गांव दड़बी निवासी डा.रामजी के जीवन पर आधारित शार्ट फिल्म की गूंज ''बीफोर आई डाई' को मिला इंटरनेशनल अवार्ड
Dabwalinews.com
जिला के गांव दड़बी निवासी डा.रामजी के जीवन पर आधारित शार्ट फिल्म 'बीफोर आई डाईÓ ने अंतराष्ट्रीय पटल पर अपनी धाक जमाई है।विश्व पटल पर दस से अधिक प्लेटफार्म पर इस शार्ट फिल्म ने अपनी अमिट छाप छोड़ी, जबकि इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, उर्वटी में इस फिल्म नेे बेस्ट डोक्यूमेंटरी फिल्म का अवार्ड जीतने में सफलता हासिल की है। डा. रामजी के जीवन पर शार्ट फिल्म का निर्माण नकुलदेव ने किया था।गांव दड़बी के निवासी डा. रामजी को फ्लावरमैन के नाम से भी पहचाना जाता है। युवा क्लबों के माध्यम से समाजसेवा करने वाले डा. रामजी का कार्य क्षेत्र गांव दड़बी रहा है। जहां से उन्होंने विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाई। वे जिला परिषद के सदस्य भी चुने गए थे। उन्होंने दुनियाभर को खुश्बू से महकाने की ठानी और इस दिशा में अपना जीवन ही लगा दिया। उन्होंने गांव में फूलों की नर्सरी से कार्य शुरू किया और फूलों के पौधे सार्वजनिक स्थलों, सड़क किनारे लगाने का कार्य शुरू किया। उनके इस कार्य पर लोगों ने मजाक भी उड़ाया लेकिन धुन के पक्के डा. रामजी ने अपने जीवन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए लोगों की प्रतिक्रिया पर ध्यान नहीं दिया।समय के साथ उन्होंने लाखों पौधें रोंपने और उन्हें वितरित करने का अभियान शुरू कर दिया। वर्ष 2013 में एनजीओ 'आपसी' के माध्यम से यह सिलसिला आगे बढ़ा और अब वे पिछले कई सालों से कई लाख फूलों के पौधे तैयार करके उन्हें निशुल्क वितरित कर रहे है। उनके लगाए गए पौधे न केवल सिरसा और हरियाणा बल्कि चंडीगढ़, पंजाब, यूपी और दिल्ली में भी अपनी महक छोड़ रहे है। डा. रामजी हर वर्ष करोड़ों फू लों की पौध तैयार करते है और फिर उन्हें सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं को भेंट कर देते है। उनके द्वारा तैयार फूलों के पौधे जहां मंदिरों में खूश्बू देते है, वहीं श्मशानघाट पर भी। स्कूल-कॉलेजों में अपनी छटा बिखरते है तो सार्वजनिक पार्कों में। डा. रामजी के पर्यावरण के प्रति प्रेम और उनकी जीवन शैली से प्रभावित होकर विख्यात फिल्म मेकर नकुल देव ने उनके जीवन पर शार्ट फिल्म का निर्माण किया था। जिसकी शूटिंग गांव दड़बी में भी की गई थी। इस फिल्म को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिल में दिखाया गया, जिसने सुर्खियां बटोरी। आठ से अधिक इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिल में उनकी फिल्म 'बीफोर आई डाईÓ का आफिशियल सेलेक्शन हुआ, बल्कि एम्बुटस आर्ट फेेस्टिवल में यह फिल्म सेमी फाइनल में भी पहुंची। दिसंबर में उर्वटी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में इस फिल्म ने विजेता का खिताब हासिल किया। लगभग 24 मिनट की इस फिल्म के निर्माण में विख्यात फिल्म निर्माता नकुल देव को तीन वर्ष का लंबा अरसा लगा। उन्होंने फिल्म के माध्यम से डा.रामजी की सोच को पर्दें पर उतारने का काम किया। नकुल देव पेशेवर फिल्म निर्माण के कार्य में पिछले 17 वर्षों से कार्यरत है। इस फिल्म के माध्यम से यह सिद्ध हो गया कि यदि इरादे मजबूत हो और लक्ष्य ऊंचा हो तो अंतर्राष्ट्रीय दीवारें मायने नहीं रखतीं।
No comments:
Post a Comment