर्जी फर्में बनाकर सरकार को करोड़ों रुपये की चपत लगाने वाले फर्जी फर्मों के सरगनाओं के खिलाफ पुलिस ने अपनी कार्रवाई शुरू कर दी है। एक वर्ष पहले 7 जनवरी 2019 को लगभग 19 करोड़ के टैक्स घोटाले के आरोप में दर्ज एफआईआर पर पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन्हें सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। फर्जीबाड़े में गिरफ्तार किए गए लोगों के सरगना अनुपम सिंगला और सरगना पदम बांसल से तार जुड़े होने की बात सामने आ रही है। वर्णनीय है कि सिरसा शहर पुलिस ने 7 जनवरी 2019 को कराधान विभाग की शिकायत पर बरनाला रोड पर वेलकम पैलेस के सामने मैसर्ज कंबोज ब्रदर्स के संचालक अविनाश पुत्र श्याम सुंदर निवासी भंभूर, अजय विहार के सामने जेई कालोनी स्थित मैसर्ज मिमांशु ब्रदर्स के संचालक मिमांशु सिंगला पुत्र संजीव कुमार सिंगला निवासी बांसल कालोनी सिरसा व पालिका बाजार ऐलनाबाद स्थित मैसर्ज ठाकुर इंडस्ट्रिज के संचालक राहुल कुमार पुत्र सुनील दत्त निवासी चत्तरगढ़पट्टी सिरसा के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पुलिस ने कराधान विभाग के तत्कालीन ईटीओ प्रताप सिंह की शिकायत पर भादंसं की धारा 420, 467, 468, 471, 468, 120बी के तहत मामला दर्ज किया था। विभाग की ओर से दी गई शिकायत में बताया कि आरोपियों ने फर्जी बिलिंग दर्शाकर सरकार को 18 करोड़ 95 लाख 67 हजार 178 रुपये की चपत लगाई। एक साल पहले दर्ज इस मामले को अब पुलिस ने सिरे चढ़ाया। पुलिस ने मामले के तीनों आरोपियों को पिछले सप्ताह गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है। 

सरगनाओं के मोहरें!

लगभग 19 करोड़ के टैक्स चोरी के मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी पूरे खेल के महज मोहरें बताए जाते है। जबकि असली सूत्रधार दूसरे ही है। सूत्र बताते है कि फर्जी फर्मों के सरगनाओं ने इन्हें भी अपना शिकार बनाया और इनका नाम और दस्तावेज का इस्तेमाल करके फर्जी फर्में बनाई और उन फर्मों के माध्यम से कारोबार दर्शाया। बताया जाता है कि असल जिंदगी में आरोपी आरओ रिपेयर, बैट्री मरम्मत और मोबाइल सिम बेचने का काम करते थे। इन लोगों को भी सरगनाओं की ओर से झांसा दिया गया कि उन्हें अल्प समय में मोटी कमाई होगी। जिसके बाद यह गेम खेली गई, जिसमें ये लोग आरोपी बनकर सामने आए। 

सिंगला से जुड़े है तार!

सूत्र बताते है कि करोड़ों रुपये के घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किए गए तीनों लोग फर्जी फर्मों के रैकेट का संचालन करने वाले अनुपम सिंगला से जुड़े थे। अनुपम सिंगला इन दिनों पुलिस की हिरासत में है। उसके द्वारा 7672 करोड़ के फर्जी बिलों के माध्यम से 660 करोड़ के फ्राड का आरोप है। जीएसटी इंटेलिजेंस ने अनुपम सिंगला को गिरफ्तार करके इस रैकेट का पर्दाफाश किया था। जीएसटी इंटेलिजेंस अनुपम सिंगला से 32 करोड़ से अधिक रिकवरी भी कर चुकी है। अनुपम सिंगला के खिलाफ वर्ष 2018 में तत्कालीन डीईटीसी डा. वीके शास्त्री ने पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई थी। जीएसटी इंटेलिजेंस ने अनुपम सिंगला के दिल्ली स्थित आवास से 110 डेबिट कार्ड, 173 बैंक खाते, ट्रांसपोर्ट की फर्जी बिल्टियां, कई सिम कार्ड व पहचान पत्र बरामद किए थे।

विभागीय अधिकारी ही खोलेंगे राज

फर्जी फर्मों के खेल के राज कराधान विभाग के नामजद अधिकारियों से ही उगलवाने होंगे। नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह द्वारा मामले में संज्ञान लेते हुए एसआईटी का गठन किया था। उनके ही दिशा-निर्देश पर तीन दर्जन फर्मों और आधा दर्जन अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए थे। संभवत: एसआईटी ने अपना काम शुरू कर दिया होगा। मामले में यदि एसआईटी द्वारा कराधान विभाग के नामजद अधिकारियों की गिरफ्तारी कर उनके राज उगलवाए जाए, तो पुलिस का काम आसान हो जाएगा। चूंकि जो अधिकारी करोड़ों रुपये के घोटाले में नामजद है, वे पूरे मामले का खुलासा कर सकते है। पुलिस के समक्ष उन्हें राज उगलने ही होंगे। ऐसे में पुलिस के लिए काम भी आसान होगा और पूरे गिरोह का आसानी से पर्दाफाश भी हो सकेगा।

फर्जी फर्मों का सिरसा में है मायाजाल

सिरसा फर्जी फर्मों के मामले में कुख्यात है। चूंकि देशभर में फर्जी बिलों की डिमांड सिरसा से ही पूरी की जाती है। सिरसा से ही फर्जी फर्मों का खेल शुरू हुआ था, जिसने पूरे देश में अपना जाल फैलाया। फर्जी फर्मों के खेल से ही कुछ लोग अल्प समय में करोड़पति बन गए और उन्होंने अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया। इस पूरे खेल में न केवल कराधान विभाग के भ्रष्ट अधिकारी लिप्त थे। बल्कि अनेक बैंकों की भूमिका भी संदिग्ध है। बैंकों ने दूसरे के नाम से खाते खोलें और इन खातों को सरगनाओं ने आपरेट किया। इसके साथ ही फर्जी फर्में बनाने में जो दस्तावेज प्रयोग किए गए, उन दस्तावेजों को विभिन्न विभागों ने बिना तस्दीक किए जारी किया। फर्जी फर्मों के सरगनाओं ने अपने इस खेल में अपने ड्राइवर, माली, सेवादार जैसे लोगों को मोहरा बनाया। उन्हें 5-10 हजार रुपये मासिक अतिरिक्त देने का झांसा देकर उनके नाम से फर्में बनाकर सरकार से करोड़ों रुपये का रिटर्न हासिल किया। कानून की नजर में आज वे ही लोग आरोपी है, जिनके नाम से फर्में बनी।

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