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आरटीआई को नजरअंदाज करने वालों की अब खैर नहीं!
आरटीआई एक्ट की धारा 7 के पालना पर जोर, एसपीआईओ के खिलाफ शिकायतें शुरू
Dabwalinews.com
सरकार की ओर से वर्ष 2005 में लागू किए गए सूचना का अधिकार अधिनियम की नियमानुसार पालना न करने वालों के खिलाफ अब कानून के दायरे में जवाबदेही तय करने की मुहिम शुरू कर दी गई है। विभिन्न विभागों के राज्य जनसूचना अधिकारियों (एसपीआईओ) द्वारा आरटीआई आवेदनों को बेहद हल्के में लिया जाता है। एक्ट के तहत 30 दिनों में सूचना प्रदान किए जाने का नियम है।
लेकिन अनेक एसपीआईओ द्वारा जानबूझकर समय पर सूचना नहीं दी जाती। इसके बाद आवेदक को प्रथम अपील और अनेक मामलों में द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग में दाखिल करनी पड़ती है। मगर, एसपीआईओ का वांछित समय अवधि में सूचना प्रदान न करना आरटीआई एक्ट की धारा 7(2) का उल्लंघन है। जिसके तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 166ए व 167 के तहत मामला दर्ज करवाए जाने का प्रावधान है। इसी प्रकार एसपीआईओ द्वारा झूठी अथवा भ्रामक सूचना दिया जाने पर आईपीसी की धारा 166ए, 167, 420, 468 व 471 का प्रावधान है। एक्ट में किए गए इन प्रावधान से अधिकांश आरटीआई एक्टिविस्ट अनभिज्ञ है। मगर, हाल ही में आरटीआई को लेकर आयोजित किए जा रहे सैमीनारों की वजह से आरटीआई एक्टिविस्ट जागरूक हुए है और उनके द्वारा एक्ट में किए गए प्रावधानों के तहत कार्रवाई के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए है।
तय होगी जवाबदेही : पारिक
नगर के प्रमुख आरटीआई एक्टिविस्ट पवन पारिक एडवोकेट ने बताया कि आरटीआई एक्ट की धारा 7 में अनेक प्रावधान किए गए है। जिसके तहत निर्धारित समय में सूचना न देना सूचना देने से इंकारी समझा जाता है। गलत व झूठी सूचना देने पर भी आईपीसी और सीआरपीसी के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा निर्धारित समय में निर्णय न लिए जाने पर कार्रवाई के प्रावधान है। इस एक्ट के प्रति जागरूकता की आवश्यकता है। जैसे-जैसे इस एक्ट का प्रयोग किया जाएगा, त्यों-त्यों एसपीआईओ की जवाबदेही तय होगी।
डीटीपी के खिलाफ एसपी से शिकायत
बेगू रोड स्थित शांतिनगर निवासी नंद सेठी की ओर से पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर नगर योजनाकार के खिलाफ भादंसं की धारा 166ए व 167 के तहत कार्रवाई की मांग की गई है। शिकायत में कहा गया है कि उन्होंने 9 जून को विभाग से आरटीआई में कुछ जानकारी मांगी थी। आरटीआई एक्ट की धारा 7(1) के तहत उसका 30 दिनों में निपटारा किया जाना चाहिए था। मगर डीटीपी ने समय पर सूचना न देकर एक्ट का उल्लंघन किया है। इसलिए उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।
डीआरओ के खिलाफ शिकायत
वार्ड नंबर-31 चत्तरगढ़पट्टी निवासी कुंदन सैनी पुत्र नत्थूराम सैनी ने सीएम विंडो के माध्यम से जिला राजस्व अधिकारी (डीआरओ) के खिलाफ भादंसं की धारा 166ए व 167 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है। कुंदन सैनी ने सीएम के नाम भेजे पत्र में बताया कि उसने 22 जुलाई 2021 को डीआरओ से आरटीआई में कुछ जानकारी मांगी थी। आरटीआई एक्ट की धारा 7(1) के तहत उन्हें निर्धारित समय में सूचना प्रदान की जानी चाहिए थी। मगर, राज्य जनसूचना अधिकारी-सह-डीआरओ ने निर्धारित समयावधि में सूचना प्रदान नहीं करके एक्ट का उल्लंघन किया है। इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाए।
क्या मांगा है आरटीआई में
नगर योजनाकार विभाग से बेगू रोड पर शांतिनगर के निकट कृषि भूमि पर विकसित की जा रही सुंदर नगर के बारे में जानकारी मांगी थी। पूछा गया था कि कालोनी काटने के लिए डीटीपी विभाग ने कब मंजूरी दी। कोलोनाइजरों द्वारा विभाग को दिए गए नक्शे की प्रति मांगी गई थी। विभाग द्वारा जारी सीएलयू के बारे में पूछा गया था। बगैर सीएलयू और बिना एनओसी के कालोनी विकसित करने पर विभाग द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी।
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सरकार की ओर से वर्ष 2005 में लागू किए गए सूचना का अधिकार अधिनियम की नियमानुसार पालना न करने वालों के खिलाफ अब कानून के दायरे में जवाबदेही तय करने की मुहिम शुरू कर दी गई है। विभिन्न विभागों के राज्य जनसूचना अधिकारियों (एसपीआईओ) द्वारा आरटीआई आवेदनों को बेहद हल्के में लिया जाता है। एक्ट के तहत 30 दिनों में सूचना प्रदान किए जाने का नियम है।
लेकिन अनेक एसपीआईओ द्वारा जानबूझकर समय पर सूचना नहीं दी जाती। इसके बाद आवेदक को प्रथम अपील और अनेक मामलों में द्वितीय अपील राज्य सूचना आयोग में दाखिल करनी पड़ती है। मगर, एसपीआईओ का वांछित समय अवधि में सूचना प्रदान न करना आरटीआई एक्ट की धारा 7(2) का उल्लंघन है। जिसके तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 166ए व 167 के तहत मामला दर्ज करवाए जाने का प्रावधान है। इसी प्रकार एसपीआईओ द्वारा झूठी अथवा भ्रामक सूचना दिया जाने पर आईपीसी की धारा 166ए, 167, 420, 468 व 471 का प्रावधान है। एक्ट में किए गए इन प्रावधान से अधिकांश आरटीआई एक्टिविस्ट अनभिज्ञ है। मगर, हाल ही में आरटीआई को लेकर आयोजित किए जा रहे सैमीनारों की वजह से आरटीआई एक्टिविस्ट जागरूक हुए है और उनके द्वारा एक्ट में किए गए प्रावधानों के तहत कार्रवाई के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए है।
तय होगी जवाबदेही : पारिक
नगर के प्रमुख आरटीआई एक्टिविस्ट पवन पारिक एडवोकेट ने बताया कि आरटीआई एक्ट की धारा 7 में अनेक प्रावधान किए गए है। जिसके तहत निर्धारित समय में सूचना न देना सूचना देने से इंकारी समझा जाता है। गलत व झूठी सूचना देने पर भी आईपीसी और सीआरपीसी के तहत कार्रवाई का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा निर्धारित समय में निर्णय न लिए जाने पर कार्रवाई के प्रावधान है। इस एक्ट के प्रति जागरूकता की आवश्यकता है। जैसे-जैसे इस एक्ट का प्रयोग किया जाएगा, त्यों-त्यों एसपीआईओ की जवाबदेही तय होगी।
डीटीपी के खिलाफ एसपी से शिकायत
बेगू रोड स्थित शांतिनगर निवासी नंद सेठी की ओर से पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर नगर योजनाकार के खिलाफ भादंसं की धारा 166ए व 167 के तहत कार्रवाई की मांग की गई है। शिकायत में कहा गया है कि उन्होंने 9 जून को विभाग से आरटीआई में कुछ जानकारी मांगी थी। आरटीआई एक्ट की धारा 7(1) के तहत उसका 30 दिनों में निपटारा किया जाना चाहिए था। मगर डीटीपी ने समय पर सूचना न देकर एक्ट का उल्लंघन किया है। इसलिए उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए।
डीआरओ के खिलाफ शिकायत
वार्ड नंबर-31 चत्तरगढ़पट्टी निवासी कुंदन सैनी पुत्र नत्थूराम सैनी ने सीएम विंडो के माध्यम से जिला राजस्व अधिकारी (डीआरओ) के खिलाफ भादंसं की धारा 166ए व 167 के तहत मामला दर्ज करने की मांग की है। कुंदन सैनी ने सीएम के नाम भेजे पत्र में बताया कि उसने 22 जुलाई 2021 को डीआरओ से आरटीआई में कुछ जानकारी मांगी थी। आरटीआई एक्ट की धारा 7(1) के तहत उन्हें निर्धारित समय में सूचना प्रदान की जानी चाहिए थी। मगर, राज्य जनसूचना अधिकारी-सह-डीआरओ ने निर्धारित समयावधि में सूचना प्रदान नहीं करके एक्ट का उल्लंघन किया है। इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाए।
क्या मांगा है आरटीआई में
नगर योजनाकार विभाग से बेगू रोड पर शांतिनगर के निकट कृषि भूमि पर विकसित की जा रही सुंदर नगर के बारे में जानकारी मांगी थी। पूछा गया था कि कालोनी काटने के लिए डीटीपी विभाग ने कब मंजूरी दी। कोलोनाइजरों द्वारा विभाग को दिए गए नक्शे की प्रति मांगी गई थी। विभाग द्वारा जारी सीएलयू के बारे में पूछा गया था। बगैर सीएलयू और बिना एनओसी के कालोनी विकसित करने पर विभाग द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी।
Those who ignore RTI are no longer well!
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आरटीआई को नजरअंदाज करने वालों की अब खैर नहीं!
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क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई
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