बसन्त के आगमन का पर्व है वसंत पंचमी, हर ओर दिखती है हरियाली- सुजाता सचदेवा
Dabwalinews.com
बसन्त के आगमन का पर्व है वसंत पंचमी, हर ओर दिखती है हरियाली। ये शब्द आज एचपीएस सीनियर सैकण्डरी स्कूल में बसंत उत्सव के उपलक्ष्य में नटखट की ओर से आयोजित एक साधारण कार्यक्रम में बोलते हुए शिक्षा निदेशिका सुजाता सचदेवा ने कहे।उन्होंने कहा कि वसंत पंचमी का दिन सरस्वती जी की साधना को अर्पित ज्ञान का त्योहार है। इस दिन पूरे देश में विद्या की देवी माँ सरस्वती की बड़े उल्लास के साथ पूजा की जाती है। इस दिन स्त्रियां पीले वस्त्र धारण करती हैं। शास्त्रों में भगवती सरस्वती की आराधना व्यक्तिगत रूप में करने का विधान है। इस अवसर पर विद्यालय निदेशक एवं प्रिंसीपल आचार्य रमेश सचेदवा ने छात्रों को सम्बोद्धित करते हुए कहा कि बसन्त उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है। जो फरवरी मार्च और अप्रैल के मध्य इस क्षेत्र में अपना सौंदर्य बिखेरती है। माना गया है कि माघ महीने की शुक्ल पंचमी से बसन्त ऋतु का आरंभ होता है। फाल्गुन और चौत्र मास बसन्त ऋतु के माने गए हैं। फाल्गुन वर्ष का अंतिम मास है और चौत्र पहला। इस प्रकार हिंदू पंचांग के वर्ष का अंत और प्रारंभ बसन्त में ही होता है। इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है। मौसम सुहावना हो जाता है। पेड़ों में नए पत्ते आने लगते हैं। खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते हैं। अतः राग रंग और उत्सव मनाने के लिए यह ऋतु सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। इस वक्त मनुष्य की रक्तशिराओं में बहने वाला रक्त स्वतः ही तरोताजा हो जाता है। प्रकृति में श्रृंगार होने लगता है। भारत में पतझड़ ऋतु के बाद बसन्त ऋतु का आगमन होता है। हर तरफ रंग-बिरंगें फूल खिले दिखाई देते हैं। इस समय गेहूं की बालियां भी पक कर लहराने लगती हैं। जिन्हें देखकर किसान हर्षित होते हैं। चारों ओर सुहाना मौसम मन को प्रसन्नता से भर देता है। इस अवसर पर हिन्दी लैक्चरार छिन्द्रपाल कौर ने आया बसंत कविता के द्वारा बसंत की महिमा का वर्णन किया।
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