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पोर्टल ने खड़े किए लिफ्टिंग में बेरिकेड्स,आढ़ती, मजदूर, किसान और ट्रांसपोर्टर हो रहे परेशान
Dabwalinews.com
गेहूं खरीद कार्य को सरल किए जाने की बजाए इतना जटिल बना डाला गया है कि इससे हर वर्ग परेशानी का सामना कर रहा है।गेहूं का सीजन अपने यौवन पर है, गेहूं की बंपर आवक हो रही है। लेकिन उचित ढंग से लिफ्टिंग न होने के कारण मंडियां बोरियों से अटी पड़ी है। गेहूं की लिफ्टिंग न होने से आढ़ती, किसान, मजदूर और ट्रांसपोर्टर सभी परेशान है। परेशानी की वजह बना हुआ है पोर्टल।दरअसल, सरकार की ओर से गेहूं खरीद कार्य में पारदर्शिता लाने के लिए ऑनलाइन सिस्टम अपनाया गया है। लेकिन जिन एजेंसियों के माध्यम से पोर्टल तैयार करवाया गया है, उन्हें धरातल की हकीकत का जरा भी ज्ञान नहीं है। यही वजह है कि इन दिनों मंडी में लिफ्टिंग बड़ी समस्या बनी हुई है। दरअसल, पोर्टल के माध्यम से ही गेट पास काटे जाने का प्रावधान किया गया है। पूर्व में आढ़तियों द्वारा गेट पास काटकर ट्रांसपोर्टर को थमाया जाता था। पोर्टल गेट पास आढ़ती की गेहूं खरीद क्षमता अनुसार ही काटता है। यानि किसी आढ़ती 800 क्विंटल की क्षमता है तो पोर्टल 1600 बैग का गेट पास ही जारी करता है। एक समय में इतने बैग भरे होना आवश्यक नहीं है और एक समय में इतने बैग ट्रक में लोड करना भी कठिन है।पोर्टल की खामी की वजह से ट्रक में दूसरे गेट पास का माल लोड नहीं किया जा सकता। यानि एक आढ़ती के यदि 100 बैग गेहूं है तो ट्रक केवल 100 बैग लेकर ही रवाना होगा। दूसरे दुकान से 20-50 बैग लादकर नहीं जाएगा। जबकि पहले व्यवस्था के अनुसार एक ही ट्रक में दो-दो, तीन-तीन दुकानों का माल लाद दिया जाता था।पोर्टल की वजह से बनी परेशानी के कारण माल की लिफ्टिंग नहीं हो रही। जिसके कारण आढ़ती वर्ग परेशान है। वहीं ट्रांसपोर्टरों को भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
सरकारी एजेंसियां कई दशकों से गेहूं खरीद का कार्य कर रही है। एक सीजन में जो समस्या पेश आती है, उसमें सुधार करवाया जा सकता है। लंबे अरसे के अनुभव से तो मंडियों में निर्बाध गति से खरीद और लिफ्टिंग कार्य होना चाहिए था। आढ़ती एसोएिशन, ट्रांसपोर्टर और खरीद एजेंसियों द्वारा मिलकर इसका एक बार में ही स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। लेकिन हर वर्ष एक ही प्रकार की समस्या आती है और शासन-प्रशासन इससे जूझता रहता है?
सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा जो बारदाना दिया जा रहा है, वह बारदाना भी परेशानी का सबब बन रहा है। एजेंसियों की ओर से दो प्रकार का बारदाना गेहूं की भराई के लिए दिया जा रहा है। जिसमें एक जूट का और दूसरा प्लास्टिक का है। आढ़तियों द्वारा उपलब्ध बारदाने में गेहूं की भराई की जाती है और लिफ्टिंग के लिए उनका उठान करवा दिया जाता है। लेकिन जब गेहूं की बोरियों की गोदाम पर अनलोडिंग होती है, तब दिक्कत आती है। अनलोडिंग करते समय एक ही प्रकार के बारदाने के लिए कहा जाता है। जिसके कारण आढ़तियों से लोडिंग के समय एक ही प्रकार के बारदाने का उठान करवाने का आग्रह किया गया है।
गेहूं खरीद कार्य को सरल किए जाने की बजाए इतना जटिल बना डाला गया है कि इससे हर वर्ग परेशानी का सामना कर रहा है।गेहूं का सीजन अपने यौवन पर है, गेहूं की बंपर आवक हो रही है। लेकिन उचित ढंग से लिफ्टिंग न होने के कारण मंडियां बोरियों से अटी पड़ी है। गेहूं की लिफ्टिंग न होने से आढ़ती, किसान, मजदूर और ट्रांसपोर्टर सभी परेशान है। परेशानी की वजह बना हुआ है पोर्टल।दरअसल, सरकार की ओर से गेहूं खरीद कार्य में पारदर्शिता लाने के लिए ऑनलाइन सिस्टम अपनाया गया है। लेकिन जिन एजेंसियों के माध्यम से पोर्टल तैयार करवाया गया है, उन्हें धरातल की हकीकत का जरा भी ज्ञान नहीं है। यही वजह है कि इन दिनों मंडी में लिफ्टिंग बड़ी समस्या बनी हुई है। दरअसल, पोर्टल के माध्यम से ही गेट पास काटे जाने का प्रावधान किया गया है। पूर्व में आढ़तियों द्वारा गेट पास काटकर ट्रांसपोर्टर को थमाया जाता था। पोर्टल गेट पास आढ़ती की गेहूं खरीद क्षमता अनुसार ही काटता है। यानि किसी आढ़ती 800 क्विंटल की क्षमता है तो पोर्टल 1600 बैग का गेट पास ही जारी करता है। एक समय में इतने बैग भरे होना आवश्यक नहीं है और एक समय में इतने बैग ट्रक में लोड करना भी कठिन है।पोर्टल की खामी की वजह से ट्रक में दूसरे गेट पास का माल लोड नहीं किया जा सकता। यानि एक आढ़ती के यदि 100 बैग गेहूं है तो ट्रक केवल 100 बैग लेकर ही रवाना होगा। दूसरे दुकान से 20-50 बैग लादकर नहीं जाएगा। जबकि पहले व्यवस्था के अनुसार एक ही ट्रक में दो-दो, तीन-तीन दुकानों का माल लाद दिया जाता था।पोर्टल की वजह से बनी परेशानी के कारण माल की लिफ्टिंग नहीं हो रही। जिसके कारण आढ़ती वर्ग परेशान है। वहीं ट्रांसपोर्टरों को भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
सरकारी एजेंसियां कई दशकों से गेहूं खरीद का कार्य कर रही है। एक सीजन में जो समस्या पेश आती है, उसमें सुधार करवाया जा सकता है। लंबे अरसे के अनुभव से तो मंडियों में निर्बाध गति से खरीद और लिफ्टिंग कार्य होना चाहिए था। आढ़ती एसोएिशन, ट्रांसपोर्टर और खरीद एजेंसियों द्वारा मिलकर इसका एक बार में ही स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। लेकिन हर वर्ष एक ही प्रकार की समस्या आती है और शासन-प्रशासन इससे जूझता रहता है?
सरकारी खरीद एजेंसियों द्वारा जो बारदाना दिया जा रहा है, वह बारदाना भी परेशानी का सबब बन रहा है। एजेंसियों की ओर से दो प्रकार का बारदाना गेहूं की भराई के लिए दिया जा रहा है। जिसमें एक जूट का और दूसरा प्लास्टिक का है। आढ़तियों द्वारा उपलब्ध बारदाने में गेहूं की भराई की जाती है और लिफ्टिंग के लिए उनका उठान करवा दिया जाता है। लेकिन जब गेहूं की बोरियों की गोदाम पर अनलोडिंग होती है, तब दिक्कत आती है। अनलोडिंग करते समय एक ही प्रकार के बारदाने के लिए कहा जाता है। जिसके कारण आढ़तियों से लोडिंग के समय एक ही प्रकार के बारदाने का उठान करवाने का आग्रह किया गया है।
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7:38:00 AM
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