RTI में हुआ खुलासा:- डबवाली बिजली निगम ने प्रथम व द्वितीय लाकॅडऊन में की स्टेशनरी की खरीददारी लाकॅडऊन के 19 दिनों में हुई छ: बार स्टेशनरी की खरीददारी

बिलों व फर्म की जांच करने बारे की मुख्यमंत्री हरियाणा, बिजली मंत्री हरियाणा, उपायुक्त सिरसा को शिकायत, की जांच की मांग
Dabwalinews.com
डबवाली बिजली निगम यानि डी.एच.बी.वी.एन डबवाली का एक कारनामा सूचना के अधिकार के तहत सामने आया है जिसमें निगम के अधिकारियों व कर्मचारियों ने प्रथम लॉकडाऊन के दौरान तीन बार और द्वितीय लॉकडाऊन के दौरान भी तीन बार स्टेशनरी का सामान किसी निजी दुकान से खरीदा है और उसकी धनराशि मई माह यानि अगले माह में चैक द्वारा डबवाली बिजली निगम द्वारा दुकानदार को अदा कर दी गई है। जिसकी कुल धनराशि 9710/- रूपए बनती है।अब यहां चौकाने वाली बात यह है कि जब पूरे भारत में संपूर्ण लॉकडाऊन किया हुआ था तो निगम ने किसकी अनुमति/आदेश से स्टेशनरी का सामान 6 बार खरीदा और जिस फर्म/दुकान से खरीदा उसने किस प्रशासनिक अधिकारी की अनुमति से दुकान खोलकर निगम के कर्मचारियों को यह सामान दिया।
क्या है मामला-
शिकायतकर्ता रमेश चंद्र ने बताया की उसने कुछ माह पहले उपायुक्त के माध्यम से डबवाली बिजली निगम से सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगी थी
की डबवाली निगम में कार्यरत लेखा अधिकारी ने किन किन बिलों को पास किया है वह कब कब किया है। करीब 1120 बिलों की फोटोकॉपी निगम द्वारा शिकायतकर्ता को प्रदान की गई और शिकायतकर्ता को जानकारी में प्राप्त बिलों के आधार पर ही स्टेशनरी की खरीददारी का पता चला और उसके पश्चात उसने शिकायत की।

क्या है शिकायत
शिकायतकर्ता ने अपनी दी शिकासयत में कहा है कि जब संपूर्ण भारत में लॉकडाऊन लगा हुआ था तो निगम के किस अधिकारी/कर्मचारी की अनुमति से निगम को खोला गया, किस अधिकारी ने सामान की जरूरत बताई, किस अधिकारी ने सामान का लेखा तैयार किया और किस अधिकारी/कर्मचारी ने कहा कि यह लॉकडाऊन में कार्यालय के लिए आवश्यक सामान है और किस अधिकारी ने इसकी आवश्यकता समझी और अनुमति दी की बाजार जाकर दुकान से सामान खरीदा जाए और जिस दुकान से सामान खरीदा गया उसने किस प्रशासनिक अधिकारी के आदेशों पर लॉकडाऊन के दौरान दुकान खोलकर सामान दिया और बिल बनाकर निगम को दिया और बाद में इसकी धनराशि निगम से ली। यहां महत्वपूर्ण यह बात भी हो जाती है कि उपरोक्त प्रक्रिया अप्रैल माह में कुल छ: बार दौहराई गई जब संपूर्ण भारत लॉकडाऊन के दौरान घरों में बंद था और हैरान करने वाली बात यह है कि जो सामान की खरीद हुई है व केवल स्टेशनरी का ही सामान है जोकि लॉकडाऊन में आवश्यक सेवाओं में नहीं आता है।शिकायतकर्ता रमेश चंद्र ने दी शिकायत में यह भी आरोप लगाए है कि बिलों को देखने पर स्पष्ट रूप से यह भी पाया गया है कि जिस दुकान से सामान की खरीद हुई है वह केवल डबवाली बिजली निगम के लिए नहीं अन्य के लिए भी खोली गई होगी। बिलों में अंकित चालान नंबर यह दर्शाता है कि लॉकडॉऊन में दुकानदार द्वारा अन्य और भी बिलों को पारित किया गया है क्योंकि निगम को दिए गए बिलों में  नंबर सख्यां-५,९,१३,१७,२०,२४ अंकित है इसके अंतराल के बिलों को दुकानदार द्वारा किसे दिया गया या दिया ही नहीं गया यह एक महत्वपूर्ण जांच का विषय है।
अगर लॉकडाऊन के नियमों की बात करें तो सरकार के आदेशों के अनुसार कर्मचारियों को केवल आवश्यक सेवाओं के लिए ही कार्यालय में आने की अनुमति दी गई थी तो फिर किस कार्य के लिए किस अधिकारी के आदेश पर इतना स्टेशनरी का सामान जिसकी कुल राशि 9710/- रूपए बनती है की खरीद कि गई या की ही नहीं गई और फर्जी बिल बनाकर इन बिलों को पास किया गया है।
अपनी दी शिकायत में शिकायतकर्ता ने यह मांग की है कि निगम व दुकानदार यह स्पष्ट करें कि किन नियमों के अनुसार व निगम की किन आवयश्कता के अनुसार और दुकानदार द्वारा किन प्रशासनिक आदेशों के अनुसार सामान की खरीद हुई है या निगम द्वारा नकली बिल बना कर इसे पास किया गया है। शिकायतकर्ता ने यह भी कहा कि यहां यह साफ होता है कि कोई भी सरकारी अधिकारी/कर्मचारी संपूर्ण लॉकडाऊन में केवल एक बार ही किसी आवश्यक सेवा के लिए सामान की खरीदारी करेगा न की छ: बार वो भी केवल स्टेशनरी के सामान की।
दुकानदार भी प्रशासनिक आदेशों पर केवल एक बार में ही निगम की आवश्यकतों की पूर्ति करेगा क्योंकि यह स्टेशनरी का सामान है न की कोई आवश्यक सेवा जिसका संबंध जन-जीवन से है। 
इसमें महत्वपूर्ण जांच का विषय यह भी हो जाता है कि बिलों की किस कर्मचारी द्वारा समीक्षा की गई है और किस लेखा अधिकारी द्वारा पास किया गया है और किस अधिकारी द्वारा चैक से उसकी धनराशि पास की गई, साथ ही ऐसा क्या जरूरी कार्य था जिसके लिए लॉकडाऊन में इतने सामान की खरीद हर तीसरे - चौथे दिन को की गई।
शिकायतकर्ता ने अपनी दी गई शिकायत में यह मांग की है कि यह भी जांच की जाए के सामान की खरीद हुई भी है या नहीं, अगर बिलों को फर्जी बनाया गया है तो प्रशासन द्वारा कानूनी कार्यवाही संबंधित निगम के अधिकारियों व दुकानदार पर की जाए।
बॉक्स-
किस किस सामान की हुई खरीददारी-
इस खरीद में डबवाली निगम द्वारा
ए-फोर साईज पेपर
पैन
रजिस्टर
हाई लाईटर
पिन, फाईलें

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