क्यूआर कोड में सेंधमारी का मामला,फर्जीबाड़े में दलालों से जुड़े तार
डबवाली न्यूज़ डेस्क
ड्राइविंग लाईसेंस के लिए ट्रेनिंग सर्टिफिकेट के क्यूआर कोड में छेड़छाड़कर सरकारी खजाने को चपत लगाने में मामले में दलालों की भूमिका सामने आई है। इन दलालों ने ही क्यूआर कोड में छेड़छाड़ की और बिना फीस की अदायगी के ही लोगों के लिए ड्राइविंग लाईसेंस के लिए आवेदन की फाइल आगे सरकाई। जिला उपायुक्त के आदेश पर की जा रही जांच में अनेक गड़बडिय़ां सामने आ चुकी है। जिसमें यह तथ्य सामने आया है कि पूरे खेल में दलालों की अहम भूमिका है। विभागीय स्तर पर अब सर्टिफिकेट की तस्दीक करने का कार्य किया जा रहा है। इसके साथ ही जिनके सर्टिफिकेट फर्जी पाए गए है, उन्हें तलब करने की तैयारी की जा रही है। सूत्रों के अनुसार विभिन्न सरकारी विभागों में दलालों के माध्यम से ही काम करने का पुराना सिलसिला है। भले ही सरकार की ओर से कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए कितने प्रयास क्यों न किए हों। ड्राइविंग लाईसेंस बनाने का काम भी बड़े स्तर पर दलालों के माध्यम से ही किया जाता है। इन दलालों की सरकारी बाबूओं से सेटिंग रहती है। ग्राहकों से फीस के अतिरिक्त शुल्क वसूला जाता है, जिसमें से बाबूओं को हिस्सा पहुंचाया जाता है। इस प्रक्रिया में सीट पर बैठे बाबू को रिश्वतखोरी में पकड़े जाने का भय भी नहीं रहता। दलालों के माध्यम से आने वाले काम को इसलिए भी जल्दी निपटाया जाता है। ई-दिशा केंद्र में हर समय दलालों की सक्रियता देखी जा सकती है। सीधे काम करवाने के लिए आने वाले को कई प्रकार के आब्जेक्शन लगाकर लौटा दिया जाता है। जिसके कारण लोग दलालों के माध्यम से काम करवाने को प्राथमिकता देते है। बताया जाता है कि क्यूआर कोड में फर्जीबाड़े में भी दलालों का हाथ है। इन दलालों ने ग्राहकों से फीस के 300 रुपये के अलावा अतिरिक्त शुल्क वसूल लिया और क्यूआर कोड की कॉपी करके अन्य रसीदें जनरेटर कर दीं। बाबूओं ने दलालों के माध्यम से आई फाइलों को आंख मूंदकर आगे बढ़ा दिया। हकीकत में जिन लोगों ने रेडक्रास से ट्रेनिंग ही नहीं ली, उन लोगों ने रसीदें पेश करके लाईसेंस प्राप्त कर लिया। बताया जाता है कि अब रिकार्ड को खंगाल कर ऐसे लोगों को चिह्नित किया जा रहा है, जिन्होंने दलालों के माध्यम से आवेदन किए। संभावना जताई जा रही है कि ऐसे लोगों को जारी लाईसेंस रद्द करने की अनुशंसा की जा सकती है। लेकिन कोशिश यह की जा रही है कि मामले को दबाया जाए।
ट्रेनिंग सेंटर पर आंच!
पूरे मामले में रेडक्रास सोसायटी का ट्रेनिंग सेंटर जांच के घेरे में आ रहा है। चूंकि रानियां बाजार स्थित सोसायटी के पुराने भवन में ट्रेनिंग सेंटर संचालित किया जा रहा है। यहां पर भरापूरा स्टॉफ है। सर्टिफिकेट जारी करने वाली एजेंसी यही कार्य करती है। ऑनलाइन फीस भरने का कार्य सोसायटी भवन के बाहर ही मुख्यत: किया जाता है। ऐसे में ट्रेनिंग सर्टिफिकेट में फर्जीबाड़े की वजह से शक की सुईयां ट्रेनिंग सेंटर पर है। फिलहाल एक-एक करके कर्मचारियों से पूछताछ की जा रही है और मास्टर माइंड को तलाशने की कोशिश की जा रही है।
अन्य जिलों से जुड़े है गिरोह के तार!
क्यूआर कोड में सेंधमारी करके सरकारी खजाने को चपत लगाने वाले गिरोह के तार न केवल सिरसा जिला तक सीमित है, बल्कि इसके तार अन्य जिलों से भी जुड़े हुए बताए जाते है। बताया जाता है जिस प्रकार सिरसा, डबवाली, कालांवाली, ऐलनाबाद में खेल खेला गया, ठीक उसी प्रकार फतेहाबाद, हिसार व अन्य जिलों में भी खेला गया है। इस गिरोह का पर्दाफाश किए जाने की जरूरत है।
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