Delhi Police - की चेतावनी के बावजूद सरकार ने दी ट्रैक्टर परेड को इजाज़त-प्रेस रिव्यू




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दिल्ली में ट्रैक्टर रैली के हिंसक होने की चिंताओं के बावजूद केंद्र सरकार के स्तर पर इसे अनुमति दी गई थी. कई बैठकों में दिल्ली पुलिस ने इस तरह की चिंताएं व्यक्त की थी कि गणतंत्र दिवस को होने वाली इस परेड में हिंसा हो सकती है और परेड तय रास्ते से अलग भी जा सकती है. साथ ही ये भी कहा गया था कि दिल्ली में कानून-व्यवस्था की स्थिति भी पैदा हो सकती है लेकिन इसके बावजूद गृहमंत्रालय की ओर से ट्रैक्टर रैली निकालने की अनुमति दी गई.


इंडियन एक्सप्रेस अख़बार ने इस ख़बर को प्रमुखता से छापा है, जिसमें गृह मंत्रालय के अधिकारियों से बात की गई है.


ख़बर में बताया गया है कि दिल्ली पुलिस समेत कई ख़ुफ़िया एजेंसियों ने अलग-अलग मौक़ों पर सरकार को स्पष्ट जानकारी दी थी कि अगर दिल्ली में ट्रैक्टर घुसने दिए गए तो क़ानून - व्यवस्था की समस्या खड़ी हो सकती है.


लेकिन तमाम आशंकाओं और चिंताएं ज़ाहिर करने के बाद भी राजनीतिक स्तर पर ये फ़ैसला किया गया, क्योंकि गृह मंत्रालय ने आकलन किया था कि अगर किसानों को दिल्ली आने से रोका गया, तो वे ज़्यादा आक्रामक हो सकते हैं.


लेकिन ख़ुफ़िया एजेंसियाँ सरकार को लगातार चेतावनी देती रहीं कि अगर ऐसा किया जाता है, तो इसके क्या-क्या परिणाम हो सकते हैं. ट्रैक्टर रैली के रूट को लेकर किसानों की सरकार के साथ सहमति बनने के बाद भी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने कहा था कि बैरिकेडिंग तोड़कर शहर के अंदर घुसने के प्रयास किए जा सकते हैं.


गृह मंत्रालय के अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा है कि इस बात की आशंका थी कि प्रदर्शनकारियों का एक समूह शहर में घुसने का प्रयास कर सकता है.


ये अधिकारी कहते हैं, "इसी वजह से टिकरी, सिंघु, नांगलोई, गाज़ीपुर समेत कई जगहों पर भारी बैरिकेडिंग की गई थी. लोहे के बैरिकेड के साथ साथ सीमेंट के बैरिकेड इस्तेमाल किए गए थे. कहीं-कहीं पर ट्रेलर खड़े किए गए थे. गाज़ीपुर में सड़क रोकने के लिए एक सीमेंट से भरा कंटेनर रोड के बीचों-बीच रखा गया था लेकिन कुछ भी किसानों को रोक न सका."


इस ख़बर में ये भी बताया गया है कि जब किसान दिल्ली में घुस आए थे, तो दिल्ली पुलिस के पास ये इनपुट भी थे कि प्रदर्शनकारी राजपथ और लाल क़िले जा सकते हैं.


कुछ वरिष्ठ अधिकारियों ने ये भी बताया है कि ख़ुफ़िया एजेंसियों ने सोमवार को ही स्पष्ट रूप से बताया था कि कुछ असमाजिक तत्व पहले से तय रास्तों को छोड़कर नए रास्तों पर जाकर शांति व्यवस्था भंग कर सकते हैं.


साढ़े बाहर बजे दिल्ली पुलिस की स्पेशल ब्रांच की ओर से सभी डीसीपी और वरिष्ठ अधिकारियों को एक संदेश भेजा गया था जिसमें लिखा था - "इनपुट मिले हैं कि किसानों के ट्रैक्टरों के साथ राजपथ, इंडिया गेट, लाल क़िला, रामलीला मैदान, राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री आवास, गृह मंत्री आवास, मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल आवास पहुँचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता."


इंडियन एक्सप्रेस की ही एक अन्य ख़बर में बताया गया है कि दीप संधू नाम के एक फ़िल्म अभिनेता समेत कुछ अन्य लोगों ने किस तरह सिंघु बॉर्डर पर ट्रैक्टर रैली से कुछ घंटे पहले मंच पर क़ब्ज़ा जमा लिया था. इन लोगों ने ही सिंघु बॉर्डर पर 'अवर रूट, रिंग रोड' का नारा दिया था.



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1 फरवरी को पैदल मार्च करेंगे किसान


संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को दिल्ली के कुछ इलाक़ों में हुई हिंसा से ख़ुद को अलग करते हुए ऐलान किया है कि आगामी 1 फरवरी को संसद भवन की ओर पैदल मार्च तय कार्यक्रम के अनुसार ही आयोजित किया जाएगा.


अंग्रेजी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर के मुताबिक़, किसान नेताओं ने मंगलवार को हुई हिंसा के लिए कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं को ज़िम्मेदार ठहराया है.



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चीनी सीमा पर किया जाएगा निर्माण कार्य


इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़, केंद्र सरकार ने चीन के साथ जारी तनाव को ध्यान में रखते हुए चीनी सीमा से लगे इलाकों में निर्माण कार्यों के लिए 20 करोड़ रुपए आबंटित किए हैं.


ये निर्माण कार्य चीनी सीमा से लगे गाँवों में किए जाएंगे, जो पिथौरागढ़, चमौली और उत्तरकाशी ज़िलों में स्थित हैं. इन तीन ज़िलों की सीमाएँ चीन से लगी हुई हैं.


केंद्र सरकार ने 2020-21 के बजट में नेपाल और चीन से लगती हुई सीमाओं के लिए 42 करोड़ रुपए का कोष सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत आबंटित किया था.


Source Link - Government gave permission for tractor parade despite warning of Delhi Police - Press review

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