पीएम, सीएम, एचएम सहित आला अधिकारियों से शिकायत,भ्रष्टाचार पर ट्विटर की चोट!

Dabwalinews.com
नगर परिषद सिरसा के कथित भ्रष्टाचार पर ट्विटर की चोट मारी गई है। वर्तमान में ट्विटर को मिसाइल माना जाता है।जोकि पलक छपकते ही चोट करता है और इसके परिणाम भी पलक झपकते ही सामने आते है। नगर परिषद सिरसा द्वारा 124 गलियों के निर्माण को लेकर जो टेंडर प्रक्रिया अपनाई गई, उसे लेकर ठेकेदारों ने ट्विटर के माध्यम से पीएम मोदी, मुख्यमंत्री मनोहरलाल, गृहमंत्री अनिल विज, विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सहित आला अधिकारियों को शिकायत की गई है। शिकायत में 4 करोड़ की धांधली का आरोप लगाया गया है। वर्णनीय है कि लगभग साढ़े 12 करोड़ की लागत से गलियों के निर्माण के लिए टेंडर खोले गए थे। वीरवार को अनेक ठेकेदारों ने टेंडर प्रक्रिया में धांधली बरते जाने, चहेते ठेकेदारों को ठेका अलॉट किए जाने का आरोप लगाते हुए नगर परिषद कार्यालय में धरना दिया था। शुक्रवार को ठेकेदारों ने गृहमंत्री अनिल विज से मुलाकात कर उन्हें शिकायत सौंपी थी। शनिवार को इस बारे में ट्विटर करके मामले को सोशल मीडिया के माध्यम से उजागर किया गया है। ठेकेदार राजेंद्रपाल ने बताया कि नगर परिषद के अधिकारियों ने टेंडर प्रक्रिया में नियमों की पालना नहीं की। चंद ठेकेदारों को ही सारा काम अलॉट किया गया है। चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर की शर्तों में बदलाव किया गया है। उन्होंने कहा कि मोटा कमीशन बटोरने के लिए यह खेल खेला गया है। यदि टेंडर प्रक्रिया में प्रतिस्पर्धा रहेगी तो सरकार को लाभ मिलता है। ठेकेदार कम से कम मार्जन में काम करने को तैयार होंगे और यदि कमीशन तय हो जाता है तो ठेकेदार पूल करके टेंडर में अधिक रेट दाखिल करते है। इस प्रकार सरकार को दोगुणा नुकसान होता है। श्री जिंदल ने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाए जाने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की है।
नगर परिषद में पलते हैं 'ऐलियन'!
दुनिया के लिए भले ही ऐलियन रहस्य हों, मगर नगर परिषद सिरसा के लिए यह सामान्य है। चूंकि नगर परिषद सिरसा के एरिया में ऐलियन जब-तब उतरकर लाखों रुपये की लागत से गलियां व सड़कों का निर्माण करके गायब हो जाते है। नगर परिषद का आरटीआई में दिया गया रिकार्ड इस बात की तस्दीक करता है कि सैकड़ों गलियों का निर्माण विभाग द्वारा नहीं करवाया गया। न टेंडर आमंत्रित किए गए, न प्रस्ताव पारित किए। इसके बावजूद न जाने को कौन गलियां बना गया। हाल ही में वार्ड नंबर-8 की गली बैंक कर्मी नरेश चोपड़ा से सेवानिवृत एएसआई दारा सिंह बिश्नोई का निर्माण ऐलियन ही करके गए! क्योंकि नगर परिषद के अनुसार इस गली का न तो कभी प्रस्ताव पारित किया गया, न टेंडर हुए। सवाल पैदा होता है कि आखिर इसमें किसका स्वार्थ है? आखिर कौन मेहरबान है और क्यों?
नप का हर कार्य क्यों रहता है विवादों में?
नगर परिषद का शायद ही कोई ऐसा कार्य हो, जो विवादों में न हों। मामला कचरा निपटान का हो, साफ-सफाई का हो, बकरियांवाली प्लांट का हो, स्ट्रीट लाईट का हो, रिपेयर का हो, आवारा पशुओं को पकडऩे का हो। सूत्रों की मानें तो नगर परिषद में भ्रष्टाचार का तानाबाना बुना जाता है कि आखिर कैसे माल हड़पा जाए? यही वजह है कि हर काम में धांधली की शिकायत सामने आती है। प्रदेश में संभवत: सर्वाधिक शिकायतें इसी नगर परिषद की है और जिस प्रकार स्टेट विजिलेंस द्वारा अपनी जांच में गलियों के निर्माण में धांधली उजागर की गई, उससे आरोपों में दम भी लगता है। नगर परिषदों व नगरपालिकाओं में धांधली की शिकायतों पर रोकथाम लगाने के लिए ही संभवत: सरकार की ओर से नगर आयुक्तों की नियुक्ति की गई। सिरसा में भी श्रीमती संगीता तेतरवाल को नियुक्त किया गया। मगर, शिकायतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।

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