नगर परिषद एक बार फिर कटघरे में! टेंडर में धांधली का आरोप लगा धरने पर बैठे ठेकेदार

Dabwalinews.com
नगर परिषद सिरसा की कार्यप्रणाली में सुधार होता दिखाई नहीं देता।जो हालात हुड्डा सरकार के कार्यकाल में थे, वहीं हालात मनोहर सरकार में भी बने हुए है। न कमीशनखोरी में कोई बदलाव आया है और न ही धांधलीबाजी में। कई मामलों में नगर परिषद के अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज हो चुके है और अनेक मामलों की जांच में अनेक अधिकारी दोषी भी करार दिए जा चुके है। दर्जनों मामलों की जांच अभी लंबित है, लेकिन हालात में सुधार की कोई गुंजाइश दिखाई नहीं पड़ रहीं। वीरवार को दर्जनों ठेकेदारों ने नगर परिषद में ईओ कार्यालय के समक्ष धरना देकर टेंडर में धांधली किए जाने का आरोप लगाया। ठेकेदारों की ओर से अपनी शिकायत में बताया कि नगर परिषद द्वारा 124 गलियों के निर्माण के लिए टेंडर आमंत्रित किए गए थे। लगभग साढ़े 12 करोड़ के इस कार्य के लिए दो दर्जन से अधिक फर्मों द्वारा विधिवत टेंडर प्रक्रिया पूरी की गई थी। लेकिन नगर परिषद के अधिकारियों ने तमाम नियम-कायदों को ताक पर धरकर अपने चहेते ठेकेदारों को ही टेंडर अलॉट कर दिए। ठेकेदार राजेंद्रपाल जिंदल, कुलदीप सिंह, दीपक कुमार, विजय कुमार, दीपक, राकेश कुमार व अन्य ने उपायुक्त, गृहमंत्री अनिल विज, स्टेट विजिलेंस हिसार के पुलिस अधीक्षक सहित आला अधिकारियों को पत्र लिखकर बताया कि गलियों के टेंडर नगर परिषद कार्यालय में खोलने की बजाए नगर परिषद के ईओ व एक्सईएन की कोठी में ही खोले गए। जिन ठेकेदारों के टेंडर खोले गए है, केवल उन्हीं ठेकेदारों को कोठी पर बुलाया गया था। शेष ठेकेदारों को न तो सूचना दी गई और न ही कोठी में घुसने दिया। उन्होंने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाए जाने की मांग की है।



ये नगर परिषद है जनाब!

सिरसा नगर परिषद ने भ्रष्टाचार के मामले में जो आयाम स्थापित किए हुए है, उनके आगे ऐसे आरोप तो मामूली है। नगर परिषद के दर्जनभर से अधिक अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज हो चुके है। जेई-एमई स्तर के अधिकारी फर्जी गली निर्माण में सलाखों के पीछे जा चुके है। स्टेट विजिलेंस अपनी जांच में धांधली उजाकर कर चुकी है और अनेक अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज कर चुकी है। नगर परिषद में धांधली करने, शिकायत और जांच का पुराना सिलसिला बना हुआ है।

डकार चुके है जीएसटी!

ये नगर परिषद सिरसा है! यहां के अधिकारियों व कर्मचारियों के शातिराना अंदाज से तो माल और सेवाकर आसूचना महानिदेशालय भी हतप्रभ रह गया। नगर परिषद अप्रैल 2013 से जून-2017 तक जीएसटी के गबन का खेल खेला गया। जीएसटी विजिलेंस ने इसका खुलाया किया कि 63 लाख 23 हजार 244 रुपये डकारा जा चुका है। किराए के रूप में होने वाली आमदनी पर जो जीएसटी अदा किया जाना था। बड़े षड्यंत्रपूर्वक बैंक चालान में काट-छांट करके रकम बदल डाली गई और कई माह फर्जी चालान ही प्रस्तुत करके राशि डकारी गई। अक्टूबर-2018 में मामला एक्सपोज होने के बाद आजतक दो साल 4 माह का लंबा अरसा बीत जाने पर भी गबन करने वालों का बालबांका नहीं हुआ है? आजतक गबन करने वालों को ही चिह्नित नहीं किया गया और न ही उनके खिलाफ पुलिस में मामला ही दर्ज करवाया गया? ये सब भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति अपनाने वाली मनोहर सरकार में हो रहा है।

रिटायर्ड क्लर्क के हाथों में कमान!

सिरसा नगर परिषद में रिश्वतखोरी का शहद इस प्रकार टपकता है कि लोग बिना वेतन ही यहां पर काम करने को तैयार ही रहते है। जिन कर्मचारियों को सरकारी खजाने से वेतन नहीं मिलता, फिर भी वे यहां काम करने को तत्पर रहते है। जनवरी-2021 को क्लर्क ओमप्रकाश सेवानिवृत्त हो चुके है। विभाग की ओर से अभी उन्हें न तो कार्य की एक्टेंशन प्रदान की गई है और न ही इस बाबत कोई प्रस्ताव ही दिया गया है। इसके बावजूद वे अपनी सीट पर जमे हुए है और पूरी नगर परिषद की जिम्मेवारी अदा कर रहे है। अचरज की बात यह है कि सरकार द्वारा नगर परिषद को भेजे गए एक दर्जन लिपिकों को बैठने के लिए कुर्सी तक नसीब नहीं है। सरकारी खजाने से हजारों रुपये वेतन प्राप्त करने वालों की कोई जवाबदेही तय नहीं की गई है और बिना वेतन के लिपिक कुर्सी कब्जाए हुए है और सारी जिम्मेवारी अपने सिर पर लिए हुए है? अचरज होता है! ये नगर परिषद है।

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