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भट्ठा उद्योग पर संकट के बादल गहराए , कोयले के रेटों में बढ़ौतरी से डगमगाया ईंट-भट्ठों का धंधा

Dabwalinews.com
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोयले के बढ़े दामों के कारण ईंट भट्ठा उद्योग संकट में आ गया है। कुछ समय के अंतराल में ही कोयले के दामों में दोगुणा वृद्धि का इस उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ा है। जो कोयला पहले 9 से 10 हजार रुपये प्रति टन था, उसके दाम बढ़कर 23 हजार रुपये प्रति टन पहुंच गए है। इसके अलावा कांडला पोर्ट से भट्ठे तक पहुंचने का लगभग 3 हजार रुपये प्रति टन किराया भी वहन करना पड़ता है। दरअसल, नई तकनीक वाले ईंट भट्ठों पर विशेष प्रकार का कोयला ही इस्तेमाल होता है, जिसकी पूर्ति अमेरिका करता है। मलेशिया व अन्य देश भी इस प्रकार के कोयले का निर्यात करते है, मगर ईंट भट्ठों के लिए अमेरिका वाले कोयले की ही अधिक मांग है।एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने पर्यावरण संरक्षण के लिए पुरानी पद्वति के ईंट भट्ठों की बजाए जिगजैग तकनीक वाले भट्ठे लगाने के आदेश दिए थे। जिगजैग तकनीक वाले ईंट भट्ठों पर अमेरिका वाला कोयला ही इस्तेमाल होता है। यह कोयला एक प्रकार के पाऊडर रूप में होता है। सामान्य कोयले का ईंट भट्ठों पर इस्तेमाल नहीं होता। अमेरिका पर निर्भरता की वजह से न केवल सिरसा अथवा हरियाणा बल्कि देशभर के ईंट भट्ठों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सिरसा जिला में 125 ईंट भट्ठे है। फिलहाल ईंटों के भाव 5 हजार रुपये प्रति हजार है। कोयले के बढ़े भाव की वजह से निकट भविष्य में ईंटों के भाव 7 हजार रुपये प्रति हजार पहुंचने की आशंका बन गई है। कोयले की कीमत में बेतहाशा वृद्धि के कारण भट्ठा संचालकों के काम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उनका पूंजी निवेश भी बढ़ गया है। कीमत अधिक होने से बिक्री भी प्रभावित होना तय है। ऐसे में ईंट भट्ठा उद्योग भारी संकट में घिरा हुआ है। जिसे सरकार से जल्द मिलने वाले बूस्टर से ही बचाया जा सकेगा।

अवैध भट्ठों की पौ-बारह

जिला में कई ईंट भट्ठे नियम-कायदों को ताक पर धरकर संचालित किए जा रहे है। ऐसे भट्ठों पर न तो एनजीटी के निर्देशानुसार जिगजैग तकनीक अपनाई गई है और न ही आयायित कोयले का ही इस्तेमाल किया जाता है। पुरानी पद्वति पर आधारित ऐसे भट्ठों पर पुराने टायर, तूड़ा व अन्य पदार्थ जलाए जाते है। ऐसे भट्ठों द्वारा तैयार ईंटों के रेट भी मार्केट में कम है। ऐसे अवैध भट्ठों के कारण ही वैध भट्ठों को मार पड़ रही है। विभाग द्वारा जिन भट्ठों को नोटिस दिए गए, उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती।

रेट तय करती है सरकार

ईंट भट्ठा संचालकों द्वारा तैयार माल की कीमत सरकार द्वारा तय की जाती है। ईंट तैयार करने की लागत कितनी आती है, कितना जोखिम झेलना पड़ता है। इससे हटकर सरकार ईंटों के रेट तय करती है, जिसके कारण भट्ठा संचालकों को अनेक बार घाटा सहना पड़ता है। यही वजह है कि ईंट भट्ठों के कारोबार से लोगों का मन उठ गया है।

लेबर रेट भी सरकारी

ईंट भट्ठा संचालकों के साथ लेबर रेट को लेकर भी पक्षपात करने के आरोप लगते रहे है। सरकार द्वारा ईंट तैयार करने वाली लेबर के रेट साल-छह माह में तय किए जाते है। रेट तय करते समय प्रदेश के 3 हजार से अधिक भट्ठा संचालकों के प्रतिनिधि को बुलाया तक नहीं जाता। भट्ठा संचालकों को सरकार द्वारा तय लेबर अदा करने पर मजबूर किया जाता है।

गारा बनाने की लेबर भट्ठा मालिकों पर

नई तकनीक के ईंट भट्ठों में ईंट तैयार करने के लिए गारा मशीनों से तैयार किया जाता है। इसके लिए 225 रुपये प्रति हजार ईंट का खर्च भट्ठा मालिकों को वहन करना पड़ता है। सरकार द्वारा ईंटों की लेबर के रेट तय करते समय गारा बनाने की लेबर की राशि में कटौती नहीं की जाती। लेबर सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन में इसका जिक्र न होने की दलील देते हुए 225 रुपये कटवाने से इंकार कर देती है, जिसकी वजह से यह खर्च भट्ठा मालिकों को ही वहन करना पड़ता है।

विकास कार्य हो सकते है प्रभावित

कोयले के दामों में बढ़ौतरी से जब र्ईंट भट्ठा उद्योग प्रभावित होगा तो इसका असर विकास कार्यों पर भी पडऩा तय है। विकास कार्यों की नींव ही ईंट पर रखी जाती है। जब ईंटों के दाम बढ़ेंगे, तब भट्ठों से ईंटों की आपूर्ति भी प्रभावित होंगे। जिसके कारण प्रदेशभर में नए निर्माण कार्यांे में व्यवधान आ सकता है। चालू कार्य भी ईंटों की वजह से प्रभावित हो सकते है। ऐसे में भट्ठा उद्योग पर आए संकट से हर वर्ग का प्रभावित होना तय है।

विकल्प मुहैया करवाएं सरकार : झूंथरा

ईंट भट्ठा एसोसिएशन के जिला प्रधान व प्रदेश संरक्षक भीम झूंथरा ने कहा कि कोयले की कीमत में बढ़ौतरी से संकट खड़ा हो गया है। इसलिए सरकार को अमेरिकी कोयले का कोई विकल्प देना चाहिए। इसके साथ ही ईंटों की कीमत लागत आधार पर तय की जानी चाहिए तथा लेबर के रेट तय करते समय भी ईंट भट्ठा एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। श्री झूंथरा ने कहा कि गारा बनाने पर आने वाला खर्च लेबर से काटा जाना चाहिए।

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