सिरसा में बरकरार है फर्जी फर्मों का दुर्ग,दावें एक तरफ, हकीकत दूसरी तरफ
Dabwalinews.com
फर्जी फर्म संचालकों पर कार्रवाई का जोरदार दावा किया जा रहा है लेकिन जमीनी हकीकत आज भी कुछ ओर बनी हुई है।अभियान चलाकर 464 करोड़ के घोटाले में चार गिरोह का पर्दाफाश किए जाने का दावा किया गया है। घोटालेबाजों से 112 करोड़ की रिकवरी भी किए जाने और 72 आपराधिक मामले दर्ज करके 89 लोगों को गिरफ्तार करने की बात कहीं जा रही है। बड़े जोर-शोर से इस उपलब्धि के लिए पीठ भी थपथपाई जा रही है। लेकिन हकीकत कुछ ओर ही बनी हुई है।दरअसल, जीएसटी चोरी मामले में हरियाणा बदनाम हुआ है। चूंकि संसद में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा इस आशय की जानकारी सांझा की गई थी कि जुलाई-2017 से अगस्त-2020 की अवधि के तीन वर्षों में टैक्स की चोरी 1708 मामले दर्ज हुए। हरियाणा ने टैक्स चोरी के मामलों में पड़ौसी राज्यों पंजाब, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर व चंडीगढ़ को पीछे छोड़ दिया। इस अवधि में देशभर में हुई 93642 करोड़ की टैक्स चोरी हुई। ये आंकड़़े बयां करते है कि हरियाणा में फर्जी फर्मों के संचालकों ने किस कदर लूटपाट की। फर्जी फर्में बनाकर सरकारी खजाने को लूटने वालों पर कारगर ढंग से कार्रवाई नहीं हो पाई। अनेक मामलों में विभागीय अधिकारियों की भी संलिप्तता पाई गई और अनेक अधिकारियों के खिलाफ भी मामले दर्ज हुए। ऐसे में चंद मामलों की उपलब्धि को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है, जबकि सूत्रों के अनुसार 600 करोड़ से अधिक का घोटाला तो अकेले सिरसा जिला में किया जाना बताया जाता है। इससे भी दीगर बात यह है कि अब तक हुए खुलासे के बावजूद सिरसा के फर्जी फर्मों के जनकों को गिरफ्त में नहीं लिया गया है। अनुपम सिंगला को बड़ा सरगना माना जा रहा है, जबकि सिरसा में उसे फर्जी फर्मों के कारोबार की छोटी मछली समझा जाता है, क्योंकि सिरसा में बड़े-बड़े मगरमच्छ सक्रिय है। अनुपम सिंगला के मुकाबले 'एमआरपीÓ तो पिछले दो-तीन दशकों से इस कारोबार में जमे हुए है। अल्प समय में ही उन्होंने अकूत संपत्ति जुटाई और अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया। संभवत: पैसे के बल पर ही वे आज भी सुरक्षित घूम रहे है। सरकार के तमाम दावों के बावजूद इस तिगड़ी पर आंच तक नहीं आई। ऐसे में सरकार के दावों पर कितना विश्वास किया जा सकता है कि फर्जी फर्मों पर कितना अंकुश लगाया जा सका है।
हिसार एसआईटी संदेह के घेरे में!
फर्जी फर्म संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार की ओर से विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया हुआ है। इन एसआईटी द्वारा फर्जी फर्मों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। आरोपियों की धरपकड़ और उनसे रिकवरी करने के प्रयास भी किए जा रहे है। लेकिन हिसार आईजी की अगुवाई में गठित एसआईटी की कोई विशेष उपलब्धि दिखाई नहीं देती। सिरसा, फतेहाबाद और हिसार के मामलों को इस एसआईटी को सौंपा जाता है। सिरसा में फर्जी फर्मों का कारोबार करने वाले आजतक खुले घूम रहे है। आपराधिक मामला दर्ज होने के बावजूद भी उनका आजतक बालबांका नहीं हुआ। कुछ समय पहले हिसार एसआईटी का इंचार्ज उस समय सुर्खियों में आया, जब उस पर पैसा वसूली के आरोप लगें। मामला जांच के लिए उछला, लेकिन परिणाम शून्य रहा।
जिला पुलिस की एसआईटी की कुंद!
पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह द्वारा फर्जी फर्मों के खिलाफ सख्त स्टेंड लिया गया। उनके ही प्रयासों से पिछले तीन वर्षों से दबी फाइलों से धूल झड़ी और दो दर्जन से अधिक फर्मों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए। वहीं आबकारी एवं कराधान विभाग के आधा दर्जन अधिकारियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया। पुलिस अधीक्षक द्वारा मामले को निर्णायक मोड़ पर पहुंचाने के लिए एसआईटी का गठन किया गया। इस एसआईटी से उम्मीद जगी थी कि फर्जी फर्मों का अब मायाजाल टूटेगा और फर्जी फर्मों के सरगना सलाखों के पीछे पहुंचेंगे। लेकिन एसआईटी जबतक मामले का अध्ययन करके फील्ड में कार्य करती, सूत्र बताते है कि उससे पहले ही मामले हिसार एसआईटी को ट्रांसफर कर दिए गए। ऐसे में सिरसा एसआईटी को कुंद कर दिया गया।
सरगनाओं पर नजर-ए-इनायत!
फर्जी फर्मों के कारोबार से सरकार को करोड़ों रुपये की चपत लगाने वालों में शुमार अनुपम सिंगला को राज्य अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तार किया गया। उससे करोड़ों रुपये की रिकवरी भी की जा चुकी है और उससे पूछताछ में बड़े खुलासे भी हुए। अनुपम सिंगला को कई बार गिरफ्तार करके रिमांड पर लिया जा चुका है। लेकिन सिरसा में इसी कारोबार के सरगनाओं पर नजर-ए-इनायत बनी हुई है। उनसे न कभी पूछताछ की गई है और न ही कभी गिरफ्तार ही किया गया है। अचरज की बात तो यह है कि सिरसा के फर्जी फर्मों के सरगनाओं के खिलाफ मामला भी पुलिस की ओर से दर्ज करवाया गया था। फर्जी फर्मों के खिलाफ कार्रवाई तब तक अधूरी है, जबतक सिरसा के कुख्यात सरगना सलाखों के पीछे नहीं भेजे जाते। सवाल यह भी है कि आखिर उन्हें किसकी शह प्राप्त है?
कार्यप्रणाली का हो चुका खुलासा
आर्थिक अपराध के इस मामले में राज्य अपराध शाखा द्वारा निपुणता हासिल की जा चुकी है। इस शाखा के अधिकारियों को इस आश्य की जानकारी प्राप्त हो चुकी है कि किस प्रकार से धोखाधड़ी का कारोबार किया जाता है। अन्यथा आर्थिक अपराध के मामले की जटिलता को समझ न पाने की वजह से भी जांच अधिकारी आगे नहीं बढ़ पाते थे। मगर, अब विषय की विशेषज्ञता होने के कारण राज्य अपराध शाखा सही दिशा में बढ़ रही है, जिसके परिणाम स्वरूप वह यह उपलब्धि हासिल कर पाई है। मामले में तभी बड़ी उपलब्धि हासिल हो पाएगी, जबकि फर्जी फर्मों के सरगनाओं और कराधान विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों के गठजोड़ पर चोट की जाएगी। चूंकि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से इस बड़े स्तर पर घोटालों को अंजाम दे पाना आसान नहीं होता।
विज से ही उम्मीद
फर्जी फर्मों के खिलाफ कारगर कार्रवाई की उम्मीद गृहमंत्री अनिल विज से ही है। चूंकि उन्होंने ही इस पर संज्ञान लिया और उनके दिशा-निर्देश पर ऐसे तत्वों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जा रही है। प्रदेशवासियों को श्री विज से ही उम्मीद है कि वे ही फर्जी फर्मों का तिलिस्म तोड़ेंगे और इससे जुड़े लोगों को सलाखों के पीछे पहुंचाएंगें। सिरसा में फर्जी फर्मों के सरगना भी श्री विज के प्रयासों से ही सलाखोंके पीछे पहुंच पाएंगें, अन्यथा वे अपने संबंधों के की वजह से अब तक अपना बचाव कर पाए है।
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