कौन करवाएगा नियमों की पालना ? बाजारों में नहीं की जा रही सोशल डिस्टेंसिंग, समय सीमा का हो रहा उल्लंघन

Dabwalinews.com

शहर  में जिस प्रकार लॉकडाऊन के नियमों की उल्लंघना की जा रही है, उससे तो लॉकडाऊन को हटा देना ही उचित होगा? सरकार की ओर से 24 मई को 31 मई तक लॉकडाऊन बढ़ाने के आदेश दिए गए। साथ ही दुकानों को सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे तक खोलने की छूट ऑड-इवन फार्मूले के तहत दी।
लेकिन इन आदेशों की पालना कहीं दिखाई नहीं देती। दुकानों के समय को लेकर भी विवाद बना हुआ है। सुबह 7 बजे से दोपहर 12 बजे के आदेश तुगलगी फरमान प्रतीत होते है। आखिर सुबह 7 बजे कौन खरीददारी करने के लिए निकलता है? लोगों की दिनचर्या ही सुबह 9 बजे तक पूरी होती है। गृहणियों की रसोई का कार्य ही सुबह 10 बजे तक होता है, ऐसे में सुबह 7 बजे उठकर कौन बाजार में खरीददारी करने निकलेगा? अचरज की बात यह है कि यह आसान-सी बात भी शासन और प्रशासन को समझ नहीं आती? दुकानों की समय सीमा दोपहर 12 बजे निर्धारित की गई है। खरीददारी करने के लिए लोग सुबह 10 बजे के बाद निकलते है। दूरदराज और गांवों से भी खरीददार 10 बजे के बाद ही मार्केट पहुंचते है। हरेक को दोपहर 12 बजे मार्केट बंद होने का भय सताता रहता है। ऐसे में बाजारों में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कैसे होगी? पिछले पांच दिनों से रोजाना शहर के भीतर जाम की स्थिति बन रही है? कोई सुनवाई करने वाला नहीं है? कोरोना की स्थिति पर नियंत्रण पाया गया है, लेकिन इसकी बड़ी कीमत लगभग एक माह के लॉकडाऊन के रूप में चुकानी पड़ी है। ऐसे में वर्तमान में बरती जा रही ढिलाई भारी पड़ सकती है। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना आखिर कौन करवाएगा? संक्रमण के बढऩे के लिए किसे जिम्मेवार ठहराएंगे? बेहतर होगा कि यदि नियमों की पालना करवाने  में शासन-प्रशासन असमर्थ महसूस करता हो तो लॉकडाऊन को हटा देना ही बेहतर होगा!

टूट रहा आड-इवन फार्मूला

 प्रशासन की ओर से ऑड-इवन फार्मूले से ही दुकानें खोलने की छूट दी गई है। लेकिन बाजारों में इस नियम की सरेआम धज्जियां उड़ रही है। ऑड वाले दिन इवन वाले और इवन वाले दिन ऑड नंबर वाले दुकानदार अपनी-अपनी दुकानें खोले हुए है। द्वारकापुरी जैसी मार्केट में तो कहीं ऑड-इवन का फार्मूला दिखाई ही नहीं देता। कमोबेश यही स्थिति अन्य मार्केट की भी बनी हुई है। अनेक दुकानों के तो केवल शटर ही नीचे होते है, ग्राहक आने पर सेवा हाजिर है।

समय सीमा की परवाह नहीं

प्रशासन की ओर से दोपहर 12 बजे तक समय निर्धारित किया हुआ है। लेकिन बाजारों में दोपहर एक बजे तक तो मेले-जैसा माहौल बना होता है। न दुकानदारों को इसकी परवाह दिखाई देती है और न ही ग्राहकों को। न कहीं पुलिस नजर आती है और न ही नियमों की पालना करवाने वाले अधिकारी। नियमों की पालना के नाम पर केवल चौक-चौराहों पर वाहन चालकों के चालान काटने का उपक्रम किया जाता है।

बाहरी कालोनियों में नहीं कोई डर

 पुलिस व प्रशासन का डंडा केवल शहर के भीतर मार्केट पर ही चलता है। लेकिन बाहरी कालोनियों में न कोई गश्त और न ही नियमों की पालना। न यहां पर ऑड-इवन का कोई फार्मूला जानता है और न ही समय की कोई सीमा है। दूध, सब्जी वाले तो सारा दिन ही दुकान खोले रहते है। किरयाणा वालों को तो जैसे सर्टिफिकेट ही मिला हुआ है। लॉकडाऊन के 29 दिनों में शायद ही इन बाहरी कालोनियों में कोई दुकान बंद करवाने आया हो या नियमों की पालना करवाने की हिदायत ही करने आया हों। ऐसे में कुछ लोगों की ढिलाई का खामियाजा अन्य को भी भुगतना पड़ता है।

लेफ्ट-राइट का फार्मूला और समय में करें बदलाव

 प्रशासन को व्यवस्था में सुधार के लिए बाजारों में ऑड-इवन की बजाए लेफ्ट-राइट का फार्मूला ही अपनाना चाहिए। चूंकि ऑड-इवन का फार्मूला पूरी तरह से फेल हो चुका है। लेफ्ट-राइट फार्मूले में एक भी दुकान खुलने पर दूर से ही नजर चली जाती है और दुकानदार में भय रहता है। इसके साथ ही दुकानों के खुलने का समय 9 बजे से दोपहर 3-4 बजे किया जाना उचित होगा। यह व्यापारियों की भी मांग है। समय में बदलाव और घंटे बढ़ाए जाने से लोगों में भागमभाग की स्थिति पैदा नहीं होगी। खरीददार अपनी सुविधा अनुसार खरीददारी के लिए बाजार निकलेंगे और बाजारों में जाम की स्थिति पैदा नहीं होगी और सोशल डिस्टेंसिंग की भी पालना हो पाएगी।

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