विधायक नैना सिंह चौटाला ने गांव मौजगढ़ मैं लोहगढ़ पहले माइनर की नारियल फोड़कर आधारशिला रखी।

Dabwali News
श्री गुरु जंभेश्वर भगवान के 573वें अवतार दिवस के उपलक्ष्य में बिश्नोई धर्मशाला में चल रहे जन्माष्टमी महोत्सव के पांचवे दिन मंगलवार को हरिद्वार से पधारे कथा वाचक स्वामी राजेन्द्रानन्द ने हरि कथा सुनाते हुए भक्तों को निहाल किया।इस मौके पर कार्यक्रम में विधायिका श्रीमती नैना सिंह चौटाला विशेष तौर पर उपस्थित हुई और कथा का आनन्द उठाया। इस अवसर पर प्रबंधक कमेटी व बिश्नोई समाज ने हरी कथा में पहुंचने पर उनका स्वागत किया। इस मौके पर विधायिका नैना सिंह चौटाला ने हरिद्वार से पहुंचे कथा वाचक स्वामी राजेन्द्रानन्द जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा की उनके द्वारा भक्तों को हरी कथा सुनाई जा रही है वह बहुत ही सुंदर ढंग से श्री हरी का बखान कर भक्तों को निहाल कर रहे हैं। कथा में बताया गया है की भगवान का वासा चारों दिशाओं में होता ,वे सब जगह विद्यमान होते हैं। भगवान का वास हरे पेड़ में भी होता है, ऐसे में हरा पेड़ कभी नहीं काटना चाहिए। इन्ही पेड़ों को कटने से बचाने के लिए बिश्नोई समाज की गौरव मां अमृता देवी सहित 363 लोगों ने सन 1730 में पेड़ों के लिए बलिदान देकर विश्व को एक नया संदेश दिया था जिसे आज भी बिश्नोई समाज द्वारा निभाया जा रहा है। उन्होंने कहा की सबदवाणी भगवान जाम्भोजी के विचारों का प्रामाणिक आधार है! इसमें जाम्भोजी ने जो विचार व्यक्त किये हैं, वे किसी जाति विशेष या वर्ग विशेष के न लिए होकर मानव मात्र के लिए हैं! सबदवाणी में जो उपदेश हमें प्राप्त होते हैं, वे जितने जाम्भोजी के समय में उपयोगी व महत्वपूर्ण थे, उतने ही आज भी हैं और आगे भी रहेंगे! वस्तुत: सबदवाणी जाम्भोजी की कालजयी वाणी है, जिसका महत्व अक्षुण्ण है! जब-जब मानव जाति किसी संकट दुविधा, भटकाव एवं जीवन के अनुचित रास्ते पर अग्रसर होगी, तब तब सबदवाणी प्रेरणाप्रद बनकर मानव जाति को जीवन का सच्चा रास्ता दिखाती रहेगी! आज के इस वैश्वीकरण व भौतिकतावाद के दौर में जाम्भोजी के सिद्धान्तों का महत्व और अधिक बढ़ गया है! आवश्यकता इस बात की है कि जाम्भोजी के सिद्धान्तों का आज अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार किया जाए, जिससे मानव जाति का सर्वाधिक हित हो सके! इक्कीसवीं सदी की मानव जाति, जो आज नैतिकता, प्रेम,भाईचारा, त्याग, सेवा- भावना, परोपकार एवं दान आदि को त्यागकर स्वार्थ, विलासिता, अहं व विवेकहीनता के रास्ते पर अग्रसर हो रही है! उसे बताने के लिए नियमों व शब्दवाणी का प्रचार बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा की विश्नोई समाज के गुरु जंभेश्वर भगवान ने 29 नियम बतलाकर बिश्नोई समाज की स्थापना की! इन्हीं 29 नियमों (20+9-: 29 नियमों का पालन करने वाले) से बिश्नोई शब्द का उद्भव हुआ! उस समय भारत पर बाहरी क्रूर आक्रान्ताओं का शासन था! भारतीय सनातन धर्म हिंदू धर्म भी उस समय बहुत सारे अंधविश्वास व सामाजिक कुरीतियों से जकड़ा हुआ था! गुरु महाराज ने यह सब देखकर अंधविश्वास मुक्त, पितृ पूजा, सती प्रथा, पर्दा प्रथा से अलग एक धर्म की स्थापना की! जिन्हें 29 दायित्व दिए जो 29 नियम कहलाते हैं! इस अवसर पर बिश्नोई समाज ने ब्लॉक समिति के चेयरमैन सीट को बिश्नोई समाज की महिला को देने पर उनका आभार व्यक्त करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित भी किया गया। इस मौके पर विधायक नैना सिंह चौटाला ने बिश्नोई समाज द्वारा रखी गई अलग अलग गांवों में होने वाले विकास कार्यों की मांग को करते हुए करीब 51 लाख रुपयों की राशि के विकास कार्यों को मंजूरी दी। तदोप्रांत विधायिका नैना सिंह चौटाला ने गांव मौजगढ़ मैं गांव लोहगढ़ के पहले माइनर की नारियल फोड़कर आधारशिला रखीऔर कार्य की शुरुआत करवाई। इस मौके पर भारी संख्या में नेतागण व कार्यकर्ता मौजूद थे।

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