गुरु का संग करने से मनुष्य के जीवन में उत्पन्न विकार दूर हो जाते हैं - स्वामी राजेन्द्रानन्द
डबवाली-बिश्नोई धर्मशाला में आयोजित जन्माष्टमी महोत्सव के तीसरे दिन, रविवार को, पतित पावनी माँ गंगा हरिद्वार से पधारे कथा वाचक स्वामी राजेन्द्रानन्द ने बताया कि गुरु का संग करने से मनुष्य के जीवन में उत्पन्न विकार दूर हो जाते हैं। वे "गुरु गोबिंद दोऊ खड़े काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपने जिन गोबिंद दियो मिलाय" की व्याख्या करते हुए समझाए कि गुरु ही परमात्मा से मिला सकते हैं।
गुरु द्वारा दी गई अच्छी शिक्षा पर चलने से मनुष्य स्वतः ही दुखों से दूर हो जाते हैं, खुशनसीब मानते हैं, और समझते हैं कि भगवान की महती कृपा से सब सुख है, परमात्मा से मिलन हो गया है।
इसके बाद, स्वामी जी ने बताया कि सभी धर्म समान होते हैं और वे मजहब की बजाय आपसी भाईचारा को सिखाते हैं। उन्होंने श्रद्धालुओं को यह समझाया कि श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान ने सभी पर दया करने की करूणा दी है और धरती पर जीने का हक सभी को होता है। वे श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान के 29 नियमों में से एक नियम को उदाहरण देते हुए बताए, जिसमें जीवों के प्रति दया करने की महत्वपूर्ण बात है।
उन्होंने रतना राहड़ की कथा भी सुनाई, जिसमें रतना राहड़ और उनकी धर्म पत्नी ने जीव रक्षा के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया लेकिन हिरण को मारने की बजाय उन्होंने उसे बचा लिया। उन्होंने बताया कि जीवों का सदया सहानुभूति दिखाना चाहिए और निर्मल उद्देश्यों के लिए कर्म करना चाहिए।
स्वामी जी ने श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान के उच्चरित वाणी को समझाते हुए बताया कि जब शरीर मरणासन्न हो जाता है, तो धर्मराज जी जीव को बुला लेते हैं और जीव के कर्मों का हिसाब किताब होता है। इससे समझाया कि कर्मों के अनुसार फल मिलता है, अच्छे कर्मों का फल भी अच्छा होता है।
समारोह में अखिल भारतीय बिश्नोई जीव रक्षा सभा के पज़ाब प्रदेश अध्यक्ष राम दर्शन धारणियां और अन्य पदाधिकारियों ने स्वामी जी और अन्य संतों का स्वागत किया, और सम्मान किया गया। सभा द्वारा सभी गांवों के श्रद्धालुओं का धन्यवाद किया गया।
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