टिकरी बॉर्डर पर बैठे किसानों को सुनीता दुग्गल के इशारे पर बिजली काटकर किया जा रहा है परेशान- मलकीत सिंह खालसा

Dabwalinews.com
सरकार तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर किसानों को परेशान तो कर सकती है लेकिन अपने हक पाने के लिए लड़ाई लड़ रहे किसानों के आंदोलन को कुचलने में कभी कामयाब नहीं होगी। जब तक सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापिस नहीं लेती तब तक किसान दिल्ली से वापिस नहीं लौटेंगे।यह बात टिकरी बॉर्डर से आए किसान नेता मलकीत सिंह खालसा ने डबवाली में जारी प्रैस बयान में कही। टिकरी बॉर्डर के हालात बयान करते हुए उन्होंने कहा कि टिकरी बॉर्डर पर जिस जगह पर धरना चल रहा है वहां भी इस समय सरकार ने बिजली सप्लाई काट रखी है। ऐसे में पूरी रात किसान अंधेरे में बैठकर परेशानी झेलते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि किसानों ने जब इस बाबत पड़ताल की तो उन्हें पता चला कि टिकरी बॉर्डर पर बैठे किसानों को भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल के इशारे पर बिजली काटकर परेशान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वे सुनीता दुग्गल को बताना चाहते हैं कि टिकरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में सिरसा लोकसभा क्षेत्र के सभी गांवों के किसान भी बैठे हैं। उनमें अपनी सांसद व खट्टर सरकार की परेशान करने वाली हरकतों के कारण नाराजगी बढ़ रही है जिसका जवाब समय आने पर किसान जरुर देंगे। उन्होंने बताया कि टिकरी बॉर्डर पर बहादुरगढ़ बाइपास के नजदीक खंभा न. 284 के पास राष्ट्रीय किसान संगठन व संयुक्त किसानों की तरफ से लंगर चलाया जा रहा है। इसमें संगठन के अध्यक्ष जसवीर सिंह भाटी, मलकीत सिंह जोगेवाला, राकेश नेहरा व अन्य किसान प्रतिनिधियों की मौजूदगी में 24 घंटे लंगर सेवा सफलतापूर्वक चल रही है। किसानों के ठहरने के लिए भी वहां प्रबंध किए गए हैं। मलकीत सिंह खालसा ने डबवाली इलाके के किसानों से अपील की कि वे ज्यादा से ज्यादा से संख्या में टिकरी बॉर्डर पर पहुंचे व लंगर सेवा में भी अपनी सामथ्र्य अनुसार अधिक से अधिक सहयोग करें। उन्होंने कहा कि बिजली काटने के कारण सोलर इनवर्टर भी वहां लगाए जाने हैं ताकि लंगर बनाने व छकाने में कठिनाई न आए। इसके अलावा काफी लकडिय़ों की भी वहां जरुरत हैं जिसमें किसान जरुर योगदान करें। इसके लिए मोबाइल नंबर 94161-70850, 99926-92388, 99964-25913 पर भी संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सभी किसानों की एकजुटता ही इस बड़े आंदोलन को सफल करेगी। यह किसान आंदोलन अब बड़ा जन आंदोलन बन चुका है और देश के किसान काले कृषि कानूनों को रद्द करवाने के बाद ही चैन से बैठेंगे।
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