बैंक की शिकायत पर साढ़े पांच माह बाद दर्ज किया धोखाधड़ी का मामला,लोन चुकाए बगैर प्रोपर्टी बेचने का आरोप, फाइलों में दबी थी शिकायत

Dabwalinews.com
सिरसा। शहर थाना पुलिस ने सिंडीकेट बैंक (अब केनरा बैंक) के वरिष्ठ प्रबंधक धीरज कुमार की शिकायत पर कृष्ण कुमार गोयल पुत्र हरीशचंद्र गोयल के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।शिकायत में कहा गया है कि आरोपी ने अपनी प्रोपर्टी बैंक के पास गिरवी रखकर लोन लिया था। लोन को चुकाए बगैर फर्जी दस्तावेज से अपनी प्रोपर्टी किसी ओर को बेच दी। पुलिस ने भादंसं की धारा 406, 420, 467, 468, 471, 472 के तहत मामला दर्ज किया है। मामले की जांच का जिम्मा उप निरीक्षक सुभाष को सौंपा गया है। बैंक प्रबंधन की ओर से 10 मार्च 2021 को धोखाधड़ी की शिकायत की गई थी। शहर थाना सिरसा के बगल में स्थित इस बैंक के साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत पर कार्रवाई के लिए बैंक प्रबंधन द्वारा 28 जुलाई 2021 को पुन: रिमाइंडर जारी करना पड़ा। अब लगभग साढ़े पांच माह बाद पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया गया है।

क्या था मामला
 सिटी थाने के बगल में स्थित सिंडिकेट बैंक (अब केनरा बैंक) के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक की ओर से पुलिस को दी गई शिकायत में बताया कि बी-ब्लॉक निवासी कृष्ण गोयल पुत्र हरीश चंद्र गोयल द्वारा स्वयं को मैसर्ज गोयल टे्रडिंग कंपनी का प्रोपटराइर बताया। उसने अपने बी-ब्लॉक स्थित मकान नंबर-232 को बैंक में रहन रखकर 25 लाख की सीसी लिमिट का लोन लिया। इसके साथ ही 12 लाख 87 हजार का हाऊसिंग लोन भी लिया। उसने तीसरा लोन 7 लाख रुपये अगेंस्ट प्रोपर्टी लिया। तीनों मामले में उसका मकान बैंक को रहन रखा गया था।
बैंक की ओर से शिकायत में बताया गया कि कृष्ण गोयल ने 7 लाख का लोन ब्याज सहित चुका दिया। जबकि सीसी लिमिट व हाऊसिंग लोन को चुकाया नहीं। सीसी लिमिट के लोन के 25 लाख 74 हजार 333 रुपये तथा हाऊसिंग लोन के 11 लाख 76 हजार 111 रुपये बकाया है। शिकायत में बताया कि जब बैंक ने लोन दिया तब नगर परिषद के रिकार्ड में मकान बैंक को रहन रखा जाना इंद्राज करवाया था। इसके बावजूद कृष्ण गोयल ने फर्जीबाड़ा करके बैंक में रहन मकान को आगे बेच दिया और बैंक के साथ धोखाधड़ी की है।

नगर परिषद भी जांच के घेरे में!

सिंडिकेट बैंक (अब केनरा बैंक) से धोखाधड़ी के इस मामले में सिरसा नगर परिषद भी जांच के घेरे में आ गया है। सवाल यह उठने लगा है कि नगर परिषद के रिकार्ड में बैंक द्वारा जिस प्रोपर्टी को रहन दर्शाया हुआ था। उस प्रोपर्टी को आगे बेचने के लिए एनओसी नगर परिषद द्वारा कैसे जारी कर दी गई? नगर परिषद के किस अधिकारी अथवा कर्मचारी की धोखाधड़ी में संलिप्तता थी? पुलिस द्वारा मामला दर्ज किए जाने के बाद यह सच्चाई भी सामने आना जरूरी है कि किस प्रकार नगर परिषद में षड्यंत्र बुने जाते है।

लपटें बैंक की ओर भी!

धोखाधड़ी के इस मामले में लपटें बैंक की ओर भी जानी तय है। चूंकि नगर परिषद से एनओसी के लिए बैंक के दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया है। शक की सुई बैंक की ओर भी घूम रही है कि कहीं किसी बैंक कर्मी से मिलकर तो दस्तावेज तैयार नहीं किए गए, जिनके आधार पर नगर परिषद से एनओसी हासिल की गई। यह जांच का विषय है। जांच होने पर ही यह ज्ञात हो पाएगा कि धोखाधड़ी के इस खेल में कौन-कौन शुमार है?

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