सरकारी महकमे ही उड़ा रहें सुरक्षा प्रबंधों की धज्जियां, बगैर एनओसी के लघु सचिवालय, जिला पुलिस मुख्यालय, सिविल अस्पताल व नगर परिषद
Dabwalinews.com
सरकारी व गैर-सरकारी भवनों के निर्माण के समय सुरक्षा प्रबंधों का विशेष ध्यान रखा जाता है। आगजनी की स्थिति में बचाव के लिए दमकल विभाग से एनओसी की शर्त लागू की गई है। बगैर एनओसी के ऐसे भवनों में कोई भी गतिविधि संचालित करने की अनुमति नहीं दी जाती। नियमों की कड़ाई से पालना करवाई जाती है ताकि आपदा की स्थिति में स्थिति नियंत्रित की जा सकें।देश-प्रदेश में अनेक जगहों पर आगजनी की घटनाओं में भारी जानी व माली नुकसान उठाना पड़ा है। हाल के दिनों में कई अस्पतालों में आग लग जाने से मरीजों की जान चली गई। इसके साथ ही दिल्ली के सिनेमा हाल में लगी आग से सैकड़ों दर्शकों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। दशकों बीत जाने के बाद भी डबवाली अग्रिकांड को याद करके सिहर जाते है लोग। आगजनी की घटनाओं पर अंकुश लगाने तथा स्थिति पर समय रहते नियंत्रण बनाने के लिए दमकल विभाग से एनओसी की अनिवार्यता की गई है। दमकल विभाग द्वारा सुरक्षा प्रबंधों की पुष्टि करने के बाद ही एनओसी जारी की जाती है। विभाग द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि आगजनी की स्थिति में बचाव के मार्ग है या नहीं? फायर फाइटिंग उपकरण लगाए गए है या नहीं? हौज पाइप स्थापित किए गए है या नहीं? भवन में आने और जाने के लिए रास्ते बने हुए है या नहीं? आवागमन के रास्ते में कोई बाधा तो नहीं है? दमकल विभाग द्वारा तय मापदंडों को परखने के बाद ही एनओसी दी जाती है। विभाग से एनओसी लिया जाना अनिवार्य है। लेकिन सिरसा में सरकारी महकमे बिना एनओसी के संचालित है। जिन भवनों में रोजाना हजारों लोगों का आना-जाना होता है, जहां सैकड़ों अधिकारी-कर्मचारी काम करते है, उन भवनों को दमकल विभाग से बगैर एनओसी लिए ही संचालित किया जा रहा है। यानि सुरक्षा से सरेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। सरकारी महकमों द्वारा सुरक्षा ताक पर धरने का खुलासा आरटीआई में मांगी गई जानकारी में हुआ है। दमकल केंद्र अधिकारी सिरसा द्वारा इस आश्य की जानकारी दी गई है कि सिरसा में न केवल लघु सचिवालय, नागरिक अस्पताल, जिला पुलिस हैड क्वार्टर, डिस्ट्रिक कोर्ट, नगर परिषद, आबकारी एवं कराधान विभाग, आयकर विभाग व अन्य द्वारा एनओसी नहीं ली गई है। आरटीआई में आई यह चौंकाने वाली जानकारी से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने बड़े स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है? यदि दमकल विभाग से एनओसी की अनिवार्यता गैर-जरूरी है, तब अन्य को भी एनओसी लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए?
100 बैड का अस्पताल बगैर एनओसी!
सिरसा का सिविल अस्पताल 100 बैड की क्षमता का है, जिसमें क्षमता से अधिक मरीजों का उपचार किया जाता है। लगभग 9500 वर्ग मीटर वाले अस्पताल के इस भवन के लिए दमकल विभाग से एनओसी तक हासिल नहीं की गई है। यानि आगजनी की स्थिति में मरीजों, चिकित्सकों, स्टॉफ का भगवान ही मालिक है? नागरिक अस्पताल का एक भवन 7050 वर्ग मीटर का है, जबकि ट्रोमा सेंटर का भवन 2450 वर्ग मीटर का। पुराना भवन तीन मंजिला है, जबकि ट्रोमा सेंटर दो मंजिला। देश में अनेक जगहों पर अस्पतालों में लगी आग से बड़े हादसे घटित हुए है। मगर, सिरसा के सिविल अस्पताल के लिए दमकल विभाग से एनओसी कई दशक बाद भी हासिल नहीं की गई है। जाने क्यों लोगों की जान जोखिम में डाली जा रही है? क्या किसी हादसे के बाद सुरक्षा इंतजाम किए जाएंगें?
लघु सचिवालय का तो बिगाड़ा नक्शा!
लघु सचिवालय की ड्राइंग के साथ ही खिलवाड़ किया गया है। सुरक्षा मानकों के तहत जिस जगह को खुला छोड़ा गया था, वहां पर केबिन बनाकर बंद कर दिया गया है। आने-जाने के लिए बनाए गए रास्तों में अलमारी व अन्य सामान रखकर अवरोधक पैदा किए गए है। लघु सचिवालय में हौज पाइप व अन्य सुरक्षा उपकरण सफेद हाथी बने हुए है।
आपदा प्रबंधन की रिहर्सल की नौटंकी!
जिला प्रशासन की ओर से हर वर्ष आपदा प्रबंधन के नाम पर रिहर्सल की नौटंकी की जाती है। आपात्त स्थिति में बचाव के उपाय के नाम पर भाषण पिलाए जाते है। लेकिन जिन अधिकारियों को जनसुरक्षा सुनिश्चित करने चाहिए, उन्हीं की नाक के नीचे सुरक्षा प्रबंधों की पालना नहीं की जाती?
बगैर एनओसी के हुडा विभाग
हरियाणा अर्बन डिवलपमेंट अथार्रिटी (हुडा) नया नाम हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) की हुडा सेक्टर में एनओसी को लेकर जो दादागिरी चलती है, उसकी पीड़ा वे ही अधिक जानते है जिनका हुडा से वास्ता पड़ा हो। विभाग द्वारा अपने नियमों के अनुरूप ही निर्माण करने के लिए बाध्य किया जाता है। एनओसी जारी करने में मीनमेख निकाले जाते है। लेकिन जब इसी हुडा विभाग को अपने ही कार्यालय के लिए दमकल विभाग से एनओसी लेने की बात आई तो नियम ताक पर धर दिए गए। आरटीआई में हुडा अब एचएसवीपी द्वारा कहा गया कि वह हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा निर्मित एससीएफ नंबर-23 में अस्थायी तौर पर चलाया जा रहा है, इसलिए उसने दमकल विभाग से एनओसी नहीं ली। विभाग की दलील कितनी पचती है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। विभागीय अधिकारियों द्वारा अपने बचाव में कार्यालय में लगाए गए सीज फायर के फोटो भेजे है।
आरटीआई ने खोली पोल
अग्रसेन कालोनी निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट प्रो. करतार सिंह ने सरकारी महकमों द्वारा प्राप्त की गई एनओसी की जानकारी मांगी थी। जिसके जवाब में दमकल केंद्र अधिकारी सिरसा द्वारा बताया गया कि विभिन्न सरकारी महकमों द्वारा विभाग से एनओसी प्राप्त नहीं की गई है।
सरकारी व गैर-सरकारी भवनों के निर्माण के समय सुरक्षा प्रबंधों का विशेष ध्यान रखा जाता है। आगजनी की स्थिति में बचाव के लिए दमकल विभाग से एनओसी की शर्त लागू की गई है। बगैर एनओसी के ऐसे भवनों में कोई भी गतिविधि संचालित करने की अनुमति नहीं दी जाती। नियमों की कड़ाई से पालना करवाई जाती है ताकि आपदा की स्थिति में स्थिति नियंत्रित की जा सकें।देश-प्रदेश में अनेक जगहों पर आगजनी की घटनाओं में भारी जानी व माली नुकसान उठाना पड़ा है। हाल के दिनों में कई अस्पतालों में आग लग जाने से मरीजों की जान चली गई। इसके साथ ही दिल्ली के सिनेमा हाल में लगी आग से सैकड़ों दर्शकों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। दशकों बीत जाने के बाद भी डबवाली अग्रिकांड को याद करके सिहर जाते है लोग। आगजनी की घटनाओं पर अंकुश लगाने तथा स्थिति पर समय रहते नियंत्रण बनाने के लिए दमकल विभाग से एनओसी की अनिवार्यता की गई है। दमकल विभाग द्वारा सुरक्षा प्रबंधों की पुष्टि करने के बाद ही एनओसी जारी की जाती है। विभाग द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि आगजनी की स्थिति में बचाव के मार्ग है या नहीं? फायर फाइटिंग उपकरण लगाए गए है या नहीं? हौज पाइप स्थापित किए गए है या नहीं? भवन में आने और जाने के लिए रास्ते बने हुए है या नहीं? आवागमन के रास्ते में कोई बाधा तो नहीं है? दमकल विभाग द्वारा तय मापदंडों को परखने के बाद ही एनओसी दी जाती है। विभाग से एनओसी लिया जाना अनिवार्य है। लेकिन सिरसा में सरकारी महकमे बिना एनओसी के संचालित है। जिन भवनों में रोजाना हजारों लोगों का आना-जाना होता है, जहां सैकड़ों अधिकारी-कर्मचारी काम करते है, उन भवनों को दमकल विभाग से बगैर एनओसी लिए ही संचालित किया जा रहा है। यानि सुरक्षा से सरेआम खिलवाड़ किया जा रहा है। सरकारी महकमों द्वारा सुरक्षा ताक पर धरने का खुलासा आरटीआई में मांगी गई जानकारी में हुआ है। दमकल केंद्र अधिकारी सिरसा द्वारा इस आश्य की जानकारी दी गई है कि सिरसा में न केवल लघु सचिवालय, नागरिक अस्पताल, जिला पुलिस हैड क्वार्टर, डिस्ट्रिक कोर्ट, नगर परिषद, आबकारी एवं कराधान विभाग, आयकर विभाग व अन्य द्वारा एनओसी नहीं ली गई है। आरटीआई में आई यह चौंकाने वाली जानकारी से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने बड़े स्तर पर लापरवाही बरती जा रही है? यदि दमकल विभाग से एनओसी की अनिवार्यता गैर-जरूरी है, तब अन्य को भी एनओसी लेने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए?
100 बैड का अस्पताल बगैर एनओसी!
सिरसा का सिविल अस्पताल 100 बैड की क्षमता का है, जिसमें क्षमता से अधिक मरीजों का उपचार किया जाता है। लगभग 9500 वर्ग मीटर वाले अस्पताल के इस भवन के लिए दमकल विभाग से एनओसी तक हासिल नहीं की गई है। यानि आगजनी की स्थिति में मरीजों, चिकित्सकों, स्टॉफ का भगवान ही मालिक है? नागरिक अस्पताल का एक भवन 7050 वर्ग मीटर का है, जबकि ट्रोमा सेंटर का भवन 2450 वर्ग मीटर का। पुराना भवन तीन मंजिला है, जबकि ट्रोमा सेंटर दो मंजिला। देश में अनेक जगहों पर अस्पतालों में लगी आग से बड़े हादसे घटित हुए है। मगर, सिरसा के सिविल अस्पताल के लिए दमकल विभाग से एनओसी कई दशक बाद भी हासिल नहीं की गई है। जाने क्यों लोगों की जान जोखिम में डाली जा रही है? क्या किसी हादसे के बाद सुरक्षा इंतजाम किए जाएंगें?
लघु सचिवालय का तो बिगाड़ा नक्शा!
लघु सचिवालय की ड्राइंग के साथ ही खिलवाड़ किया गया है। सुरक्षा मानकों के तहत जिस जगह को खुला छोड़ा गया था, वहां पर केबिन बनाकर बंद कर दिया गया है। आने-जाने के लिए बनाए गए रास्तों में अलमारी व अन्य सामान रखकर अवरोधक पैदा किए गए है। लघु सचिवालय में हौज पाइप व अन्य सुरक्षा उपकरण सफेद हाथी बने हुए है।
आपदा प्रबंधन की रिहर्सल की नौटंकी!
जिला प्रशासन की ओर से हर वर्ष आपदा प्रबंधन के नाम पर रिहर्सल की नौटंकी की जाती है। आपात्त स्थिति में बचाव के उपाय के नाम पर भाषण पिलाए जाते है। लेकिन जिन अधिकारियों को जनसुरक्षा सुनिश्चित करने चाहिए, उन्हीं की नाक के नीचे सुरक्षा प्रबंधों की पालना नहीं की जाती?
बगैर एनओसी के हुडा विभाग
हरियाणा अर्बन डिवलपमेंट अथार्रिटी (हुडा) नया नाम हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) की हुडा सेक्टर में एनओसी को लेकर जो दादागिरी चलती है, उसकी पीड़ा वे ही अधिक जानते है जिनका हुडा से वास्ता पड़ा हो। विभाग द्वारा अपने नियमों के अनुरूप ही निर्माण करने के लिए बाध्य किया जाता है। एनओसी जारी करने में मीनमेख निकाले जाते है। लेकिन जब इसी हुडा विभाग को अपने ही कार्यालय के लिए दमकल विभाग से एनओसी लेने की बात आई तो नियम ताक पर धर दिए गए। आरटीआई में हुडा अब एचएसवीपी द्वारा कहा गया कि वह हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा निर्मित एससीएफ नंबर-23 में अस्थायी तौर पर चलाया जा रहा है, इसलिए उसने दमकल विभाग से एनओसी नहीं ली। विभाग की दलील कितनी पचती है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। विभागीय अधिकारियों द्वारा अपने बचाव में कार्यालय में लगाए गए सीज फायर के फोटो भेजे है।
आरटीआई ने खोली पोल
अग्रसेन कालोनी निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट प्रो. करतार सिंह ने सरकारी महकमों द्वारा प्राप्त की गई एनओसी की जानकारी मांगी थी। जिसके जवाब में दमकल केंद्र अधिकारी सिरसा द्वारा बताया गया कि विभिन्न सरकारी महकमों द्वारा विभाग से एनओसी प्राप्त नहीं की गई है।
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