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नगर परिषद की अंधेरगर्दी ! लाल डोरा एरिया में भी वसूली रही विकास शुल्क
डबवाली न्यूज़ डेस्क
सिरसा में नगर परिषद द्वारा अंधेरगर्दी मचाई हुई है। जिस एरिया में नगर परिषद विकास शुल्क वसूल नहीं सकती, उस एरिया में भी विकास शुल्क वसूलने का कार्य किया जा रहा है। जिसके कारण आम आदमी स्वयं को लुटा-पीटा हुआ महसूस कर रहा है। शहरी विकास विभाग हरियाणा द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए हुए है कि जो एरिया लाल डोरा में आता है, उस एरिया में विकास शुल्क न लिया जाए। सिरसा में तमाम बाजार लाल डोरा एरिया में आते है। ऐसे में इन बाजारों में भवन निर्माण के लिए विकास शुल्क नहीं वसूला जा सकता। नगर परिषद सिरसा द्वारा शहर के बाजारों में भवन निर्माण करने वालों से या जिन लोगों ने पुरानी प्रोपर्टी की रजिस्ट्री करवानी है, उन्हें एनओसी जारी करने की एवज में 120 रुपये बतौर विकास शुल्क वसूला जाता है। जबकि विभागीय आदेशों में स्पष्ट कहा गया है कि लाल डोरा एरिया में नगर परिषद विकास शुल्क नहीं वसूल सकती। सिरसा में तमाम बाजार जिनमें रोड़ी बाजार, हिसारिया बाजार, सूरतगढिय़ा बाजार, रानियां बाजाार, नोहरिया बाजार, सिटी थाना रोड, पुरानी सब्जी मंडी, चांदनी चौक व आसपास का एरिया लाल डोरे में आता है। इस वजह से इस एरिया में नगर परिषद विकास शुल्क नहीं वसूल सकती।इसके साथ ही शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा इस आशय के भी स्पष्ट आदेश जारी किए हुए है कि जिन एरिया में वर्ष 2003 से पहले विकास शुल्क नहीं वसूला गया, वहां पर विकास शुल्क नहीं वसूला जा सकता। इस आदेश के अनुसार शहर की पटेल बस्ती, ग्रेवाल बस्ती, लोहिया बस्ती, जेल ग्राऊंड, इंद्रपुरी मोहल्ला व पहले से आबाद कालोनियां शामिल है। इन कालोनियों में पहले विकास शुल्क वसूला नहीं गया था, ऐसे में इस आदेश के अनुसार अब इन कालोनियों में भी विकास शुल्क नहीं वसूला जा सकता। लेकिन नगर परिषद सिरसा में अंधेरगर्दी मची हुई है। न किसी नियम की पालना की जा रही है और न ही आदेशों की। हरेक से विकास शुल्क का तकाजा किया जा रहा है। बिना विकास शुल्क के न तो नक्शा पास किया जाता है और न नहीं एनओसी जारी की जाती है। जिसके कारण आमजन परेशान है।
स्वीकृत कालोनियों के लिए ये हैं नियम
सरकार द्वारा वर्ष 1993 में जिन कालोनियों को स्वीकृत किया गया था। उन कालोनियों में पहले से बने भवनों से विकास शुल्क नहीं वसूला गया। लेकिन इन कालोनियों में खाली पड़े प्लाटों पर निर्माण के लिए 120 रुपये प्रति गज की दर से विकास शुल्क अदा करना होगा। इसके साथ ही पहले बिना विकास शुल्क दिए किए गए निर्माण में अतिरिक्त निर्माण करना है, तब उसके लिए भी 120 रुपये प्रति गज की दर से विकास शुल्क देय है।
अनियमित कालोनियों में नहीं विकास शुल्क
सरकार द्वारा जिन कालोनियों को नियमित ही नहीं किया गया, उन कालोनियों में विकास शुल्क नहीं वसूला जा सकता। मामले में जिन कालोनियों को नियमित करने की पहले स्वीकृति देकर फिर स्वीकृति वापस ले ली गई थी। उन कालोनियों में भवन निर्माण के लिए प्लान ही स्वीकृत नहीं किए जाएंगें। अत: इन कालोनियों में विकास शुल्क न लेने की हिदायत दी गई थी।
एनओसी जारी करने की हिदायत
अनाधिकृत कालोनियों, जिनमें पहले ही बिल्डिंग प्लान स्वीकृत किए जा चुके है, उन एरिया में बिजली, पानी और सीवरेज के लिए एनओसी जारी करने की हिदायत दी गई थी। ताकि यहां रहने वाले लोग इन सुविधाओं का लाभ उठा सकें।
नए फरमान से बढ़ेगा बोझ
नगर परिषद द्वारा यूनिट नंबर लेने के लिए शुल्क में बढ़ोतरी कर डाली है। प्रोपर्टी की खरीद-बेच के लिए आजकल यूनिट नंबर अनिवार्य कर दिया गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नगर परिषद से यूनिट नंबर की मांग करने पर इसके लिए 500 रुपये की फीस निर्धारित कर दी गई है। इसके साथ ही प्लॉट की चारदीवारी और उसके आगे खड़े होकर फोटो खिंचवाने का फरमान जारी किया गया है।
प्रोपर्टी आईडी के लिए सुविधा शुल्क देने की मजबूरी
नगर परिषद में कछुआ गति से कार्य और जवाबदेही तय न होने की वजह से लोगों को प्रोपर्टी आईडी के लिए भी सुविधा शुल्क देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। परिषद में प्रोपर्टी आईडी केे लिए आवेदन करने पर दो-दो माह का समय लग रहा है, बताया जाता है कि सुविधा शुल्क देने पर तत्काल सेवाएं हाजिर है। जिन लोगों ने प्रोपर्टी की खरीद-बेच करनी है, वे प्रोपर्टी आईडी के लिए अधिक समय तक इंतजार नहीं कर सकतें। चूंकि इस काम के लिए किसी की जवाबदेही तय नहीं की गई है और न ही कोई सिस्टम ही बनाया गया है, इसलिए इस कार्य में भी जमकर अंधेरगर्दी मची हुई है!
विकास शुल्क लगता है : ऋषिकेश चौधरी
नगर परिषद के सचिव ऋषिकेश चौधरी ने बताया कि लाल डोरा एरिया में विकास शुल्क देय है। सरकार के आदेश है। लोगों को पुराने के स्थान पर नव निर्माण करने पर तथा व्यवसायिक प्रोपर्टी पर विकास शुल्क देना होगा। लाल डोरे में शामिल रिहायशी एरिया में रजिस्ट्री हेतु एनओसी जारी करने की एवज में विकास शुल्क नहीं लिया जाता। मगर, वे 120 रुपये की दर के औचित्य को स्पष्ट नहीं कर सकें। क्योंकि 120 रुपये विकास शुल्क रिहायशी क्षेत्र के लिए है, व्यवसायिक क्षेत्र के लिए पांच गुणा अधिक विकास शुल्क निर्धारित है। श्री चौधरी ने मामले में कार्यकारी अभियंता के पाले में गेंद डाल दी। उधर, कार्यकारी अभियंता ने अपना तबादला होने की बात कहकर पल्ला झाड़ दिया।
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9:00:00 PM
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क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई
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