प्रोपर्टी सर्वे : गलती कंपनी की, खामियाजा भुगत रहें शहरवासी,नगर परिषद चुनाव में गठबंधन सरकार के लिए गले की फांस बन सकता है मामला

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सवाल उठता है कि आखिर गलत सर्वे करने वाली एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? आखिर किसके हित जुड़े हुए है? गलत सर्वे करने का खामियाजा आमजन क्यों भुगते? सर्वे को खारिज क्यों नहीं किया जाता? नए सिरे से सर्वे करवाया जाना चाहिए, अन्यथा जिस प्रकार का माहौल लोगों में बन रहा है, उसके निकट भविष्य में होने वाले चुनाव में गठबंधन सरकार को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
गलत प्रोपर्टी सर्वे का मामला तूल पकड़ता जा रहा है, जिसका खामियाजा गठबंधन सरकार को नगर परिषद चुनाव में उठाना पड़ सकता है। परिषद द्वारा ज्यों-ज्यों प्रोपर्टी सर्वे के नोटिस लोगों को थमाए जा रहे है, त्यों-त्यों लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। अचरज की बात यह है कि एक प्राइवेट कंपनी द्वारा किए गए गलत सर्वे का ठीकरा आमजन के माथे पर फोड़ा जा रहा है। गलती कंपनी करती है और उसे सुधारने की जिम्मेवारी आमजन पर डाल दी जाती है। औपचारिकताएं भी इतनी जटिल की आमजन उन्हें समझ नहीं सकता। दिहाड़ी मजदूरी करने वालों के लिए प्रोपर्टी सर्वे के नोटिस समझ से परे है। सरकार द्वारा गलत सर्वे करने वाली प्राइवेट कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई न किया जाना सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है। सवाल उठता है कि आखिर गलत सर्वे करने वाली एजेंसी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही? आखिर किसके हित जुड़े हुए है? गलत सर्वे करने का खामियाजा आमजन क्यों भुगते? सर्वे को खारिज क्यों नहीं किया जाता? नए सिरे से सर्वे करवाया जाना चाहिए, अन्यथा जिस प्रकार का माहौल लोगों में बन रहा है, उसके निकट भविष्य में होने वाले चुनाव में गठबंधन सरकार को खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
रिहायशी क्षेत्र को दर्शा रहे कमर्शियल
प्रोपर्टी सर्वे के नोटिस में इतनी हद से ज्यादा गलतियां की गई है कि लोगों को उसमें सुधार के लिए भटकना पड़ रहा है। कहीं प्रोपर्टी का आकार कम दर्शाया जा रहा है, कहीं अधिक। कहीं फस्र्ट फ्लोर का एरिया अधिक दर्शाया जा रहा है तो कहीं रिहायशी क्षेत्र को कमर्शियल दर्शाया गया है। कहीं मालिक का नाम पड़ौसी को दर्शाया गया है तो कहीं हाऊस टैक्स का नंबर ही गलत अंकित किया हुआ है। अनेक मामलों में कालोनी का नाम ही गलत अंकित किया गया है। ऐसे में लोगों को मजबूर होकर सुधार के लिए नगर परिषद कार्यालय की ओर दौड़ लगानी पड़ रही है।
कौन करेगा कंपनी की जवाबदेही तय?
शहर में प्रोपर्टी सर्वे का कार्य जिस प्राइवेट कंपनी को दिया गया। उसे इसकी एवज में लाखों रुपये का भुगतान किया गया। गलत कार्य करने पर दंड का भी प्रावधान किया गया होगा? तब गलत सर्वे के लिए कंपनी को दंडि़त क्यों नहीं किया जा रहा? कंपनी से पुन: डोर-टू-डोर सर्वे करवाने के लिए क्यों नहीं कहा जा रहा? क्यों नहीं प्राइवेट कंपनी को घर-घर जाकर सुधार करने की हिदायत दी जा रही? आखिर शासन-प्रशासन की इस प्राइवेट कंपनी पर नजर-ऐ-इनायत क्यों है?
होने लगी है लांबिंग
नगर परिषद के निकट भविष्य में होने वाले चुनाव को लेकर फिलहाल कोई मुद्दा नहीं है। विरोधी चाहकर भी गठबंधन सरकार की मुखरता से मुखालफत नहीं कर पा रहे और न ही पब्लिक का उन्हें अधिक समर्थन ही प्राप्त होता दिखाई दे रहा। लेकिन गलत प्रोपर्टी सर्वे ने विरोधियों को बड़ा मुद्दा थमा दिया है। कमेटी की गलत कारगुजारियों से सत्तारूढ़ दल से जुड़े हुए लोग और कार्यकत्र्ता भी परेशान है, ऐसे में आम आदमी का गुस्सा इसके खिलाफ रहने वाला है।
परिषद चुनाव में गठबंधन सरकार द्वारा अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी की गई है, लेकिन गलत प्रोपर्टी सर्वे उनके इरादों को ध्वस्त कर सकता है। बेहतर होगा सरकार गलत प्रोपर्टी सर्वे के मामले को निरस्त करें और फिर से सर्वे करवाने का कार्य करें। अन्यथा घर-घर सुलग रहीं चिंगारी कहीं दावानल न बन जाए?

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