गोल्डन ऐरा स्कूल में भी मनाई गई लाला लाजपत राय की जयंती
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गोल्डन ऐरा स्कूल में आज लाला लाजपत राय की जयंती बहुत ही धूमधाम से मनाई गई, लाला लाजपत राय जयंती के बारे में बच्चों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया जिसमें बहुत सारे बच्चों ने हर्षोल्लास के साथ भागलिया ।कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह की प्रार्थना सभा के उपरांत ही किया गया जिसमें बहुत सारे बच्चों ने लाला लाजपत राय जी के जीवन पर आधारित भाषण पेश किए कुछ बच्चों ने लाला लाजपत राय का जीवन परिचय भी दिया।बच्चों द्वारा लाला लाजपत राय के जीवन परिचय पर आधारित प्रश्न भी पूछे गए ।कुछ बच्चे लाला लाजपत राय की वेशभूषा में भी आए ।स्कूल के प्रधानाचार्य द्वारा लाला जी के जीवन पर आधारित भाषण के दौरान बच्चों को बताया गया कि लाला लाजपत राय का जीवन 28 जनवरी 1865 को पंजाब के फिरोजपुर जिले के गांव दुधिके में हुआ। लाला लाजपत राय जैन धर्म से संबंधित थे।उन्होंने बच्चों को यह भी बताया कि लालाजी लाल- बाल- पाल में से एक थे।इन्हीं पंजाब केसरी के नाम से भी जाना जाता है इन्होंने पंजाब नेशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कंपनी की स्थापना भी की थी।स्वतंत्रता संग्राम में लाला जी के योगदान पर चर्चा करते हुए प्रधानाचार्य जी ने बताया कि जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के नेता थे उन्होंने सन 1928 में साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया था जिसमें भारतीयों का विरोध करते हुए अंग्रेजों द्वारा लाठीचार्ज किया गया एक लाठी लाला जी तेरे सिर पर भी लगी और वह बुरी तरह से घायल हो गए।हिंदी भाषा में उनके योगदान की जानकारी देते हुए प्रधानाचार्य ने बताया कि उन्होंने शिवाजी श्री कृष्ण और कई और महापुरुषों की जीवनी अमेरिकी देश में हिंदी लागू करने के लिए उन्होंने हस्ताक्षर अभियान चलाया था। उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती के साथ मिलकर आर्य समाज को पंजाब में लोकप्रिय बनाया और लाला हंसराज व कल्याण चंद्र दीक्षित के साथ मिलकर दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालयों का प्रसार किया। जिद्दी आज डी .ए .वी.(D.A.V) के नाम से भी जाना जाता है।
इस प्रकार लालाजी के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए उन्होंने बताया कि साइमन कमीशन के विरोध में किए गए लाठीचार्ज के दौरान एक लाठी उनके सिर पर लगने से वह घायल हो गए और 17 नवंबर 1928 को उनका देहांत हो गया।इस प्रकार भाग में लाला जी की मृत्यु का बदला भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद राजगुरु व सुखदेव ने लिया। कार्यक्रम के समापन के दौरान बच्चों द्वारा लाला जी के जीवन पर आधारित एक टैली फिल्म भी पेश की गई। कार्यक्रम के अंत में बच्चों को ईनाम भी बांटे गए।
गोल्डन ऐरा स्कूल में आज लाला लाजपत राय की जयंती बहुत ही धूमधाम से मनाई गई, लाला लाजपत राय जयंती के बारे में बच्चों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया जिसमें बहुत सारे बच्चों ने हर्षोल्लास के साथ भागलिया ।कार्यक्रम का शुभारंभ सुबह की प्रार्थना सभा के उपरांत ही किया गया जिसमें बहुत सारे बच्चों ने लाला लाजपत राय जी के जीवन पर आधारित भाषण पेश किए कुछ बच्चों ने लाला लाजपत राय का जीवन परिचय भी दिया।बच्चों द्वारा लाला लाजपत राय के जीवन परिचय पर आधारित प्रश्न भी पूछे गए ।कुछ बच्चे लाला लाजपत राय की वेशभूषा में भी आए ।स्कूल के प्रधानाचार्य द्वारा लाला जी के जीवन पर आधारित भाषण के दौरान बच्चों को बताया गया कि लाला लाजपत राय का जीवन 28 जनवरी 1865 को पंजाब के फिरोजपुर जिले के गांव दुधिके में हुआ। लाला लाजपत राय जैन धर्म से संबंधित थे।उन्होंने बच्चों को यह भी बताया कि लालाजी लाल- बाल- पाल में से एक थे।इन्हीं पंजाब केसरी के नाम से भी जाना जाता है इन्होंने पंजाब नेशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कंपनी की स्थापना भी की थी।स्वतंत्रता संग्राम में लाला जी के योगदान पर चर्चा करते हुए प्रधानाचार्य जी ने बताया कि जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गरम दल के नेता थे उन्होंने सन 1928 में साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया था जिसमें भारतीयों का विरोध करते हुए अंग्रेजों द्वारा लाठीचार्ज किया गया एक लाठी लाला जी तेरे सिर पर भी लगी और वह बुरी तरह से घायल हो गए।हिंदी भाषा में उनके योगदान की जानकारी देते हुए प्रधानाचार्य ने बताया कि उन्होंने शिवाजी श्री कृष्ण और कई और महापुरुषों की जीवनी अमेरिकी देश में हिंदी लागू करने के लिए उन्होंने हस्ताक्षर अभियान चलाया था। उन्होंने स्वामी दयानंद सरस्वती के साथ मिलकर आर्य समाज को पंजाब में लोकप्रिय बनाया और लाला हंसराज व कल्याण चंद्र दीक्षित के साथ मिलकर दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालयों का प्रसार किया। जिद्दी आज डी .ए .वी.(D.A.V) के नाम से भी जाना जाता है।
इस प्रकार लालाजी के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए उन्होंने बताया कि साइमन कमीशन के विरोध में किए गए लाठीचार्ज के दौरान एक लाठी उनके सिर पर लगने से वह घायल हो गए और 17 नवंबर 1928 को उनका देहांत हो गया।इस प्रकार भाग में लाला जी की मृत्यु का बदला भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद राजगुरु व सुखदेव ने लिया। कार्यक्रम के समापन के दौरान बच्चों द्वारा लाला जी के जीवन पर आधारित एक टैली फिल्म भी पेश की गई। कार्यक्रम के अंत में बच्चों को ईनाम भी बांटे गए।
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