बचाव के लिए करें स्वयं को 'लॉक' सरकारी हिदायतों की करें पालना, दूसरों की सुरक्षा भी सुनिश्चित करें
Dabwalinews.com
कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है।शासन-प्रशासन की ओर से हरसंभव प्रयास किए जा रहे है। लेकिन कुछेक लोगों द्वारा बरती जा रही ढिलाई की वजह से बड़े समूह को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन की ओर से हिदायतें जारी की है, उनकी हरेक को पालना करनी चाहिए। मुंह पर मास्क पहनने जैसी हिदायत की भी पालना करने से लोग गुरेज कर रहे है। जबकि मास्क पहनकर वे स्वयं को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते है। ऐसा न करने की वजह से वे न केवल अपना और अपने परिवार के स्वास्थ्य को दांव पर लगा रहे है,बल्कि आमजन के स्वास्थ्य को भी दांव पर लगा रहे है।जिस प्रकार से कोरोना के केस बढ़ रहे है। अन्य शहरों में जिस प्रकार से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई है। मरीजों को बैड नहीं मिल रहें, वेंटिलेटर और आक्सीजन की कमी से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में हरेक का यह दायित्व है कि कोरोना को मिलजुलकर हराया जाए। सभी के सामूहिक प्रयासों से ही कोरोना पर जीत हासिल की जा सकती है। शासन-प्रशासन द्वारा मजबूरी में लगाए जाने वाले लॉकडाऊन का किसलिए इंतजार किया जाए। स्वयं पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है। बेवजह बाहर निकलना बंद किजिए। प्रशासनिक अधिकारी दिन-रात व्यवस्था बहाली में जुटे हुए है। अब सामान्य लोगों को भी अपना योगदान देना होगा। कम से कम सरकारी हिदायतों की तो पालना की ही जा सकती है।
कब तक चेताएगा प्रशासन?
कोरोना से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जा चुका है। बचाव के उपाय भी बताए जा चुके है। अब उनकी पालना करना हरेक की जिम्मेवारी है। मगर, लोग मास्क भी पुलिस चालान से बचने के लिए ही पहनते हुए दिखाई देते है। बाजार हो या मंडी, सड़क हो या गली। अधिकांश गले में मास्क लटकाए हुए ही दिखाई देते है। सवाल यह है कि आखिर प्रशासन कब तक चेताएगा? कब लोग स्वयं जागृत होंगे? वर्तमान हालात में मास्क न पहनने को आत्महत्या के प्रयास के समान कहा जाए तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी।
कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है।शासन-प्रशासन की ओर से हरसंभव प्रयास किए जा रहे है। लेकिन कुछेक लोगों द्वारा बरती जा रही ढिलाई की वजह से बड़े समूह को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन की ओर से हिदायतें जारी की है, उनकी हरेक को पालना करनी चाहिए। मुंह पर मास्क पहनने जैसी हिदायत की भी पालना करने से लोग गुरेज कर रहे है। जबकि मास्क पहनकर वे स्वयं को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते है। ऐसा न करने की वजह से वे न केवल अपना और अपने परिवार के स्वास्थ्य को दांव पर लगा रहे है,बल्कि आमजन के स्वास्थ्य को भी दांव पर लगा रहे है।जिस प्रकार से कोरोना के केस बढ़ रहे है। अन्य शहरों में जिस प्रकार से स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई है। मरीजों को बैड नहीं मिल रहें, वेंटिलेटर और आक्सीजन की कमी से जूझना पड़ रहा है। ऐसे में हरेक का यह दायित्व है कि कोरोना को मिलजुलकर हराया जाए। सभी के सामूहिक प्रयासों से ही कोरोना पर जीत हासिल की जा सकती है। शासन-प्रशासन द्वारा मजबूरी में लगाए जाने वाले लॉकडाऊन का किसलिए इंतजार किया जाए। स्वयं पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है। बेवजह बाहर निकलना बंद किजिए। प्रशासनिक अधिकारी दिन-रात व्यवस्था बहाली में जुटे हुए है। अब सामान्य लोगों को भी अपना योगदान देना होगा। कम से कम सरकारी हिदायतों की तो पालना की ही जा सकती है।
कब तक चेताएगा प्रशासन?
कोरोना से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जा चुका है। बचाव के उपाय भी बताए जा चुके है। अब उनकी पालना करना हरेक की जिम्मेवारी है। मगर, लोग मास्क भी पुलिस चालान से बचने के लिए ही पहनते हुए दिखाई देते है। बाजार हो या मंडी, सड़क हो या गली। अधिकांश गले में मास्क लटकाए हुए ही दिखाई देते है। सवाल यह है कि आखिर प्रशासन कब तक चेताएगा? कब लोग स्वयं जागृत होंगे? वर्तमान हालात में मास्क न पहनने को आत्महत्या के प्रयास के समान कहा जाए तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी।
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