चार माह से सीएम विंडो पर लटक रही नप में अतिरिक्त 12 लाख के जीएसटी गबन की जांच
25 जून 2021 को दाखिल की गई थी शिकायत, 22 सितंबर से ठंडे बस्ते में पड़ी
Dabwalinews.com
सिरसा नगर परिषद में सुनियोजित ढंग से जीएसटी के गबन के खेल में आरोपियों की धरपकड़ करने की बजाए मामले की जांच को ही लटकाने का काम किया जा रहा है।जीएसटी विजिलेंस ने अपनी जांच में सिरसा नगर परिषद का घोटाला एक्सपोज किया था। जिसमें जुलाई-2012 से लेकर जून-2017 की अवधि में 73 लाख रुपये से अधिक का गबन पाया गया था। नगर परिषद के रिकार्ड में पूरी राशि के चालान जमा करवाए जाते रहें और बैंक में मामूली रकम जमा करवाकर गबन किया जाता रहा।सिरसा नगर परिषद में जीएसटी गबन की राशि 73 लाख की बजाए 85 लाख रुपये होने को लेकर चत्तरगढ़पट्टी निवासी इंद्रजीत की ओर से सीएम विंडो पर 25 जून 2021 को शिकायत दाखिल करते हुए जांच की मांग की गई थी। तत्कालीन नगर आयुक्त श्रीमती संगीता तेतरवाल ने 7 जुलाई को एसडीएम सिरसा को एक सप्ताह में इस बारे में रिपोर्ट तलब की थी। श्रीमती तेतरवाल का सिरसा से तबादला होने के बाद जिला उपायुक्त ने बतौर नगर आयुक्त 3 सितंबर 2021 को अतिरिक्त 12 लाख के गबन मामले की भी जांच करने के आदेश दिए थे। मगर, सीएम विंडो पर यह शिकायत आज भी लंबित पड़ी है। इस पर अंतिम बार 22 सितंबर को डीएमसी सिरसा द्वारा स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक को अवगत करवाया गया कि जांच के आदेश दिए गए है। इसके डेढ़ माह का अरसा बीत चुका है और सीएम विंडो की यह शिकायत ठंडे बस्ते में डाल दी गई है। सीएम विंडो के मामले से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी महकमे में हुए घपले-घोटाले के मामले में ही सरकारी एजेंसियां कितनी ढिलाई बरत रही है। सरकारी खजाने को चपत लगाने वालों से वसूली और उनके खिलाफ कार्रवाई की कैसे उम्मीद की जाएगी?
क्या था मामला
नगर परिषद की ऑडिट रिपोर्ट के क्रमांक 37 दिनांक 27 फरवरी 2019 के अनुसार नगर परिषद के खाते से 598352 रुपये की निकासी की गई, जबकि 98352 रुपये जीएसटी के रूप में जमा करवाए गए यानि सीधे-सीधे 5 लाख रुपये डकार लिए गए। इसी प्रकार 6 सितंबर 2013 को खाते से 401472 रुपये की निकासी की गई और 101472 रुपये जमा करवाए गए यानि 3 लाख का गबन किया गया। जबकि 11 अक्टूबर 2013 को 479923 की निकासी की गई और 79923 रुपये जमा करवाकर 4 लाख रुपये डकार लिए गए। गबन की गई यह 12 लाख रुपये की राशि जांच के घेरे में लिए गए 73 लाख रुपये से अलग है।
जीएसटी विजिलेंस ने किया था भंडाफोड़
जीएसटी विजिलेंस द्वारा वर्ष 2018 में इस मामले का भंडाफोड़ किया गया, नगर परिषद सिरसा की ओर से टैक्स की राशि जमा न करवाए जाने को लेकर जीएसटी विजिलेंस ने जांच की। नगर परिषद के रिकार्ड में हर माह राशि जमा दर्शाई जा रही थी। बैंक के चालान लगाए जा रहे थे। अधिकारियों के हस्ताक्षर से बैंक से नगद आहरण किया जा रहा था, लेकिन जीएसटी के खाते में पैसे जमा नहीं हो रहे थे। इसके बाद उपायुक्त की ओर से एसडीएम डा. जयवीर यादव की अध्यक्षता में जांच कमेटी गठित की गई। जांच कमेटी ने तत्कालीन एसडीएम परमजीत सिंह चहल, ईओ एसके गोयल, आरसी बिश्नोई, बीएन भारती, ओपी सिहाग, अत्तर सिंह, सिरसा नगर परिषद के प्रधान रहें सुरेश कुक्कू तथा शीला सहगल , नगर परिषद के तत्कालीन लेखाकार केसरी सिंह, रिटायर्ड लिपिक नरेश कुमार, रिटायर्ड लेखाकार सुरेंद्र कुमार, सेवादार बृजलाल तथा राजेंद्र मिढ़ा को नोटिस दिए गए थे। उनके बयान दर्ज किए गए। जांच कमेटी द्वारा अपनी रिपोर्ट दाखिल की जा चुकी है। उपायुक्त की ओर से स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। लेकिन 73 लाख रुपये के घोटालेबाजी में आजतक किसी का बाल तक बांका नहीं हुआ। मामले में 50 लाख रुपये की रिकवरी भी हो चुकी है।
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