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टैक्स चोर सरगनाओं की कमर तोडऩे को आईजी को उठाने होंगे कड़े कदम!

Dabwalinews.com
फर्जी फर्मों के माध्यम से सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगा चुके सरगनाओं की धरपकड़ के लिए पुलिस महानिरीक्षक हिसार रेंज (आईजी) को कड़े कदम उठाने होंगे। उनके एक्शन से ही फर्जी फर्मों के सरगनाओं की कमर पर चोट मारी जा सकेगी। अन्यथा दूसरों के नाम पर फर्जी फर्में बनाकर सरकार को टैक्स के रूप में चूना लगाने का कारोबार थमने वाला नहीं है। सिरसा में फर्जी फर्मों के सैकड़ों मामले सामने आ चुके है और पुलिस द्वारा दर्जनों एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है। आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारी भी नामजद किए जा चुके है। मगर, सरगना आज भी खुले घूम रहे है। फर्जी फर्में बनाकर टैक्स की चोरी करने वालों की धरपकड़ के लिए सरकार के स्तर पर कई कदम उठाए गए। हिसार रेंज के आईजी की देखरेख में एसआईटी भी गठित की गई है। एसआईटी द्वारा अनेक मामलों की जांच भी की जा रही है। लेकिन सिरसा में जो लोग फर्जी फर्मों के सरगना के रूप में कुख्यात है, उनकी गर्दन तक एसआईटी नहीं पहुंच पाई। संभवत: धनबल और प्रभाव के बल पर ऐसे लोग आजतक एसआईटी की पहुंच से बच पाए है। जिसकी वजह से लोगों का विश्वास भी कमजोर हो रहा है। एकबारगी यह अवश्य लगा था कि दशकों से फर्जी फर्मों का कारोबार करने वाले 'एमआरपीÓ का साम्राज्य जल्द ही ढह जाएगा। लेकिन निर्णायक कार्रवाई के अभाव में ऐसा होता प्रतीत नहीं हो रहा। इसलिए आईजी हिसार रेंज को फर्जी फर्मों के गैंग को नेस्तनाबूत करने के लिए निर्णायक कदम उठाने होंगे?
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https://www.dabwalinews.com/2021/02/crime_10.html


एफआईआर दर्ज, कार्रवाई बाकी

फर्जी फर्मों के कारोबार को लेकर वर्ष 2018 में पुलिस द्वारा एफआईआर नंबर 377, 378 व 379 दर्ज की गई थी। जिसमें कारोबारी महेश बांसल व उसके परिजनों को नामजद किया गया था। एक एफआईआर तो पुलिस की ओर से ही दर्ज की गई थी। जबकि दो अन्य एफआईआर उन लोगों के नाम से दर्ज की गई थी, जिन्होंने उनके नाम व दस्तावेज के आधार पर फर्में बनाने का आरोप लगाया था। शिकायत में बताया गया था कि किस प्रकार उनके दस्तावेज का इस्तेमाल करके फर्जी फर्में बनाई। इन फर्मों के माध्यम से करोड़ों का कारोबार दर्शाया और टैक्स की चोरी की। जबकि उनका इन फर्मों और उनके कारोबार से कोई लेना-देना नहीं था। वे तो इनके पास कुछ हजार रुपये के कर्मचारी के रूप में काम करते थे। मामला दर्ज होने के बाद आजतक इन एफआईआर पर न तो कोई प्रगति हुई और न ही आरोपियों से पूछताछ हुई। ऐसे में फर्जी फर्मों के सरगनाओं के हौंसले बुलंद हुए। सूत्रों के अनुसार इन मामलों में या तो आरोपियों को जांच करके बाहर कर दिया गया है या फिर उन्हें बाहर किए जाने की तैयारी है।

इंकम टैक्स विभाग ने भी साधी चुप्पी

करोड़ों रुपये की नगदी की बरामदगी मामले में इंकम टैक्स विभाग ने भी चुप्पी साध रखी है। कई वर्ष बीत जाने पर भी इंकम टैक्स विभाग द्वारा उन कारोबारियों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई अमल में नहीं लाई गई। जबकि ऐसे मामलों में केंद्रीय एजेंसियां भी जांच शुरू कर देती है। वर्णनीय है कि वर्ष 2017 में पदम बांसल की गाड़ी से एक करोड़ 72 लाख रुपये जबकि वर्ष 2018 में महेश बांसल की गाड़ी से एक करोड़ 10 लाख रुपये की बरामदगी की गई थी। लंबा अरसा बीत जाने पर भी आयकर विभाग ने इन मामलों को आजतक निर्णायक स्थिति में नहीं पहुंचाया और न ही इस आश्य का खुलासा किया कि मामले में किसे कितना जुर्माना लगाया गया? बरामद की गई नगदी का स्त्रोत क्या था? किसे पहुंचाई जा रही थी इतनी बड़ी मात्रा में नगदी? सवाल तब पैदा होते है, जब सिरसा में आयकर विभाग द्वारा डाक्टरों, आढ़तियों, कारोबारियों के यहां पर छापे मारे जाते है और उन पर मोटा जुर्माना भी किया जाता है। लेकिन करोड़ों रुपये की नगदी बरामद होने के बाद विभाग ने इनकी आय की जांच क्यों नहीं की? क्यों विभाग ने इनके प्रतिष्ठानों, आवास और बेनामी संपत्ति की पड़ताल करने में कदम नहीं उठाया?

बैंक खातों को सील कर करनी होगी रिकवरी

हिसार रेंज के आईजी को फर्जी फर्मों के सरगनाओं पर सर्जिकल स्ट्राइक करनी होगी। इस दिशा में उनके बैंक खातों को सील करना होगा और बैंक खातों से रिकवरी करनी होगी। कराधान विभाग के तत्कालीन अधिकारियों की ओर से वर्ष 2017 में फर्जी फर्मों के माध्यम से सरकार को चपत लगाने वाली फर्मों से लगभग 50 करोड़ की रिकवरी करने के लिए विभिन्न बैंकों में 35 खातों को सील किया गया था ताकि इस राशि की रिकवरी हो सकें। व्हीस्ल ब्लोअर रघुबीर सिंह की ओर से कराधान आयुक्त को पत्र लिखकर इस आशय की शिकायत की थी कि कुछ अधिकारियों ने रिकार्ड खुर्दबुर्द कर दिया और टैक्स की वसूली नहीं की। ऐसे में यदि आईजी हिसार रेंज की ओर से उन फर्मों और उन बैंकों के खातों को जांच के दायरे में लाकर कार्रवाई की जाती है, तब पुलिस को जांच में आसानी होगी।

फर्जी सी फार्म मामले को चढ़ाना होगा सिरे

कराधान विभाग हरियाणा ने प्रदेश में फर्जी फर्मों को 21623 सी-फार्म जारी किया जाना पाया। जिनकी कारोबारी कीमत 12670 करोड़ 19 लाख 695 रुपये आंकी गई है। मामले में जांच का जिम्मा विभाग के रेंज अधिकारियों को सौंपा गया। जिसमें हिसार, अंबाला, गुरुग्राम, फरीदाबाद और रोहतक शामिल है। इस जांच को जून-2020 में पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन यह अब तक लंबित है। बताया जाता है कि अकेले सिरसा से जारी 349 सी-फार्म भी जांच के घेरे में है। आबकारी एवं कराधान विभाग सिरसा द्वारा इन सी-फार्म को जारी किया गया था। ऐसे में यदि आईजी द्वारा इस मामले की जांच को अंजाम तक पहुंचवाया जाता है, तब सरगनाओं के चेहरों से नकाब आसानी से उतर पाएगा।

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