निरंकारी श्रद्धालुओं द्वारा 24 अप्रैल मानव एकता दिवस के रूप में जाएगा मनाया
Dabwalinews.com
निरंकारी श्रद्धालुओं द्वारा 24 अप्रैल शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय संत निरंकारी मिशन के तीसरे गुरू, युग प्रवर्तक बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज का बलिदान दिवस मानव एकता दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
इसे लेकर विश्व भर के निरंकारी श्रद्धालु वरच्युल तरीके से होने वाले सत्संग को श्रवण करेंगे व बाबा गुरबचन सिंह जी के दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेकर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे। यह जानकारी देते हुए निरंकारी साध संगत चौटाला के मुखी डा. राजेंद्र यादव ने बताया कि 41 वर्ष पूर्व 24 अप्रैल 1980 को बाबा गुरबचन सिंह जी ने मानवता को जिंदा रखने के लिए अपने प्राणों की आहूति दी थी। उनका जन्म 10 दिसंबर 1930 को पेशावर में बाबा अवतार सिंह के घर माता बुधवंती की कोख से हुआ। उनमें बचपन से ही वह गुण देखे गए जो साधारण बालकों में दिखाई नहीं देते। दूसरों के दुख दर्द में द्रवित हो जाना, उनकी हर संभव सहायता करना, दूसरों के अवगुणों पर पर्दा डालना व गुणों की प्रशंसा करना, सबको प्यार करना, सहनशीलता व दयाभाव रखना, क्षमा करना आदि उनमें ऐसे गुण थे जो सभी को प्रभावित करते थे। वे पढ़ाई में भी बहुत होशियार थे व हर परीक्षा में अव्वल रहते थे। 22 अप्रैल 1947 को उनका विवाह भाई मन्ना सिंह की पुत्री कुलवंत कौर के साथ हुआ जो विश्व भर में निरंकारी राजमाता जी के नाम से विख्यात हुई। वर्ष 1962 में बाबा अवतार सिंह जी महाराज ने बाबा गुरबचन सिंह को निरंकारी मिशन के तीसरे सत्तगुरू के रूप में प्रकट किया। गुरगद्दी पर बैठकर उन्होंने हिंदु, मुस्लिम, सिख, ईसाई का भेद मिटाकर सबको प्रेम पूर्वक रहने की प्रेरणा दी। प्रचार यात्राओं के द्वारा उन्होंने निरंकारी मिशन के संदेश को भारत देश की सीमाओं से निकाल कर विश्व भर में फैला दिया। इस प्रकार जनकल्याण के देशव्यापी आध्यात्मिक आंदोलन को उन्होंने विश्वव्यापी बनाया। उन्होंने सदियों से गुलामी व अन्याय की चक्की में पिस रहे दलितों और निरीहजनों को ब्रह्म ज्ञान से जोड़कर उन्हें मान सम्मान दिलवाया व उन्हें पूजनीय बनाया जो अपने समय में संसार की सबसे बड़ी देन है।
उन्होंने निरंकारी यूथ फोर्म का गठन कर अपने इकलौते सुपुत्र हरदेव सिंह को इसका कार्यभार संभाला। युवाओं में सेवा की भावना बढ़ाने के लिए उन्हें सेवादल की वर्दी पहनाकर सेवा में जुटने का आदेश दिया। चाचा प्रताप सिंह को निरंकारी सेवादल का प्रभारी बनाकर सेवा के अनेक कार्य सेवादल को सौंप दिए। सेवादल के जवान मिशन की सेवाओं के साथ-साथ देश पर कोई भी विपत्ति आने पर सीना तानकर खड़े होते हैं। उत्कृष्ट सेवा कार्यों के लिए निरंकारी सेवादल को कई राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।
उन्होंनेे बताया कि मानवता के विरोधी लोगों को यह सब बर्दाश्त नहीं हुआ और हमेशा सच की आवाज उठाने वाले बाबा गुरबचन सिंह को दुनियावी धमकियां आने लगी। बाबा जी ने इसकी परवाह न करते हुए जनकल्याण के कार्यों को जारी रखा। आखिरकार 24 अप्रैल 1980 को बाबा गुरबचन सिंह को निरंकारी भवन दिल्ली में शहीद कर दिया गया व इन्सान को प्रीत प्यार की भाषा सिखलाने वाला एक अनुपम शिक्षक हमसे छीन लिया। डा. राजेंद्र यादव ने कहा कि आज बाबा गुरबचन सिंह जी का शरीर भले ही हमारे बीच नही है परंतु उनकी शिक्षाएं आज भी मानवता की पथ प्रदर्शक हैं। उनके द्वारा अधूरे छोड़े गए कार्यों को पूरा करने के लिए चौथेे सदगुरू के रूप में बाबा हरदेव सिंह जी महाराज ने संत निरंकारी मिशन की बागड़ोर संभाली व उस वक्त लाखों श्रद्धालुओं के दिलों में उठने वाली भावनाओं को शांत किया। उन्होंने कहा कि यह बलिदान बाबा गुरबचन सिंह जी का नहीं बल्कि भाई कन्हैया जी की भावनाओं की हत्या है। जो किसी को भी बेगाना नहीं समझते थे, दुश्मनों को भी पानी पिला देते थे। इस बलिदान का बदला लेने का एक ही तरीका है कि बाबा गुरबचन सिंह जी महाराज की मानव एकता की भावना को घर-घर पहुंचाया जाए। उन्होंने इस कार्य को बड़ी तेजी से करके दिखाया। मानव एकता का नया ढंग अपनाते हुए कहा कि रक्त नालियों में नहीं, जरूरतमंदों की रगों में बहे। बाबा गुरबचन सिंह जी के बलिदान दिवस पर लगाए गए रक्तदान शिविर में बाबा हरदेव सिंह जी महाराज व उनकी पत्नी माता सविंदर जी ने स्वयं भी रक्तदान किया और श्रद्धालुओं को इसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद से ही हर वर्ष बाबा गुरबचन सिंह महाराज के बलिदान दिवस को मानव एकता दिवस के रूप में मनाते हुए विश्व भर में रक्तदान शिविर लगा कर उनमें श्रद्धालुओं द्वारा बढ़चढ़ कर रक्तदान किया जाता है। बाबा हरदेव सिंह जी महाराज के ब्रह्मलीन होने के पश्चात मिशन के पंचम सदगुरू माता सविंदर हरदेव जी महाराज के कुशल मार्गदर्शन में संत निरंकारी मिशन के श्रद्धालुओं द्वारा निरंतर मानव भलाई के कार्य किए गए। उनके ब्रह्मलीन होने के बाद निरंकारी मिशन द्वारा सद्गुरू माता सुदीक्षा सविंदर हरदेव जी महाराज के नेतृत्व में मानव भलाई के कार्य किए जा रहे हैं। रक्तदान के साथ वृक्षारोपण, सफाई अभियान, संत समागम आयोजित किए जाते हैं जिसकी विश्व भर में भूरि-भूरि प्रशंसा हो रही है।
उन्होंने बताया कि इस बार कोरोना महामारी के चलते सुबह 10 बजे से निरंकारी मिशन की वेबसाइट व यूटयूब चैनल पर वरच्युल तरीके से ऑनलाइन सत्संग का प्रसारण होगा व विश्व भर के निरंकारी श्रद्धालु घर बैठकर ही इसका श्रवण कर सकेंगे व बाबा गुरबचन सिंह जी के जीवन से प्रेरणा लेंगे।
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