डीआईटीसी की जेब पर चोट, ई-दिशा केंद्र की सेवाओं में 100 प्रतिशत तक किया इजाफा,टाईम स्लॉट के अनुसार टोकन शुल्क की बढ़ौतरी को दी मंजूरी

Dabwalinews.com

जिला उपायुक्त की अध्यक्षता वाली जिला सूचना प्रौद्योगिकी सोसायटी (डीआईटीसी)सिरसा द्वारा नागरिकों को प्रदान की जा रही सेवाओं की दर में भारी बढ़ौरी को मंजूरी दी गई है, जिससे आम नागरिकों पर सेवा शुल्क की भारी मार पडऩे वाली है।अनेक सेवाओं के शुल्क में 100 प्रतिशत इजाफा किया गया है। ई-दिशा में टाईम के हिसाब से टोकन शुल्क में बढ़ौतरी को भी मंजूरी दी गई है। इसे विशेष सेवा चार्ज का नाम दिया गया है।जिला सूचना प्रौद्योगिकी सोसायटी (डीआईटीसी) द्वारा ई-दिशा केंद्र के माध्यम से विविध सेवाएं प्रदान की जाती है। सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क के अलावा डीआईटीसी सेवा शुल्क की वसूली करती है। सोसायटी के जिला उपायुक्त पदेन अध्यक्ष है। सोसायटी द्वारा अपने स्तर पर शुल्क तय किया जाता है। अप्रैल माह में सम्पन्न हुई सोसायटी की बैठक में अनेक एजेंड़ों पर सहमति जताई गई है, जिसकी वजह से आम नागरिकों पर सर्विस चार्ज का चाबुक चलने लगा है।सोसायटी की 8 अप्रैल को सम्पन्न हुई बैठक में पिछली बैठक के निर्णयों पर कार्रवाई रिपोर्ट पेश की, जिस पर सभी सदस्यों ने सहमति प्रकट की। वर्ष 2021-22 में डीआईटीसी की आय-व्यय को सदस्यों ने अनुमोदन किया। डीआईटीसी में स्टाफ की भर्ती बारे नगराधीश की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया। बैठक में सोसायटी की आय बढ़ाने पर विचार किया गया तथा गैर-रंगीन फोटोकॉपी के लिए 5 रुपये और कलर फोटोकॉपी के लिए 10 रुपये वसूले जाने को मंजूरी दी। साथ ही आम्र्ज लाईसेंस पर लिए जा रहे चार्ज 1000 रुपये को बढ़ाकर 2000रुपये किए जाने पर सहमति जताई। यानि शुल्क में 100 प्रतिशत बढ़ौतरी कर दी। इस प्रकार सोसायटी प्रतिमाह दो लाख रुपये अतिरिक्त आय अर्जित करेगी। बैठक में ई-दिशा परिसर में वीटा का बूथ लगाए जाने पर भी सहमति दी गई, जिसे ठेके पर दिया जाएगा। बैठक में पिछली बैठक निर्णयों पर सहमति की मोहर लगाई गई।

टोकन शुल्क में बढ़ौतरी को मंजूरी

ई-दिशा केंद्र में टाइम स्लॉट के अनुसार टोकन शुल्क में बढ़ौतरी को लेकर हुई प्रशासन की किरकिरी के बाद उसे वैधानिक जामा पहना दिया गया है। ई-दिशा केंद्र में दोपहर 1 बजे के बाद जारी किए जाने वाले टोकन की एवज में 200 रुपये वसूले जाने लगे थे। मीडिया में मामला सामने आने पर उपायुक्त ने इसे बंद करवा दिया था। लेकिन उनकी ही अध्यक्षता वाली जिला सूचना प्रौद्योगिकी सोसायटी द्वारा टाइम स्लॉट के बाद टोकन जारी करने के लिए विशेष सेवा चार्ज के रूप में 200 रुपये वसूले जाने को मंजूरी दी गई है। बैठक में बताया गया कि जनवरी-22 में 62 हजार, फरवरी में 29600 तथा मार्च में 22 हजार रुपये अतिरिक्त टोकन चार्ज के रूप में अर्जित किए गए है। यानि पब्लिक से टोकन चार्ज के रूप में जो पैसा वसूला गया, उसे वैधता प्रदान कर दी गई है। भविष्य में पब्लिक को वाहन/सारथी सेवा के लिए एक बजे तक और सामान्य सेवाओं के लिए 3 बजे तक टोकन मिलेंगे। इसके बाद विशेष सेवा चार्ज 200 रुपये वसूलकर टोकन प्रदान किए जाएंगें।

नकल फार्म का रेट 10 रुपये तय

जिला सूचना प्रौद्योगिकी सोसायटी द्वारा जमाबंदी फर्द व इंतकाल फर्द की नकल के लिए प्रयोग होने वाले फार्म का चार्ज 10 रुपये किए जाने पर सहमति जताई गई है। डीआईटीसी को फार्म के रेट अधिक करने पर जनवरी में 1.40 लाख, फरवरी में 1.57 लाख व मार्च में 1.65 लाख की अतिरिक्त आय अर्जित की गई। यानि पब्लिक की जेब पर अतिरिक्त बोझ डाल दिया गया है।

स्कैनिंग का चार्ज 200 से 300 किया

डीआईटीसी द्वारा रजिस्ट्री, गोदनामा, ट्रस्ट/सोसायटी का रजिस्टे्रशन आदि करवाने पर डीड स्कैनिंग की फीस को 200 से बढ़ाकर 300 रुपये किए जाने सहमति जताई गई है। फीस में की गई बढ़ौतरी से जनवरी में 3.12 लाख, फरवरी में 3.18 लाख व मार्च में 3.83 लाख रुपये अतिरिक्त चार्ज वसूला जा चुका है।

आड़ रहन का चार्ज भी बढ़ाया

आड़ रहन सेवा का चार्ज भी 100 रुपये से बढ़ाकर 200 रुपये कर दिया गया है। रहन/फक/स्टे आदि के मामले में प्रति केस पहले 100 रुपये वसूले जाते थे। रेट में 100 प्रतिशत की बढ़ौतरी किए जाने से डीआईटीसी को जनवरी में 2.28 लाख, फरवरी में 2.47 लाख और मार्च में 2.51 लाख रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित हुई है।

सवालों के घेरे में है सोसायटी!

सरकार द्वारा जिन सेवाओं की दर निर्धारित की हुई है, ई-दिशा केंद्र के माध्यम से उन सेवाओं के लिए नागरिकों को अतिरिक्त शुल्क अदा करना पड़ता है। अनेक मामलों में तो सरकारी फीस कम और सर्विस चार्ज अधिक है। जिला सूचना प्रौद्योगिकी सोसायटी द्वारा कम्प्यूटरीकृत सेवा के नाम पर शुल्क वसूला जाता है। नागरिकों को गैर-कम्प्यूटरीकृत सेवा प्रदान ही नहीं की जाती। ऐसे में आमजन को निर्धारित से दोगुणा शुल्क अदा करना पड़ रहा है। सूत्रों के अनुसार जिला सूचना प्रौद्योगिकी सोसायटी को वैधानिक दर्जा हासिल नहीं है। सोसायटी द्वारा अर्जित की गई आय सरकार की आय नहीं आंकी जाती। इसके साथ ही सोसायटी के खर्च भी विवादों से घिरे हुए है। जिस प्रकार पहले रेडक्रास सोसायटी के फंड का दुरुपयोग होता था, वैसे ही अब डीआईटीसी के फंड के खर्च में कथित मनमानी होती है। डीआईटीसी में नियुक्तियों को लेकर भी भाई-भतीजेवाद के आरोप है। अधिकारियों व कर्मचारियों के रिश्तेदारों को ही अधिकतर नियुक्तियां दी गई है। इसके साथ ही कम अनुभवियों को अधिक वेतन और अनुभवी को कम वेतन देने के भी आरोप लगते रहे है। ई-दिशा केंद्र में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा अनेक बार अपने हितों के लिए हड़ताल भी की गई है।

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