देश का किसान व आढ़ती नहीं चाहता तो केंद्र सरकार जबरन तीन कृषि कानून क्यों थोपना चाहती है - बजरंग गर्ग
Dabwalinews.com
अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव व हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने अपने साथियों सहित मकड़ौली कलां टोल पर पंहुच कर किसान अंदोलन में व्यापार मंडल का खुला समर्थन देते हुए उपस्थित किसान नेताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसान आंदोलन देश के इतिहास में सबसे बड़ा आंदोलन है जिसमें देश का हर वर्ग के नागरिक का किसानों के साथ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी जिद छोड़ कर देश के किसान, आढ़ती व आम जनता के हित में तीन कृषि कानून को मीटिंग से पहले तुरंत रद्द करके किसान, आढ़ती आम जनता के हित में चौथा कानून विचार-विमर्श करके बनाना चाहिए। जबकि 43 दिनों से लाखों किसान भारी ठंड में धरने पर बैठे हैं। कड़ाके की ठंड के कारण लगभग 60 किसानों से ज्यादा किसान आंदोलन में अपनी जान की कुर्बानी दे चुके हैं। बड़े अफसोस से कहना पड़ रहा है कि आज तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसानों की मौत पर शोक तक प्रकट नहीं किया। राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग ने कहा कि केंद्र सरकार से सवाल किया कि जब देश का किसान व आढ़ती कृषि कानून नहीं चाहता तो सरकार जबरन किसानों पर कृषि कानून क्यों थोपना चाहती है। इससे यह साबित होता है कि सरकार अपने चहेतें अडानी व अंबानी जैसे बड़े-बड़े घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए तीन कृषि कानून लाई है। जिस प्रकार बड़ी बड़ी कंपनियों का रिटेल मार्केट, फल व सब्जियों के व्यापार पर कब्जा हो गया। उसी प्रकार बड़ी बड़ी कंपनी खेती व अनाज के व्यापार पर अपना कब्जा करके सब्जी व फलों की तरह अनाज पर भी भारी मुनाफा कमा कर जनता को लूटने का काम करेंगे। जिससे देश व प्रदेश में पहले से कई गुणा महंगाई बढ़ेगी। जिस प्रकार बड़ी- बड़ी कंपनी किसान की सब्जियां सस्ते रेटों पर खरीद कर उस पर 10 गुणा मुनाफा कमाकर जनता की जेब में डाका डाल रहे हैं। उसी प्रकार किसान की गेहूं औने-पौने दामों पर खरीद कर गेहूं ₹50 किलो बेचेंगे। राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग ने कहा कि अभी तक तीन कृषि कानून देश में चालू नहीं हुआ। कृषि कानून को रद्द कराने के लिए देश व प्रदेश का किसान, आढ़ती व आम जनता सडकों पर आंदोलन कर रही है मगर अंबानी-अडानी व बड़ी-बड़ी कंपनियों ने अभी से हरियाणा, पंजाब व अन्य राज्यों में सैकड़ों एकड़ जमीन पर वेयर हाउस बना लिए हैं और अनाज के लिए बड़े-बड़े स्टील के टैंक बनाकर स्टोरेज बना लिए हैं। इससे साफ सिद्ध होता है कि केंद्र सरकार ने अंबानी-अडानी व बड़ी कंपनियों से बातचीत करके उनके हित में यह कानून बनाए गए हैं। जबकि तीन कृषि कानून से देश व प्रदेश का किसान व आढ़ती बर्बाद हो जाएगा। किसान अपने ही जमीन में मजदूर बन जाएगा और सरकारी मंडियां बंद हो जाएगी। सरकारी मंडिया बंद होने से किसान की फसल एमएसपी रेटों पर कौन खरीदेगा। यह किसान व आढ़तियों के लिए बड़ा चिंता का विषय है। मंडिया बंद होने से मंडियों में काम करने वाले लगभग 40 हजार आढ़ती, लाखों मजदूर, मुनीम, ट्रांसपोर्टर आदि बर्बाद हो जाएगा। जिससे देश व प्रदेश में पहले से कई गुणा बेरोजगारी व महंगाई बढ़ेगी। जबकि माल एक राज्य से दूसरे राज्यों में ना आने जाने से देश के व्यापारी, उद्योगपति व ट्रांसपोर्टर को करोड़ों अरबों रुपए का नुकसान हो रहा है। सरकार को जनहित में कृषि कानून वापिस लेकर किसान आंदोलन को वापिस करवाना चाहिए। किसानों की ट्रैक्टर रैली ऐतिहासिक रही। जिसमें लाखों किसानों ने ट्रैक्टर सहित भाग लिया। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रैक्टर रैली तो एक ट्रेलर था असली फिल्म को 26 जनवरी को किसानों द्वारा दिखाई जाएगी। इस मौके पर व्यापार मंडल के प्रदेश महासचिव रमेश खुराना, प्रदेश उपप्रधान राहुल जैन, अग्रवाल समाज प्रधान लुकेश जैन, कार्यकारी सदस्य प्रेम अहुजा, राजीव अत्री, रमेश कुमार, आशु गांधी, सुखराम पाल आदि व्यापारी प्रतिनिधि व किसान संगठन के नेता भारी संख्या में मौजूद थे।
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