जिनके इरादे बुलंद, वो जख्म नहीं देखते


 डबवाली अग्निकांड 23 दिसंबर, 1995 को हुए डबवाली अग्निकांड में पांचवीं क्लास का एक छात्र साहिल सेठी का शरीर पचास प्रतिशत से ज्यादा जल गया था। उसके साथ में उसकी बहन भी इस हादसे का शिकार बन गई थी।
साहिल ने फिर भी हार न मानते हुए अपनी अपंगता व आर्थिक परेशानी को बाधा न बनने देते हुए अपने पक्के इरादे के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी। मेहनत के बल पर पहले बीटेक पास की और बाद में एमबीए की पढ़ाई के लिए कैट की परीक्षा पास की। डबवाली अग्निकांड पीडि़त एसोसिएशन के प्रवक्ता व साहिल के दादा ने बताया कि साहिल को एक साथ छह आईआईएम से दाखिले की काल आई, लेकिन साहिल ने आईआईएम अहमदाबाद को चुना। उसके अनुसार वह जिले में पहला लड़का है, जिसका दाखिला आईआईएम में हुआ है। किसकी क्या हिस्सेदारी तय की गर्ग कमीशन ने हाईकोर्ट के आदेश पर बनें जस्टिस टीपी गर्ग कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में मुआवजा की राशि का अस्सी प्रतिशत हिस्सा डीएवी ग्रुप, दस प्रतिशत डीसी सिरसा व पांच-पांच प्रतिशत एमसी व बिजली बोर्ड से लेने की सिफारिश की थी।
कमीशन ने इस कांड से प्रभावित लोगों को उनकी उम्र व उनके आय के हिसाब से मुआवजा देने की सिफारिश भी की थी। एक-एक लाख का मुआवजा दे चुकी है हरियाणा सरकार हरियाणा सरकार ने उस समय प्रत्येक मृतक के परिवार को एक-एक लाख रुपये और गंभीर रूप से घायल होने वाले लोगों को 50-50 हजार रुपये अनुदान के रूप में दिए थे। अदालत के आदेशों पर घायलों के उपचार पर होने वाला खर्च भी सरकार ने उठाया गया था।

 Source Link - Those whose intentions are high, they do not see the wounds


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क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई