मेरी फसल मेरा ब्योरा स्कीम से किसानों को हो रही परेशानी को लेकर विधायक अमित सिहाग ने सरकार को घेरा
Dabwalinews.com
हल्का डबवाली के विधायक अमित सिहाग ने मेरी फसल मेरा ब्योरा स्कीम से किसानों को हो रही परेशानी को लेकर सरकार को घेरते हुए इस स्कीम को रद्द करने की मांग की है।एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए विधायक ने बताया कि उन्होंने इस स्कीम को लेकर विधानसभा में भी काल अटेंशन मोशन लगाया था और सरकार को इसके नुकसान बताए थे। उन्होंने कहा कि जब इस स्कीम को लाया गया था तो कहा गया था कि ये स्कीम किसानों को लाभ एवम् सुविधा देने का काम करेगी लेकिन उसके विपरीत ये स्कीम किसानों के गले की फांस बन कर रह गई है। सिहाग ने बताया कि काल अटेंशन के जवाब में दिए आंकड़ों में बताया गया है कि स्कीम लागु करने के पहले साल में ही करीब 1.5 लाख शिकायतें दर्ज की गई और उनमें से कितनो का समाधान किया गया इसका कोई आंकड़ा नही है जिससे सिद्ध होता है कि ये स्कीम सुविधा की जगह दुविधा का कारण बन रही है।
सिहाग ने सरकार से पूछा कि जब पहले अच्छे तरीके से ख़रीद प्रक्रिया चल रही थी तो इस स्कीम को लाने की क्या आवश्यकता थी? उन्होंने कहा कि जिस प्रकार केन्द्र सरकार तीनों काले कानून बिना किसी से विचार किए किसानों पर थोपना चाहती थी उसी प्रकार सरकार ने कुछ वर्ष पूर्व किसानों पर इस स्कीम को जबरदस्ती थोप कर उन्हें परेशान करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि इस स्कीम में सरकार किसानों को अपनी फसल की रजिस्ट्रेशन करवाने को कहती है जबिक दुसरी ओर देश के प्रधानमंत्री कहते हैं की किसान कहीं भी अपनी फसल बेच सकता है ऐसे में रजिस्ट्रेशन के क्या मायने हैं।
सिहाग ने कहा कि बहुत से किसान ज्यादा जागरुक और पढ़े लिखे नही है और सरकार ने इस स्कीम को लाकर उन्हें फ़ोन और ओटीपी संदेश में उलझा कर रख दिया है। विधायक ने रजिस्ट्रेशन में आ रही विभिन्न समस्याओं को लेकर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि अधिकतम किसान भले ही परिवार से अलग रह कर खेती कर रहे हैं लेकिन उनकी जमीन अभी भी परिवारों के सांझे खाते में ही दर्ज है। बहुत बार ऐसा देखने में आया है कि साँझे खाते की जमीन में कोई एक किसान अपनी फसल की रजिस्ट्रेशन करवा देता है तो बाकी सांझें खाते वाले अपनी फसल की रजिस्ट्रेशन नही करवा पाते ऐसे में उनमें आपस में मतभेद पैदा हो जाते हैं।
सिहाग ने सीमान्तर किसानों के विषय में बात करते हुए सरकार से जवाब मांगा कि उनके विधानसभा हल्का डबवाली के एक तरफ राजस्थान तो दो तरफ पंजाब लगता है ऐसे में उनके हल्के के कई किसानो की जमीनें पंजाब और राजस्थान में है। उन्होंने कहा कि जब फसल ख़रीद की बात आती है तो सरकार ये कह कर फसल ख़रीद से इन्कार करती है कि हम हरियाणा की जमीन पर बोई गई फसल की ख़रीद पहले करेंगे। ऐसे में सीमांतर राज्य उनके आधार कार्ड हरियाणा के होने के चलते उनकी फसल की ख़रीद नही करते ऐसे में उन किसानों को न तो एमएसपी का लाभ मिल पा रहा है और उन्हें फसल बेचने में भी भारी मुश्किल का सामना करना पड़ता है।
सिहाग ने कहा कि कई किसान पंचायती जमीन पर खेती करते हैं और जब फसल रजिस्ट्रेशन की बात आती है तो ओटीपी संदेश सरपंच के पास आता है। विधायक ने कहा कि कई बार देखने में आया है कि सरपंच ने अपना फोन नंबर बदल लिया होता है जिससे ओटीपी संदेश नही मिलता तो किसानों को रजिस्ट्रेशन के लिए दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार रजिस्ट्रेशन के साथ साथ प्रति एकड़ से फसल की ख़रीद मात्रा निर्धारित कर देती है जबकि फसल की पैदावार ज्यादा मात्रा में हुई होती है,ऐसे में बची हुई फसल को किसान कहां बेचे?
सिहाग ने कहा कि सरकार का शिकायत निवारण सिस्टम भी काम नहीं कर रहा ऐसी स्थिति में किसान को डीसी कार्यालय शिकायत लेकर भेज दिया जाता है और आम किसान को अधिकारी से मुलाकात करने के लिए भी राजनेताओं के फोन करवाने पड़ते हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि सरकार को अनाज मंडी के अंदर ही शिकायत निवारण केन्द्र खोलने चाहिए। सिहाग ने कहा कि जिस प्रकार केन्द्र सरकार किसानों पर काले कानूनों को लागू कर एमएसपी का लाभ नही देना चाहती थी उसी तरह मेरी फसल मेरा ब्योरा स्कीम भी उसी दिशा में उठाया गया कदम है जिसके तहत् सरकार की सोच है कि किसान को इतना परेशान कर दिया जाए की एमएसपी होते हुए भी उसे लाभ न मिल पाए।
विधायक ने सरकार से मांग की है कि मेरी फसल मेरा ब्योरा स्कीम को बंद करके पुराने तरीके से फसल की ख़रीद की जाए और अगर पुराने सिस्टम में कोई खामी है तो उसे दूर किया जाए।
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