पुलिस की सक्रियता से सफेदपॉशों के 'कार्यक्रमों' में पड़ सकता है खलल!
नववर्ष की पूर्व संध्या पर विभिन्न होटलों और रिजोर्ट में सजती है महफिलें
बाहर से बुलाई आरकेस्ट्रा से सजती है सुरा-सुंदरियों की महफिल
Dabwalinews.com
जिस प्रकार पुलिस अधीक्षक डा. अर्पित जैन की अगुवाई में जिला पुलिस की सक्रियता बढ़ी है, उसकी वजह से असामाजिक तत्वों के हौंसले पस्त हुए है।जो समाजसेवी का लबादा ओढ़कर असामाजिक गतिविधियों में संलिप्त रहते है, ऐसे लोगों को पुलिस की सक्रियता रास नहीं आ रही है। ऐसे लोगों को नववर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों में खलल पड़ता दिखाई देने लगा है। चूंकि हर वर्ष नववर्ष की पूर्व संध्या पर सुरा-सुंदरियों की महफिलें सजती है। इसके लिए शहर के बाहरी एरिया में स्थित कुछ होटलों और रिजोर्ट को बुक किया जाता है। जिसमें तथाकथित समाजसेवी एकजुट होते है और सारी रात जाम टकराते है। सूत्रों की मानें तो बाहर से बार बालाएं भी बुलाई जाती है।पिछले कई वर्षों से रोकटोक न होने की वजह से यह बाजार का रूप ही धारण कर चुका है। शहर के युवा धनाढ्य इनके रूपजाल में फंसते जाते है। कई मामलों में मैरिज पैलेस में भी नए साल के जश्न के लिए बुकिंग की जाती है और आरकेस्ट्रा का नृत्य करवाया जाता है। तब यहां रातभर पीने-पिलाने का दौर चलता है। डीजे की ऊंची आवाज में हुड़दंगबाजी होती है और नशे में धुत्त लोगों द्वारा रात्रि में सड़कों पर हंगामा भी किया जाता है। एक पखवाड़े बाद नया साल आ रहा है। ऐसे कार्यक्रमों के आयोजकों द्वारा इसकी तैयारियां भी कर दी गई है। मगर, जिस प्रकार से जिला पुलिस की सक्रियता बनी हुई है। उसकी वजह से ऐसे लोगों के हौंसले पस्त दिखाई पड़ रहे है। पुलिस द्वारा असामाजिक तत्वों पर पैनी निगाह रखी जा रही है और संदिग्ध गतिविधियों की स्थिति में अविलंब कार्रवाई भी संभावित है।नाच-गानों की आड़ में रंगीन कार्यक्रमों का आयोजन करने वालों को अपनी गर्दन भी फंसती हुई दिखाई दे रही है। वैसे उनकी चाह है कि किसी भी सूरत में नए साल को लेकर आयोजित किया जाने वाला कार्यक्रम कैंसिल न करना पड़ें। जश्न भी मनाया जाए और कमाई भी हों। कार्यक्रम में पुलिस का हस्तक्षेप भी न हों। चूंकि कोई भी भद्रजन ऐसे कार्यक्रमों से दूरी बनाकर ही रखता है। मगर, तथाकथित सदेफपॉश भी नहीं चाहते कि उनके चेहरे से नकाब उतरें। अब देखना होगा कि क्या ऐसे तत्व पुलिस को चकमा दे पाएंगें? क्या होटल और रिजोर्ट के संचालक नए साल की आड़ में ऐसे कार्यक्रमों के लिए बुकिंग करेंगे? ताजा हालात में ऐसा संभव होता दिखाई नहीं दे रहा, चूंकि पुलिस कप्तान डा. अर्पित जैन के तेवर बेहद कड़े है और वे किसी को ढील देने के पक्षधर भी नहीं है। आने वाले दिनों में स्थिति अधिक स्पष्ट हो पाएगी कि नए साल के मौके पर ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करने वाले क्या रणनीति अपनाते है?
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