कराधान विभाग के अधिकारियों ने फर्जी फर्मों को जारी किए थे 12670 करोड़ कीमत के 21623 सी-फार्म
डबवाली न्यूज़ डेस्क
फर्जी फर्मों के माध्यम से प्रदेशभर में घोटाले को अंजाम दिया गया। कराधान विभाग के अधिकारियों द्वारा फर्जी फर्मों को 21623 सी-फार्म जारी किया जाना पाया गया। जिनकी कारोबारी कीमत 12670 करोड़ 19 लाख 695 रुपये आंकी गई है।इतने बड़े स्तर पर हुई धांधली के मामले में कराधान विभाग हरियाणा की ओर से जांच बैठाई गई। जांच का जिम्मा रेंज अधिकारियों को सौंपा गया। जिसमें हिसार, अंबाला, गुरुग्राम, फरीदाबाद और रोहतक शामिल है। रेंज अधिकारियों की ओर से मामले में जिला के ही अधिकारियों को जांच में शामिल कर डाला। परिणाम स्वरूप जिस जांच को जून-2020 में पूरा हो जाना चाहिए था, वह छह माह अधिक बीत जाने पर भी लंबित है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि फर्जी फर्मों का पोषण कराधान विभाग में ही हुआ होगा? विभागीय अधिकारियों ने ही फर्जी फर्मों के सरगनाओं को स्पोर्ट की और उनकी मदद से ही करोड़ों रुपये की टैक्स चोरी को अंजाम दिया गया।जानकारी के अनुसार आबकारी एवं कराधान विभाग हरियाणा द्वारा फर्जी फर्मों द्वारा इस्तेमाल किए गए सी-फार्मों की जांच की। पड़ताल में पाया गया कि प्रदेशभर में 21623 सी-फार्म ऐसी फर्मों को जारी किए गए जोकि फर्जी थी। ऐसे कराधान आयुक्त हरियाणा की ओर से विभागीय जांच के आदेश दिए ताकि उन अधिकारियों को चिह्नित किया जा सकें, जिनके द्वारा ये सी-फार्म जारी किए गए। ताकि विभाग द्वारा उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकें और उनसे नुकसान की रिकवरी की जा सकें। कराधान विभाग द्वारा मामले में रेंज अधिकारियों को 30 जून 2020 तक जांच पूरी करके रिपोर्ट देने के आदेश दिए। मगर, छह माह का अधिक समय बीत जाने पर भी अंतिम रिपोर्ट दाखिल नहीं की जा सकी है। चूंकि रेंज अधिकारियों की ओर से मामले में जिला में पदस्थ अधिकारियों को भी जांच में शामिल कर लिया। जिन अधिकारियों की सी-फार्म जारी करने में भूमिका थी, उन्हें ही जांच में शुमार किए जाने के कारण मामला आजतक लटका हुआ है और इसके जल्द निपटने के भी आसार नहीं है। दरअसल, ऐसा कौन-सा अधिकारी होगा जो स्वयं अपने सबूत देने को तैयार होगा? कौन अपने ही बारे में रिपोर्ट देगा? फर्जी फर्मों को जारी सी-फार्म के मामले में अपनी जवाबदेही तय करेगा? यही वजह है कि मामला आजतक लटका हुआ है। इससे भी बड़े अचरज की बात यह है कि कराधान विभाग हरियाणा द्वारा भी मामले में जांच रिपोर्ट को लेकर जवाब-तलबी नहीं की जा रही। यानि लेटलतीफी को स्वीकार किया जा रहा है। बताया जाता है कि यदि जांच निष्पक्ष रूप से आगे बढ़ेगी, तब इसकी लपटों से अनेक अधिकारियों के दामन भी बच नहीं पाएंगें। चूंकि मामले में संलिप्त अनेक अधिकारी पदोन्नत होकर उच्च पदों पर जा बैठे है, इसलिए वे जांच को प्रभावित करने की कोशिश में जुटे हुए है।
सिरसा के 349 सी-फार्म जांच के घेरे में
कराधान आयुक्त हरियाणा के आदेश पर प्रदेशभर में की जा रही जांच में सिरसा से जारी 349 सी-फार्म भी जांच के घेरे में है। आबकारी एवं कराधान विभाग सिरसा द्वारा इन सी-फार्म को जारी किया गया था। प्रदेश में सर्वाधिक 3939 सी-फार्म पानीपत में जारी किए गए। जबकि मेवात में सबसे कम 55 सी फार्म जारी हुए।
टैक्स चोरी में हरियाणा का चौथा स्थान
फर्जी फर्मों की वजह से ही हरियाणा टैक्स चोरी के मामले में देश में चौथे स्थान पर पहुंच गया। आबकारी एवं कराधान विभाग के ही कुछेक भ्रष्ट अधिकारी फर्जी फर्मों के पार्टनर का काम करने लगे। संसद में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा जो तथ्य रखे गए उसके अनुसार जुलाई-2017 से अगस्त-2020 की अवधि के तीन वर्षों में टैक्स की चोरी 1708 मामले दर्ज हुए। हरियाणा ने टैक्स चोरी के मामलों में पड़ौसी राज्यों पंजाब, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर व चंडीगढ़ को पीछे छोड़ दिया। वर्णनीय है कि देशभर में एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू हुई थी। इस अवधि में देशभर में हुई 93642 करोड़ की टैक्स चोरी हुई।
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