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'नकली केबल' के सहारे पब्लिक हेल्थ के ट्यूबवेल ! नामी कंपनी का मार्का लगाकर देसी केबल का किया गया इस्तेमाल

Dabwalinews.com
सिरसा। पब्लिक हेल्थ विभाग द्वारा सिरसा में स्थापित किए जा रहे ट्यूबवेल के संचालन के लिए नामी कंपनी का मार्का लगी देसी केबल का इस्तेमाल किया जा रहा है।निम्र दर्जे की इस केबल की वजह से न केवल विभाग को चपत लगाई गई है, बल्कि आने वाले दिनों में केबल के जलने से लोगों की पेयजलापूर्ति भी बाधित होना तय है। ट्यूबवेल लगाने का कार्य पब्लिक हेल्थ की मैकेनिकल डिविजन द्वारा किया जाता है। विभाग द्वारा सिरसा में ठेकेदार के माध्यम से ट्यूबवेेल स्थापित करवाए गए है। जानकारी के अनुसार पब्लिक हेल्थ द्वारा द्वारा सिरसा में 15 स्थानों पर ट्यूबवेल के बोर किए गए है। हरेक ट्यूबवेल पर लगभग 700 फुट सबमर्सिबल केबल का इस्तेमाल किया गया है। इस प्रकार लगभग 10 हजार फुट केबल प्रयुक्त की गई है। सूत्र बताते है कि इन ट्यूबवेल पर जो केबल इस्तेमाल की गई है, वह निम्र दर्जे की है, लेकिन उस पर मार्का एक नामी कंपनी का अंकित है। बताया जाता है कि विभागीय कार्य में नकली केबल के इस्तेमाल की भनक केबल कंपनी को भी लग गई। कंपनी की ओर से इस बारे में पुलिस अधीक्षक कार्यालय को शिकायत की गई है। शिकायत एसपी कार्यालय से थाना शहर सिरसा पहुंच चुकी है। नकली केबल के मामले में धोखाधड़ी और कॉपीराइट एक्ट के तहत कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। बताया जाता है कि नकली केबल के इस खेल में पब्लिक हेल्थ विभाग में लगभग 10 लाख का गोलमाल किया गया है।

मंदिर में स्थापित ट्यूबवेल पर भी नकली केबल!

 पब्लिक हेल्थ विभाग की ओर से सिरसा शहर में जिन 15 जगहों पर ट्यूबवेल स्थापित किए गए है, उनमें लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र सरसाईनाथ मंदिर भी शामिल है। मंदिर परिसर में पब्लिक हेल्थ की ओर से ट्यूबवेल स्थापित किया गया है। इसके अलावा फ्रेण्डस कालोनी, सरस्वती कालोनी, गौशाला मोहल्ला में भी नए ट्यूबवेल स्थापित किए है।

विभाग में उच्च स्तर पर गेम!

नकली केबल का इस्तेमाल कर गोलमाल करने के इस खेल में पब्लिक हेल्थ विभाग के आला अधिकारियों की कथित संलिप्तता बताई जाती है। बताया जाता है कि ट्यूबवेल पर इस्तेमाल के लिए 10एमएम केबल के रेट सरकार द्वारा 230 रुपये प्रति मीटर तय किए गए है। जबकि जिस नामी कंपनी की केबल इस्तेमाल दर्शाई गई है उसकी केबल का रेट 320रुपये 50 पैसे प्रति मीटर है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब कंपनी ही 320 रुपये कम में केबल नहीं बेच रही, तब पब्लिक हेल्थ विभाग का ठेकेदार 230 रुपये में किस कंपनी की और किस क्वालिटी की केबल इस्तेमाल कर रहा होगा?

जीएसटी चोरी का भी खेला!

 नकली केबल के इस खेल में जीएसटी चोरी की भी बड़ी आशंका है। चूंकि ठेकेदार द्वारा विभाग को इस केबल की एवज में बिल भी दिया गया है और उसका भुगतान जीएसटी सहित वसूला होगा। चूंकि कंपनी 320 रुपये प्रति मीटर से कम में केबल बेचती ही नहीं, तब ठेकेदार ने केबल खरीदी ही नहीं। जब केबल खरीदी ही नहीं, तब जीएसटी भी अदा नहीं किया। ऐसे में पब्लिक हेल्थ विभाग से वसूला गया जीएसटी डकार लिए जाने की आशंकाए है। यदि मामले की बारीकी से जांच हो तो जीएसटी चोरी के बड़े रैकेट का भी पर्दाफाश हो सकता है। यह भी ज्ञात किया जा सकता है कि आखिर किन फर्मों ने केबल की खरीद और बिक्री दर्शाई? सुनियोजित ढंग से जीएसटी चोरी करने वाले रैकेट में कौन-कौन शामिल है?

दुकानदारों में भी दहशत

 नामी कंपनी के नाम पर केबल बेचने वाले शहर के उन दुकानदारों में दहशत मची हुई है, जोकि किसानों को चपत लगा रहे थे। इन दुकानदारों द्वारा देसी केबल को नामी कंपनी की दर्शाकर बेचा जा रहा था। कई दुकानों पर केबल का स्टॉक भी पाया गया। सूत्र बताते है कि कंपनी के अधिकारियों ने सिरसा में आकर विभिन्न दुकानदारों से केबल के सैंपल इकट्ठा किए और उन्हें जांचने-परखने के बाद इसकी शिकायत एसपी कार्यालय में की। बताया जाता है कि 13 जुलाई को एसपी कार्यालय में दी गई शिकायत थाना शहर में पहुंच चुकी है। अब थाना शहर सिरसा पुलिस की ओर से कार्रवाई किए जाने की देर है। चूंकि पुलिस इन दिनों किसान आंदोलन की वजह से व्यस्त है, ऐसे में नकली केबल बेचने वाले बचे हुए है। जल्द ही नामी कंपनी की डुप्लीकेट केबल बेचने वाले दुकानदारों के चेहरे बेनकाब होंगे।

कैथल में हो चुका खुलासा

नामी कंपनी के नाम से नकली केबल बेचने मामले में कैथल पुलिस द्वारा कार्रवाई अमल में लाई जा चुकी है। कैथल में पुलिस ने इस नामी कंपनी के मैनेजर अभय शुक्ला व सहायक प्रबंधक धर्मेंद्र सिंह की शिकायत पर रेलवे पुल के नीचे एक मिल स्टोर पर औचक छापा मारा था और कंपनी का मार्का लगी नकली केबल बरामद की थी। इसे कंपनी की बताकर लोगों से धोखाधड़ी की जा रही थी। कंपनी के ही अधिकारियों की ओर से सिरसा में भी पुलिस से शिकायत की गई है। बताया जाता है कि पब्लिक हेल्थ विभाग में ट्यूबवेल लगाने का ठेका जींद के ही किसी ठेकेदार के पास है।

 फर्जी बिलों का भी खेल!

नामी कंपनी की केबल की आड़ में बेची जा रही केबल के खेल में जीएसटी की चोरी भी की जा रही है। सरकारी महकमे को तो जिन फर्मों अथवा दुकानदारों ने माल बेचा, वे तो पुलिस जांच में सामने आएंगे ही। जिन दुकानदारों द्वारा किसानों को केबल बेची जा रही है, वे भी जीएसटी की चोरी में संलिप्त है। चूंकि माल कंपनी का नहीं है, ऐसे में बिलों के फर्जी होने की पूरी-पूरी संभावना है। अधिकांश किसानों को पक्के बिल दिए ही नहीं जाते और उनसे पूरे पैसे वूसले जाते है। जिन किसानों द्वारा पक्का बिल मांगा जाता है, उन्हें जीएसटी लगाकर बिल थमाया जाता है। यानि ग्राहक से जीएसटी के रूप में पैसा वसूला जाता है। चूंकि केबल की खरीद ही नहीं की जाती, तब जीएसटी किसे अदा करेंगे? ऐसे में दुकानदारों द्वारा फर्जी बिलों के इस्तेमाल की बड़ी आशंका है। यदि पुलिस मामले की पड़ताल करेगी तब बड़ा घोटाला सामने आ पाएगा।

पुलिस कब करेगी रेड?

नकली केबल मामले की शिकायत मिलने पर पुलिस अधीक्षक डा. अर्पित जैन द्वारा तुरंत एसएचओ सिटी को कार्रवाई के निर्देश दिए। शिकायत संख्या ३०१७/१३.०७.२०२१ पर कार्रवाई के लिए सब इंस्पेक्टर को रेड करने की जिम्मेवारी सौंपी गई। लेकिन एक सप्ताह का अंतराल बीतने पर भी पुलिस ने नकली केबल बेचने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। बताया गया कि पुलिस किसान आंदोलन में व्यस्त है। सवाल यह है कि क्या किसान आंदोलन की वजह से मामले को टाला जाएगा? क्या रेड करने में देरी से नकली केबल बेचने वालों को बच निकलने की मोहलत दी जा रही है? सिरसा में किसान आंदोलन तो पिछले 9 माह से जारी है, ऐसे मामलों में आखिर कब कार्रवाई होगी? माना जाता है कि ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई की जानी चाहिए।

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