खतरे में सिरसा क्लब की लोकतांत्रिक व्यवस्था!
Dabwalinews.com
श्रेष्ठीजनों की संस्था सिरसा क्लब की लोकतांत्रिक प्रणाली पर ग्रहण लगता हुआ दिखाई दे रहा है। कई दशकों के बाद मनोहर-वन सरकार में सिरसा क्लब में लोकतांत्रिक प्रणाली बहाल हो पाई थी और अब बने हालात में सिरसा क्लब की लोकतांत्रिक प्रणाली खतरे में पड़ती दिखाई दे रही है।दरअसल, सिरसा क्लब की वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल जून-2020 में ही समाप्त हो चुका है। अब नियमानुसार कार्यकारिणी के चुनाव हर तीन वर्ष बाद होने चाहिए। जिसमें प्रधान का पद सिरसा के उपायुक्त के नाम आरक्षित है। उपायुक्त ही सिरसा क्लब के पदेन अध्यक्ष होते है। शेष पदाधिकारियों का चयन क्लब सदस्यों द्वारा किया जाता है। सिरसा के श्रेष्ठ जनों में शुमार लोग सिरसा क्लब के सदस्य है। सिरसा क्लब की सदस्यता प्राप्त करना ही बड़े गौरव का विषय रहता है। सिरसा के बड़े उद्योगपति, चिकित्सक, समाजसेवी, वकील, राजनेता व अन्य नामी लोग सिरसा क्लब के सदस्य है। क्लब सदस्यों के मनोरंजन व खेलकूद की गतिविधियों के लिए ही क्लब में तमाम प्रकार की सुविधाएं जुटाई गई है। कई दशकों तक सिरसा क्लब में लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल नहीं हो पाई थी। तत्कालीन उपायुक्त-सह-प्रधान द्वारा ही कार्यकारिणी घोषित कर दी जाती थी। लंबे अरसे के बाद लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल हो पाई और क्लब सदस्यों द्वारा कार्यकारिणी का चुनाव शुरू किया गया। लेकिन अब इस व्यवस्था पर खतरा मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है। चूंकि लगभग 8 माह पूर्व समाप्त हुए कार्यकारिणी के कार्यकाल के बावजूद समूची कार्यकारिणी को विस्तार दिया गया है। जबकि ऐसी संस्थाओं के कार्यकाल पूरा होने पर आगामी चुनाव होने तक सचिव को कार्यवाहक सचिव की जिम्मेवारी सौंपी जाती है। लेकिन सिरसा क्लब में पूरी कार्यकारिणी को ही विस्तार दिया गया है। जिससे क्लब सदस्यों में रोष व्याप्त है।
क्लब सदस्य कर चुके चुनाव की मांग
सिरसा क्लब के वरिष्ठ सदस्य सुरेश गोयल, नकुल मोहंता, राजेश मोहंता, संजीव कुमार, राजकुमार, अनिल जैन, अमर सिंह, प्रवीण नरूला व अन्य सदस्यों द्वारा जिला उपायुक्त से सिरसा क्लब के चुनाव करवाए जाने की मांग की जा चुकी है। उनकी ओर से कहा गया है कि कोविड-19 के बहाने चुनाव को टालना सरासर अनुचित है। क्योंकि कोरोना का प्रभाव कम हुआ है। देश-दुनिया में जनजीवन पटरी पर लौट चुका है। तमाम आर्थिक, व्यापारिक गतिविधियां सामान्य हो चुकी है। विभिन्न संस्थाओं के चुनाव सम्पन्न हो चुके है। चुनाव आयोग की ओर से लोकसभा और विधानसभा के चुनाव आयोजित करवाए जा रहे है। ऐसे में सिरसा क्लब के चुनावों को टालना सरासर अनुचित है। आठ माह से अधिक का समय बीत चुका है, ऐसे में सिरसा क्लब के अविलंब चुनाव करवाए जाए। चुनाव में देरी की वजह से श्रेष्ठीजनों के इस क्लब के सदस्यों में शासन-प्रशासन के खिलाफ रोष पनप रहा है।
Labels:
sirsa news
No comments:
Post a Comment