आबकारी विभाग के डिजिटलाइजेशन के लिए डिप्टी सीएम का एक और बड़ा कदम.विभाग के कार्यों में पारदर्शिता के साथ समय और पैसे की होगी बचत
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प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने आबकारी एवं कराधान विभाग के डिजिटलाइजेशन की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया हैं।उन्होंने विभाग के लिए 'जीएसटी-पीवी' एप का प्रोटोटाइप लॉन्च किया। इस एप के माध्यम से आबकारी और कराधान विभाग के सभी कर-निरीक्षक अपने स्मार्टफोन से करदाताओं के परिसर का भौतिक सत्यापन करेंगे।डिप्टी सीएम ने एप लॉन्च करने के बाद बताया कि यह एप उन फर्जी फर्मों का जल्द पता लगाने में मदद करेगी जो गलत इनपुट टैक्स-क्रेडिट पास कराती हैं। उन्होंने बताया कि यह एप टैक्स के रजिस्ट्रेशन में सहायक होगी जिससे विभाग के समय और संसाधनों की बचत भी होगी।दुष्यंत चौटाला ने बताया कि फिलहाल कर-निरीक्षकों को किसी फर्म में जाकर वहां दस्तावेज लेकर मैन्युअल रूप से रिकॉर्ड करना पड़ता है जिससे कई बार गलत और असंगत डेटा भरने की शिकायतें मिलती हैं, जबकि इस एप के माध्यम से पूरी प्रक्रिया ऑटोमैटिक होगी और कर-निरीक्षक अपना डेटा सीधा फीड कर सकते हैं।उपमुख्यमंत्री ने बताया कि फील्ड में फर्म का मौके पर निरीक्षण करने जाने से पहले कर-निरीक्षकों के पास सत्यापन के लिए मामलों को बचाने का विकल्प होगा, ताकि वास्तविक निरीक्षण के बाद सत्यापन किया जा सके। उन्होंने बताया कि पहले कुछ कर-निरीक्षक मौके पर जाने की बजाए ऑफिस में बैठे-बैठे ही करदाताओं की प्रविष्टियों को भर देते थे, परंतु अब इस एप के माध्यम से उसको भरने के लिए फर्म में जाना पड़ेगा। जब कर-निरीक्षक फिजिकल वेरिफिकेशन करने जाएगा तो उस समय एप ऑटोमेटिक रूप से जीपीएस निर्देशांक/स्थान और फर्म के परिसर की तस्वीरें ले लेगा। इन्हें सिस्टम में मैन्युअल रूप से फीड करने की आवश्यकता नहीं होगी। दुष्यंत चौटाला ने यह भी बताया कि कर-निरीक्षक किसी भी फर्म का पंजीकरण विवरण देख सकेंगे और मोबाइल एप के माध्यम से अधिकृत प्रतिनिधियों से संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि इसमें यह भी खास बात है कि कर-निरीक्षक फर्म के परिसर के फोटो और संबंधित दस्तावेजी साक्ष्य दोनों को कैप्चर करने के लिए अपने मोबाइल कैमरे का उपयोग करने में सक्षम होंगे।उन्होंने बताया कि कर-निरीक्षक फिजिकल वेरीफिकेशन के समय कॉमन पोर्टल पर अपलोड किए गए दस्तावेजों को देख सकेंगे और सत्यापित कर सकेंगे। डिप्टी सीएम ने कहा कि इस एप से विभाग के कार्य में पारदर्शिता आएगी और समय व पैसे की बचत होगी।
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