गेहूं घोटाले का मामला,लेखाजोखा जुटाने में जुटी एसआईटी

Dabwalinews.com
करोड़ों रुपये के गेहूं घोटाले के मामले में गठित एसआईटी द्वारा घोटाले का लेखाजोखा जुटाया जा रहा है। एसआईटी द्वारा गबन किए गए गेहूं, चीनी, मिट्टी के तेल का विवरण जुटाया जा रहा है। इसके साथ ही इनकी कीमत का भी मूल्यांकन किया जा रहा है ताकि गबन राशि का निर्धारण किया जा सकें। गबन राशि का निर्धारण होने के साथ ही आरोपियों से उक्त राशि की रिकवरी भी शुरू की जाएगी।वर्णनीय है कि जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में बड़े स्तर पर गेहूं, चीनी और मिट्टी के तेल का गबन किया गया था। विभाग के आला अधिकारियों की टीम ने वर्ष 2015-16 की अवधि के मामले की जांच की थी। इसके बाद वर्ष 2017 में तत्कालीन डीएफएससी अशोक बांसल द्वारा पुलिस में मामला दर्ज करवाया गया था। शिकायत के आधार पर विभाग के चार डीएफएससी, दो एएफएसओ, आधा दर्जन इंस्पेक्टर और 58 डिपू होल्डरों को नामजद किया गया था। शिकायत में 15 हजार क्विंटल गेहूं के अलावा चीनी और मिट्टी तेल के गबन की शिकायत की गई थी।पुलिस की ओर से मामले में एसआईटी का गठन किया गया था। एसआईटी द्वारा अब तक दर्जनभर अधिकारियों व डिपू होल्डरों को गिरफ्तार करके जेल भेजा जा चुका है। मामले में एसआईटी द्वारा अब गबन माल का मूल्य निर्धारित करवाया जा रहा है, ताकि गबन राशि की रिकवरी के प्रयास किए जा सकें।



दिसंबर में की थी धरपकड़ शुरू

करोड़ों रुपये के घोटाले के मामले में पुलिस की ओर से 9 दिसंबर को जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी नरेंद्र सरदाना, सहायक खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी जगतपाल, इंस्पेक्टर संजीव कुंडू, सेवानिवृत्त अशोक कुमार, कान्फेड के स्टोर कीपर रविंद्र कुमार व सेवानिवृत्त स्टोर कीपर महेंद्र मेहता को गिरफ्तार किया था। इसके बाद पुलिस ने 21 दिसंबर को डिपू होल्डर नरेश सैनी व उसके भाई गोपी सैनी तथा डिपू होल्डर विजय को गिरफ्तार किया था। इसके बाद 30 दिसंबर को सिरसा के तत्कालीन डीएफएससी राजेश आर्य की जींद से गिरफ्तार किया था। पिछले एक माह के दौरान पुलिस द्वारा मामले में कोई नई गिरफ्तारी नहीं की गई है।

मिट्टी तेल में बड़ा गडबड़झाला

विभागीय अधिकारियों द्वारा बेहद सुनियोजित ढंग से मिट्टी तेल के घोटाले को अंजाम दिया गया। जिला में रसोई गैस के उपभोक्ताओं की संख्या में लगातार बढ़ौतरी होती गई लेकिन सब्सीडी वाले मिट्टी के तेल की डिमांड में कोई कमी नहीं आई। विभाग अधिकारी लंबे अरसे तक पूरी मात्रा में मिट्टी का तेल हासिल करते रहें और उसे खुले बाजार में बेच डालते। उपभोक्ताओं को गैस कनेक्शन होने की बात कहकर मिट्टी का तेल नहीं दिया गया। सूत्र बताते है कि जांच के दायरे में विभाग के कई अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों का फंसना तय है।

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