विश्व गौरेया दिवस लुप्त हो रहे पक्षियों के संरक्षण बारे दी विशेष जानकारी
Dabwalinews.com
शनिवार को विश्व गौरेया दिवस पर अखिल भारतीय बिश्नोई जीव रक्षा सभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रजीत बिश्नोई ने लुप्त हो रहे पक्षियों के संरक्षण बारे विशेष जानकारी आमजन के लिए सांझा की है।उन्होंने बताया कि गांव सक्ताखेड़ा स्थित उनके घर के मुख्यद्वार पर लगी बोगनवेलिया की बेल में करीब 500-600 गौरेया का निवास है। सुबह व शाम के समय जब ये गौरेया चहचहाती हैं तो यह आवाज मन को सुकून देती हैं। इसके अलावा उनके घर में कबूतर और खेत में बने पानी के टेंक में पपीहा, मछली, कछुए भी रहते हैं। इन सभी जीवों को जब हमसे प्यार करता है और सुरक्षा की भावना महसूस होती है तो वहीं पर अपना बसेरा बना लेते हैं। पक्षी व अन्य जीवों से मिलकर प्रकृति का संतुलन है। इसे संरक्षित करने के लिए हम सभी को प्रयास करने चाहिए ताकि प्रकृति अपनी मनमोहक छटा बिखेरती रहे।
शहर व गांवों में चिडिय़ा, कबूतर व अन्य पक्षियों के संरक्षण के उपायों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि गौरेया आदि पक्षी बोगनवेलिया की बेल ज्यादा सुरक्षित महसूस करते हैं क्योंकि उसमें कांटे बहुत होते हैं। उसमें चिडिय़ां के अलावा बड़ा जानवर बिल्ली वगैरा घुस नही सकती है और रात भर चैन से सोती हैं। इसीलिए गौरेया बेल के अंदर रह कर ज्यादा खुश हैं। घरों में गत्ते के खाली डिब्बे, कार्टून पेड़ों पर खुले दरवाजे पर लटका दो बहुत से पक्षी अपना घर बना लेंगे। इनमें ये कबूतर केवल रैन बसेरा करते हैं और दिन भर आसमान में उड़ारी भरते हैं और खेतों आदि में दाना आदि चुगते हैं। उन्होंने कहा कि हमें इन पक्षियों के लिए हम अपनी छत पर दाना पानी रखें तो और भी अच्छी बात है।
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