स्टेट क्राइम ब्रांच की सिरसा में धरपकड़ , फर्जी फर्मों के सरगना अनुपम सिंगला के सहयोगियों को दबोचा

Dabwalinews.com
सिरसा। फर्जी फर्मों के कारोबार से जुड़े लोगों की धरपकड़ की दिशा में स्टेट क्राइम ब्रांच द्वारा पेशेवर अंदाज से कार्य किया जा रहा है। जहां क्राइम ब्रांच द्वारा फर्जी फर्मों के सरगनाओं की प्रोपर्टी कुर्क करने की प्रक्रिया को अपनाया जा रहा है, वहीं मामले की तह तक जाने का कार्य किया जा रहा है।यही वजह है कि फर्जी फर्मों के कारोबार के खिलाफ स्टेट क्राइम ब्रांच की सफलता का ग्राफ बेहद शानदार है।जानकारी के अनुसार स्टेट क्राइम ब्रांच की टीम ने बीते दिनों सिरसा में दबिश दी और सिरसा में तीन लोगों की धरपकड़ की है। काबू किए गए लोगों के संपर्क फर्जी फर्मों के कारोबार में गिरफ्त में लिए गए अनुपम सिंगला से बताया जाता है। सूत्र बताते है कि स्टेट क्राइम ब्रांच ने अनुपम सिंगला के ड्राइवर रहे सुनील और सहायक रहें प्रवीण को हिरासत में लिया है। इन पर आरोप है कि अनुपम सिंगला के कारोबार में सहयोगी बने हुए थे। वर्णनीय है कि अनुपम सिंगला से क्राइम ब्रांच कई मामले उगलवा चुकी है।
स्टेट क्राइम ब्रांच ने खोद डाली जड़े
स्टेट क्राइम ब्रांच ने पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) हरियाणा मनोज यादव की अगुवाई में फर्जी फर्मों के मामलों की जड़े खोद डालने का काम किया। क्राइम ब्रांच ने जीएसटी फर्जी चालान घोटाले में 112 करोड़ रुपये से अधिक की रिकवरी कर जाली जीएसटी आइडंटिफिकेशन नंबर (जीएसटीआईएन) का भी खुलासा किया है। स्टेट क्राइम ब्रांच ने छह दर्जन से अधिक मामले दर्ज किए तथा 89 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया। क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्त में लिए गए गोविंद शर्मा, गौरव, अनुपम सिंगला और राकेश अरोड़ा के खिलाफ ही 40 से अधिक मामले दर्ज हैं।
इस प्रकार किया जाता है फर्जीबाड़ा

फर्जी फर्मों के माध्यम से कारोबार करने वालों द्वारा फर्जी ई-वे बिल (कंसाइनमेंट ट्रांसपोर्ट करने के लिए जीएसटी से संबंधित चालान) के माध्यम से माल की वास्तविक आपूर्ति के बिना कई फर्मों और कंपनियों को फर्जी चालान जारी किए जाते है और जीएसटीआर-3 बी फार्म के माध्यम से जीएसटी पोर्टल पर फेक इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) किए जाते है। फर्जी जीएसटी चालान, ई-वे बिल और जाली बैंक लेनदेन की मदद से इन सरगनाओं द्वारा करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की जाती है। फर्जी फर्मों के सरगना भोले-भाले लोगों के नाम पर जीएसटी पोर्टल पर फर्जी फर्मों का पंजीकरण करते थे और फिर बिज़ीएप्प, टैलीऐप और शकुन सॉफ्टवेयर जैसे एप्स का उपयोग करके इन फर्मों के बिल तैयार करते है। इन ई-वे बिल में एंबुलेंस, सरकारी वाहन, मोटरसाइकिल, निजी स्वयं के वाहनों से संबंधित वाहन संख्याओं का उल्लेख किया जाता है।

सिरसा पुलिस के लिए चुनौती
स्टेट क्राइम ब्रांच की फर्जी फर्मों के खिलाफ लगातार कार्रवाई जिला पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है। चूंकि सिरसा को फर्जी फर्मों की राजधानी कहा जाता है। देश के विभिन्न राज्यों में फर्जी फर्मों के तार सिरसा से ही जुड़े हुए पाए जाते है। अकेले अनुपम सिंगला पर प्रदेश के विभिन्न जिलों में 90 से अधिक फर्मों का संचालन कर 660 करोड़ का जीएसटी फ्राड करने का आरोप है। फर्जी फर्मों के कारोबार में अनुपम सिंगला तो इस धंधे की महज एक छोटी मच्छी है, जबकि 'एमआरपीÓ मगरमच्छ। ऐसे में सिरसा पुलिस के लिए फर्जी फर्मों के नेक्सस को नेतनाबूत करने के लिए एमआरपी पर हाथ डालना ही होगा। वैसे भी आईजी हिसार द्वारा गठित एसआईटी से फर्जी फर्मों के मामले लौटकर सिरसा पुलिस के पास पहुंच गए है। सिरसा पुलिस आबकारी एवं कराधान विभाग के नामजद अधिकारियों को गिरफ्तार करके इस धंधे से जुड़े लोगों को बेनकाब कर सकती है। देखना होगा कि पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह फर्जी फर्मों के मामले में कितनी सख्ती दिखा पाते है?

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