क्यूआर कोड में छेड़छाड़ का मामला,सैकड़ों मामले ट्रेस, कार्रवाई बाकी

Dabwalinews.com
रेडक्रास की ट्रेनिंग फीस की फीस में धांधली के मामले की परतें उधड़ती जा रही है। सूत्रों की मानें तो अब तक जांच में सैकड़ों मामले ट्रेस किए जा चुके है, जिनमें क्यूआर कोड में छेड़छाड़ करके फीस का गबन किया गया था। लेकिन प्रशासन की ओर से मामले का भंडाफोड़ होने के बावजूद किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई है। जबकि मामला पुलिस जांच का बनता है। क्योंकि क्यूआर कोड में छेड़छाड़ एक आपराधिक कृत्य है और इसमें संलिप्त लोगों के खिलाफ पुलिस द्वारा जांच व पड़ताल किए जाने की आवश्यकता है। मामला सिरसा के अलावा डबवाली, कालांवाली व ऐलनाबाद में भी होने से मामले में किसी गिरोह के सक्रिय होने की आशंका बनी हुई है। वर्णनीय है कि जिला में एसडीएम कार्यालय द्वारा वाहन चालकों को ड्राइविंग लाईसेंस जारी किए जाते है। लर्नर लाईसेंस जारी करने से पहले वाहन चालक के लिए ट्रेनिंग जरूरी कर दी गई है। ट्रेंिनंग की जिम्मेवारी जिला रेडक्रास सोसायटी को दी गई है। रेडक्रास सोसायटी द्वारा ट्रेनिंग की एवज में 300 रुपये शुल्क वसूला जाता है। शुल्क प्राप्ति के बाद सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। जिसके आधार पर एसडीएम कार्यालय द्वारा आवेदक को लाईसेंस जारी किया जाता है। सिरसा सहित डबवाली, कालांवाली व ऐलनाबाद में पिछले कुछ माह में सैकड़ों लाईसेंस जारी किए गए, लेकिन उतनी संख्या में सरकारी खजाने में फीस जमा नहीं हुई। मामले की शिकायत उपायुक्त कार्यालय तक पहुंची। पड़ताल करने पर पाया गया कि ऑनलाइन वसूली गई फीस के समय जो क्यूआर कोड जनरेट होता है, उससे छेड़छाड़ करके अन्य आवेदकों की फीस प्राप्ति दर्शा दी और राशि का गबन कर डाला गया। मामले का खुलासा होने पर उपायुक्त कार्यालय, एसडीएम कार्यालय तथा रेडक्रास सोसायटी कार्यालय में अंदरूनी जांच पड़ताल शुरू हुई। सूत्र बताते है कि अकेले सिरसा में 300 से अधिक लाइसेंस ऐसे पाए गए है, जिनकी फीस के रूप में क्यूआर कोड में छेड़छाड़ की गई है। यानि इन आवेदकों से फीस तो वसूल ली गई लेकिन सरकारी खजाने में यह राशि जमा नहीं हुई। मामले में शक की सुई रेडक्रास सोसायटी की ओर घूम रही है। चूंकि रेडक्रास सोसायटी के उपायुक्त पदेन अध्यक्ष है। ऐसे में हो सकता है कि मामले की आंतरिक जांच ही की जाए।



सूत्र बताते है कि कोशिश यह भी की जा रही है कि एसडीएम कार्यालय पर ही गाज गिराई जाए। जबकि एसडीएम कार्यालय द्वारा अपनी सफाई पेश की जा रही है कि उनके कर्मियों की इसमें संलिप्तता नहीं है। बताया जाता है कि अब लाईसेंस बनवाने वाले दलालों को लपेटने की तैयारी की जा रही है। जो टाइपिस्ट लाईसेंस बनवाने का काम करते है, फर्जी क्यूआर कोड के लिए उन्हें जिम्मेवार ठहराने और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।

दूर ट्रेनिंग सेंटर भी एक वजह

फर्जी क्यूआर कोड का मामला उजागर होने के साथ ही रेडक्रास सोसायटी के ट्रेनिंग सेंटर को रानियां रोड स्थित पुराने भवन में शुरू किए जाने को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे है। बताया जाता है कि यहां पर दलाल सक्रिय है। इन दलालों द्वारा ऑनलाइन फीस जमा की जाती है। दलालों की ट्रेनिंग देने वाले लोगों से भी सेटिंग है। बरनाला रोड पर रेडक्रास का विशाल भवन होने के बावजूद इसलिए ट्रेनिंग सेंटर को दूर बनाया गया है ताकि किसी प्रकार की निगरानी न हों। वैसे ट्रेनिंग सेंटर दूर होने से ड्राइविंग लाईसेंस के आवेदकों को भारी परेशानी भी झेलनी पड़ती है।

एक छत के नीचे सुविधा देने का दावा हवा

लघु सचिवालय में ई-दिशा केंद्र का निर्माण ही इस उद्देश्य से किया गया था कि एक ही छत के नीचे अनेक सेवाएं प्रदान की जाएगी। लोगों को इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा। ई-दिशा केंद्र में कई प्रकार की सेवाएं प्रदान भी की जा रही है लेकिन लाईसेंस के लिए ट्रेनिंग फीस जमा करवाने के लिए उन्हें बाहर जाना पड़ता है। ट्रेनिंग के लिए भी शहर में 5 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। सवाल यह है कि जब ई-दिशा केंद्र में लाईसेंस के लिए आवेदन जमा होते है, फीस जमा होती है, तब ट्रेनिंग फीस भी वहीं क्यों नहीं वसूली जाती? क्यों गडबड़ी की गुंजाइश छोड़ दी जाती है?

जांच पर पर्दा क्यों?

क्यूआर कोड में फर्जीबाड़ा किए जाने का मामला सामने आ चुका है। सिरसा के अलावा अन्य कस्बों में भी इसका खुलासा हो चुका है। यानि सुनियोजित ढंग से सरकारी फीस का गबन किया गया है। सवाल यह है कि आखिर जांच पर पर्दा क्यों डाला जा रहा है? क्यों मामले की पुलिस जांच से बचने की कोशिश की जा रही है? सवाल यह है कि आखिर किसे बचाने के प्रयास किए जा रहे है? सैकड़ों मामले ट्रेस होने के बावजूद अब तक जिला प्रशासन की ओर से पुलिस में शिकायत तक नहीं की गई है, क्यों? जब पुलिस मामले की जांच करेगी, तब वह षड्यंत्र में शामिल अधिकारियों-कर्मचारियों अथवा दलालों को स्वयं ही बेनकाब कर देगी? जिन्होंने भी गबन किया है, उनसे वसूली करेगी और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्जकर उन्हें दंड दिलवाएगी? आखिर कब तक मामले को दबाने के प्रयास किए जाएंगें?

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