सूचना आयोग ने अतिरिक्त मुख्य सचिव को दिए बीडीपीओ सिरसा के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश
Dabwalinews.com
सूचना का अधिकार अधिनियम को गंभीरता से न लेना खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी सिरसा-सह-राज्य जनसूचना अधिकारी को भारी पड़ा है।सूचना आयोग ने विकास एवं पंचायत विभाग हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव को दो माह के भीतर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए है। बीडीपीओ-सह-एसपीआईओ के खिलाफ यह आदेश राज्य सूचना आयुग्त जय सिंह बिश्नोई ने जारी किए। उन्होंने गांव सुचान के समाजसेवी वजीर कुमार पुत्र कालूराम की शिकायत पर इस आशय के आदेश जारी किए।वजीर कुमार ने खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी सिरसा कार्यालय से आरटीआई में कुछ जानकारी मांगी थी। मगर, उन्हें वांछित सूचना प्रदान नहीं की गई। जिस पर उन्होंने आरटीआई एक्टिविस्ट पवन पारिक एडवोकेट के माध्यम से राज्य सूचना आयोग का द्वार खटखटाया। मामला राज्य सूचना आयुक्त जय सिंह बिश्नोई के पास पहुंचा। उन्होंने मामले में बीडीपीओ सिरसा-सह-राज्य जनसूचना अधिकारी रवि कुमार को शोकॉज नोटिस जारी किया। बीडीपीओ रवि कुमार की ओर से सूचना आयोग को दाखिल किए गए जवाब में बताया कि सूचना प्रदान की जा चुकी है। जबकि आवेदक वजीर कुमार की ओर से स्पष्ट किया गया कि जो सूचना प्रदान की गई है, वह अन्य आरटीआई मामले की है। आयोग ने पाया कि जिस सूचना को बीडीपीओ द्वारा प्रदान किया जाना बताया गया है, वह 18 बिंदुओं की है, जबकि आयोग के समक्ष जिस आरटीआई की अपील की गई है, वह केवल 4 बिंदुओं की है। इस बारे बीडीपीओ सिरसा द्वारा पुन: अपना जवाब दाखिल किया गया। मगर सूचना आयोग ने पाया कि बीडीपीओ सिरसा रवि कुमार आरटीआई के मामले में गंभीर नहीं है। बीडीपीओ सिरसा द्वारा सूचना आयोग को ही भ्रमित करने की कोशिश की गई है। सूचना आयुक्त जय सिंह बिश्नोई ने मामले में कड़ा संज्ञान लेते हुए विकास एवं पंचायत विभाग हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव को बीडीपीओ-सह-राज्य जनसूचना अधिकारी रवि कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए है। सूचना आयोग के इस आदेश से संभवत: ऐसे सरकारी अधिकारी आरटीआई के मामलों को लेकर गंभीर होंगे।
क्या मांगा था आरटीआई में
समाजसेवी वजीर सिंह ने आरटीआई के माध्यम से बीडीपीओ कार्यालय सिरसा से यह जानकारी मांगी थी कि पंचायती भूमि पर बने तालाब की सफाई और खुदाई किस योजना के तहत व किस फंड से करवाई गई है। यह कि तालाब खुदाई के कार्य पर हुए खर्च का ब्यौरा, एस्टीमेट, तकनीकी, वित्तिय व प्रशासनिक मंजूरी, माप पुस्तिका, बिलों और भुगतान के वाऊचर की मांग की गई थी। आरटीआई में बीडीपीओ कार्यालय से मिली मंजूरी की प्रति भी मांगी गई थी। यह भी जानकारी मांगी थी कि उक्त कार्य किन अधिकारियों की देखरेख में किया गया।
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