राशन वितरण व सीसीटीवी कैमरों से संबंधित आरटीआई मांगने का मामला, एसपीआईओ-सह-डीएसपी को राज्य सूचना आयोग का नोटिस


Dabwalinews.com

 सरकारी कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2005 में आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम) एक्ट लागू किया गया था। षोड्स वर्ष पूरे होने पर भी सरकारी महकमों में आरटीआई की नियमानुसार पालना नहीं की जा रही। विभागों के राज्य जनसूचना अधिकारी के स्तर पर ही सूचना प्रदान नहीं की जाती। फिर विभाग के ही उच्चाधिकारी के पास प्रथम अपील लगाई जाती है, सूचना फिर भी नहीं मिलती। आखिरकार फरियादी को सूचना प्राप्ति के लिए राज्य सूचना आयोग का द्वार खटखटाना पड़ता है। बीते 16 वर्षों में कामकाज में पारदर्शिता में कोई सुधार नहीं आया। सरकार द्वारा पारदर्शी शासन देने और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस के दावे भी हवाई साबित हुए है। हकीकत तो यह है कि आरटीआई की पालना में बरती जाने वाली ढिलाई की वजह से लोग आरटीआई का इस्तेमाल करने से गुरेज करने लगे है। आरटीआई एक्टिविस्ट पवन पारिक द्वारा विभिन्न मामलों को लेकर सूचना मांगी गई। वांछित सूचना न मिलने पर राज्य सूचना आयोग में अपील दाखिल की गई। सूचना आयोग की ओर से पुलिस विभाग के राज्य जनसूचना अधिकारी-सह-डीएसपी को निम्र मामलों में नोटिस किया गया है:-

1. केस नंबर-1 : घोटाले के आरोपियों की मांगी जानकारी

 पुलिस अधीक्षक कार्यालय से आरटीआई में एफआईआर नंबर 806 के बारे में जानकारी मांगी गई। पूछा गया कि जांच की प्रगति रिपोर्ट दी जाए। जांच के लिए गठित एसआईटी से संबंधित आदेशों की प्रति प्रदान की जाए। पूछा गया कि मामले में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के नामजद अधिकारियों व डिपू होल्डरों की जमानत किस आधार पर कब-कब हुई। आरटीआई में पूछा कि कितने लोग इंक्वारी ज्वाइन कर चुके है। पुलिस विभाग की ओर से बताया गया कि वांछित सूचना अनुसंधानाधीन है। इसलिए एक्ट की धारा 8(1)एच के तहत प्रदान नहीं की जा सकती। पवन पारिक ने राज्य सूचना आयोग में इसकी शिकायत की। आयोग ने मामले की सुनवाई के लिए 20 अगस्त का दिन तय किया है।

2. केस नंबर-2 : सीसीटीवी का मांगा था ब्यौरा

 आरटीआई एक्टिविस्ट पवन पारिक ने एसपी कार्यालय से पुलिस थानों, चौकियों मेें लगाए गए सीसीटीवी कैमरों बारे सूचना मांगी थी। पूछा गया था कि कुल कितने कैमरे और कितनी स्टोरेज क्षमता के लगाए गए है। यह की शहर में कहां-कहां कैमरे लगाए गए है। इन पर कितना खर्च किया गया है। इनकी मरम्मत पर कितनी राशि खर्च की जा चुकी है। यह कि कितने सीसीटीवी कैमरे चालू हालात में है और कितने खराब है। खराब कैमरों को ठीक करवाने बारे विभागीय पत्राचार की प्रति प्रदान की जाए। इस मामले में सूचना प्राप्त न होने पर राज्य सूचना आयोग में अपील की गई। आयोग ने इस पर संज्ञान लेते हुए विभाग के एसपीआईओ-सह-डीएसपी को नोटिस किया है। आगामी 20 अगस्त को सूचना आयुक्त यशपाल सिंघल मामले की सुनवाई करेंगे।

3. केस नंबर-3 : दो विभागों के बीच झूलीं आरटीआई

 राज्य सतर्कता ब्यूरो पंचकूला से आरटीआई में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग सिरसा में हुए घोटाले से संबंधित सूचना मांगी गई थी। पूछा गया था कि 10 अक्टूबर 2017 को एफआईआर नंबर 806 दर्ज की गई थी। इस मामले की जांच का जिम्मा राज्य सतर्कता ब्यूरो को कब दिया गया था और किसने आदेश दिए थे। सतर्कता ब्यूरो ने इस मामले में किन-किन अधिकारियों को दोषी पाया। विभाग की जांच रिपोर्ट की प्रति मांगी गई थी। मामले की जांच करने वाले अधिकारियों के बारे में विवरण मांगा गया था। मामले की वर्तमान स्थिति बारे पूछा गया था। राज्य सर्तकता ब्यूरो पंचकूला ने इसे पुलिस अधीक्षक कार्यालय सिरसा को ट्रंासफर कर दिया कि यह जानकारी एसपीआईओ-कम-डीएसपी सिरसा द्वारा दी जाएगी। एसपीआईओ-कम-डीएसपी की ओर से बताया गया कि सूचना राज्य सर्तकता ब्यूरो से संबंधित है, इसलिए सूचना वे ही देंगे और आरटीआई पंचकूला भेज दी गई। मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट पवन पारिक ने राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। आयोग ने मामले में सुनवाई के लिए 20 अगस्त का दिन तय किया है।

State Information Commission notice to SPIO-cum-DSP, issue of RTI related to ration distribution and CCTV cameras

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