वीकेंड लॉकडाऊन को लेकर पेशोपेश में पब्लिक

Dabwalinews.com
प्रदेश सरकार की ओर से सिरसा सहित 9 जिलों में वीकेंड लॉकडाऊन की घोषणा की गई, जिस पर शुक्रवार रात्रि 10 बजे से अमल भी शुरू कर दिया गया।एकाएक की गई लॉकडाऊन की घोषणा से लोग पेशोपेश में आ गए। क्योंकि प्रदेश सरकार की ओर से लॉकडाऊन लगाए जाने से बार-बार इंकार किया गया था। जिसके कारण लोग मानसिक रूप से भी लॉकडाऊन के लिए तैयार नहीं थे। इसके साथ ही लोगों द्वारा दो दिन के लिए लगाए जा रहे लॉकडाऊन के लिए व्यवस्था ही जुटाई हुई थी। सरकार की ओर से शुक्रवार दोपहर बाद आदेश जारी किए गए, लेकिन आमजन तक इसकी सूचना शनिवार को ही मिल पाई। सोशल मीडिया पर भले ही सरकार का संदेश प्रचारित हुआ। लेकिन जिन लोगों के पास एंड्राएड फोन ही नहीं है, उन तक मैसेज कैसे पहुंचता। दिहाड़ीदार-मजदूरों के लिए एकाएक की गई घोषणा ने चौंका दिया। सरकार की ओर से लॉकडाऊन के आदेश को लेकर भी असमंजस बना रहा। इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि फल-सब्जी, दूध और किरयाणा की दुकानें खुल सकती है या नहीं? किस समय से किस समय तक खुल सकती है? चूंकि पिछले साल लॉकडाऊन के दौरान फल-सब्जी, दूध व किरयाणा की दुकानों के लिए सुबह-शाम को कुछ घंटों का समय दिया गया था। मगर, वीकेंड लॉकडाऊन के दौरान ऐसा कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया। यदि पूर्णत: लॉकडाऊन के आदेश है, तब इसकी पूर्व में सूचना दी जानी चाहिए थी। ताकि दूध, फल, सब्जी व अन्य खराब होने वाले सामान का निपटान किया जा सकें। स्पष्ट आदेश न होने के कारण लोग उलझन में ही रहें कि क्या किया जाए? होटल-ढाबों को डिलीवरी की छूट दी गई है, लेकिन वे कब तक खुले रह सकते है, यह स्पष्ट नहीं है? आदेशों में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि घर-घर सब्जी बेची जा सकेगी या नहीं? एकाएक लॉकडाऊन के आदेश ने दिहाड़ीदार मजदूरों, रेहड़ी वालों, खोमचों वालों पर चोट करने का काम किया है। उन्हें संभलने का मौका तक नहीं दिया गया। लोगों द्वारा जरूरी सामान को जुटाया तक नहीं गया है। ऐसे में वे घर से बाहर निकलेंगे तो इसे लॉकडाऊन का उल्लंघन करार दिया जाएगा। बेहतर हों कि प्रशासन इस बारे में पूर्व की भांति स्पष्ट आदेश जारी करें कि किन-किन को छूट रहेगी और समय क्या रहेगा? पब्लिक कोरोना महामारी के दौरान सहयोग करने को तैयार है, पहले भी आदेशों की पालना की है, अब भी तैयार है। लेकिन पब्लिक की समस्या भी समझने की जरूरत है?

बाजार रहें बंद, अधिकारियों ने किया निरीक्षण

सरकार के आदेश की पूरी तरह से पालना की गई। शहर में सभी बाजार पूरी तरह से बंद रहें। कोई भी दुकान खुली दिखाई नहीं दी। दुकानदारों ने पूरा सहयोग किया। बाहरी कालोनियों में भी दुकानें बंद रहीं। साइकिल पेंचर, हेयर सैलून, चाय के खोखे तक बंद रहें। केवल मेडिकल स्टोर, अस्पताल, लैब तथा आवश्यक सेवाओं से जुड़े संस्थान ही खुले थे। बाजार में लोगों की आवाजाही नहीं थी। प्रशासन के स्तर पर अधिकारियों ने विभिन्न बाजारों का निरीक्षण किया। पुलिस प्रशासन की ओर से भी जगह-जगह गश्त की गई और स्थिति पर नजर रखीं गई। मेडिकल एमरजेंसी वाले लोग ही केवल घर से बाहर निकलें।

पहलें पीड़ा सुनें सरकार!

सरकार के स्तर पर लागू किए गए वीकेंड लॉकडाऊन के दौरान व्यवस्था बहाली में जुटे पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को सड़क पर आने वाले की पीड़ा सुनने की जरूरत है। कोरोना से हरेक व्यक्ति विचलित है। कोई भी जान जोखिम में डालकर बाहर निकलने की हिमाकत नहीं करता। जरूरी है कि उसकी कोई मजबूरी रही होगी। ऐसे में धौंस मारने की बजाए सड़क पर आए व्यक्ति की पीड़ा सुनने और उसे सहयोग करने की जरूरत है। चूंकि व्यवस्थाएं जनता के लिए ही बनाई गई है?

पुलिस अधीक्षक कृपया ध्यान दें!

किसी कार्य की सफलता का श्रेय भले ही पुलिस विभाग को न मिलें, लेकिन नाराजगी अवश्य ही पुलिस के खाते में जाती है। लॉकडाऊन को सफल बनाने की जिम्मेवारी पुलिस विभाग की है। सख्ती न करें तो पुलिस की ढिलाई और पुलिस से नाराजगी तय है। वर्तमान हालात में भी यही स्थिति बनी हुई है। ऐसे वक्त में पुलिस अधीक्षक से निवेदन है कि वह अपने मातहत पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों को इस आश्य की अवश्य हिदायत दें कि वे लोगों से नरमी से पेश आए। चूंकि लोग पहले ही परेशान है। किसी पर रोजगार का संकट बना हुआ है तो किसी को दवा का। किसी को आक्सीजन नहीं मिल रहीं तो कोई इंजेक्शन ढूंढ रहा है। किसी को बैड की जरूरत है और किसी को ईलाज के लिए पैसे की। व्यवस्था बहाली के लिए लॉकडाऊन लगाया गया है, लेकिन कुछ पुलिस अधिकारियों का रवैया इस दौरान किसी 'डॉनÓ की माफिक बना रहता है। वे बिना सुनें, बिना जानें, पुलिसिया रौब झाडऩे लगते है। कुछ पुलिस कर्मियों के रवैये से पुलिस विभाग जनता का विश्वास खो देता है। बेहतर होगा कि विपदा की इस घड़ी में खाकी भी मददगार बनकर सामने आए। यदि सहयोग का हाथ न बढ़ा सकें तो कम से कम फटकारे तो नहीं।

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