सिरसा नप चेयरपर्सन का 7 अप्रैल को होगा चुनाव , सिरसा नगर परिषद के है 31 सदस्य, 30 माह से रिक्त है पद

Dabwalinews.com
आखिरकार 30 माह के लंबे अंतराल के बाद सिरसा नगर परिषद के रिक्त महिला चेयरपर्सन के चुनाव का रास्ता साफ हो गया है। एसडीएम सिरसा की ओर से चेयरपर्सनशिप के लिए 7 अप्रैल का दिन तय किया गया है। सिरसा नगर परिषद के 31 वार्ड है। इन वार्डों के पार्षदों द्वारा चेयरपर्सन का चुनाव किया जाना है। चूंकि यह पद महिला आरक्षित है, इसलिए किसी महिला का ही चेयरपर्सन बनना तय है। वर्णनीय है कि भाजपा की पहली महिला चेयरपर्सन शीला सहगल के खिलाफ एक अगस्त 2018 को अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के बाद से यह पद रिक्त पड़ा है। हालांकि वर्ष 2020 में प्रशासन की ओर से चुनाव की तिथि घोषित की गई थी। लेकिन ऐन मौके पर एक पार्षद द्वारा उच्च न्यायालय के स्टे हासिल करने की वजह से चुनाव टालना पड़ गया था।नगर परिषद सिरसा का कार्यकाल अब महज 7 माह का शेष रह गया है तथा नए चेयरपर्सन का कार्यकाल केवल 6 माह का ही होगा। चूंकि 25 सितंबर 2016 को नगर परिषद सिरसा का गठन हुआ था और सितंबर-2021 में इसका कार्यकाल पूरा होना है। ऐसे में लगभग 6 माह की प्रधानगी के लिए राजनीतिक दल कितनी मशक्कत करते है, यह भविष्य के गर्भ में है। लेकिन चुनाव की घोषणा ने सिरसा में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा दी है।
 सांसद व एमएलए भी वोट के अधिकारी
नगर परिषद की चेयरपर्सन के चुनाव में सिरसा से लोकसभा सीट से सांसद श्रीमती सुनीता दुग्गल तथा सिरसा विधानसभा सीट से विधायक गोपाल कांडा भी वोट के अधिकारी है। पिछली बार विधायक व सांसद इनेलो के थे। हालांकि दोनों का ही वोट भाजपा प्रत्याशी शीला सहगल को प्राप्त हुआ था। शीला सहगल सेतिया गुट से थी और सेतिया के प्रयासों से ही इनेलो एमएलए और सांसद का वोट भाजपा को प्राप्त हुआ था।
भाजपाईयों ने ही दिया था झटका
 सिरसा के इतिहास में पहली बार भाजपा की कमेटी बनी थी। वरिष्ठ नेता राहुल सेतिया ने शीला सहगल को भाजपा की पहली चेयरपर्सन बनाने का कारनामा कर दिखाया था। लेकिन भाजपाईयों में गुटबाजी की वजह से शीला सहगल का पद अधिक समय तक सुरक्षित नहीं रहा। भाजपा के अन्य गुटों से जुड़े पार्षदों ने बगावत की और दूसरे पार्षदों ने समर्थन देकर शीला सहगल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर उन्हें पद से हटा दिया था।

बदल गए समीकरण
वर्तमान में राजनीतिक परिस्थितियां बदल चुकी है। भाजपा के लिए चेयरपर्सन बनाने वाला सेतिया परिवार भाजपा को छोड़ चुका है। भाजपा में अभी दो गुट बने हुए है। हरेक गुट अपने उम्मीदवार को चेयरमैन बनाना चाहता है। जबकि संख्या बल दोनों गुटों को मिलाकर भी पूरा नहीं होता। भाजपा का कोई भी गुट अपने बलबूते चेयरमैन बनाने में सक्षम नहीं है। ऐसे में भाजपा को समर्थन लेने की बजाए समर्थन देने की रणनीति अपनाने पर विवश होना पड़ेगा।
कांडा बनाएंगे चेयरमैन!
नगर परिषद सिरसा का चेयरपर्सन कांडा तय करेंगे। उनकी ओर से जिसे उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा जाएगा, संभवत: वहीं यह मैदान जीतेगा। चूंकि वर्तमान हालात कांडा के पक्ष में है। सिरसा से विधायक गोपाल कांडा प्रदेश में भाजपा को बिना शर्त समर्थन दे रहे है। उनका कांग्रेस से भी बेहतर तालमेल है। कांग्रेसी पार्षद, निर्दलीय पार्षद उनके साथ खड़े है। पिछली बार कांडा की प्रत्याशी रीना सेठी महज एक वोट के अंतर से पराजित हुई थी। ऐसे में यह तय है कि सिरसा नगर परिषद का चेयरमैन वहीं बनेगा, जिसे कांडा का समर्थन हासिल होगा।

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