तृतीय पुण्यतिथि पर विशेष: कोरोना का कहर, गर्ग परिवार ने खो दिए माता-पिता
**"जब मां छोड़ कर जाती है, तब दुनिया में कोई दुआ देने वाला नहीं होता और जब पिता छोड़ कर जाता है तब कोई हौंसला देने वाला नहीं होता।"**
**डबवाली, 18 मई:** आज से तीन वर्ष पूर्व, इसी दिन श्रीमती सावित्री देवी गर्ग ने अपने जीवन साथी श्री रोशन लाल गर्ग के निधन के 11वें दिन इस नश्वर संसार को अलविदा कह दिया। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि उनके जीवन में एक-दूसरे का कितना महत्व था।
**लाला रोशन लाल गर्ग का जीवन:**
लाला रोशन लाल गर्ग का जन्म 10 जून 1940 को रामां मंडी (पंजाब) में हुआ। उनके पिता संत राम गर्ग और माता मनोहारी देवी थीं। वहीं, सावित्री देवी का जन्म 10 जनवरी 1941 को बठिंडा (पंजाब) में श्री दुर्गा दास गोयल और श्रीमती शान्ति देवी के घर हुआ था। दोनों का मिलन परमपिता परमात्मा की असीम अनुकम्पा से हुआ और 28 अप्रैल 1964 को वे विवाह बंधन में बंध गए।
**डबवाली में जीवन और सेवा:**
लाला रोशन लाल गर्ग लगभग पांच दशक पहले मंडी डबवाली आए और यहीं बस गए। उन्होंने अपनी ईमानदार और सरल कार्यप्रणाली से धार्मिक और सामाजिक क्षेत्र में विशेष स्थान बनाया। उन्होंने सनातन धर्म के साथ-साथ जैन धर्म को भी अपनाया और जैन संतों के उपदेशों को अपने जीवन में आत्मसात किया। श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सभा डबवाली के वरिष्ठ श्रावक और संरक्षक रहे।
**सफल गृहस्थ जीवन:**
लाला रोशन लाल गर्ग और सावित्री देवी के तीन बेटे अशोक गर्ग, नरेश गर्ग और दीपक गर्ग हैं, जबकि तीन बेटियां सरोज, ऊषा और पिंकी हैं। बड़े बेटी सरोज और दामाद सुशील कुमार के आकस्मिक निधन के बाद उन्होंने उनकी दोनों बेटियों का पालन-पोषण किया। माता-पिता की प्रेरणा से बेटे समाजसेवा में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं।
**माता-पिता की प्रेरणा:**
लाला जी और सावित्री देवी ने सनातन धर्म और जैन धर्म के अनुसार अपने जीवन का निर्वहन किया और अपने बच्चों को भी इस मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। लाला जी युवाओं के लिए एक प्रेरणास्त्रोत थे। 80 वर्ष की आयु में भी वे तेज-तेज कदमों से पैदल चलना पसंद करते थे और ऐनक का उपयोग नहीं करते थे। वे प्रतिदिन अखबार और साहित्य पढ़ते थे।
**गर्ग परिवार का योगदान:**
डबवाली शहर में लाला रोशन लाल गर्ग का संयुक्त परिवार गौसेवा, समाजसेवा और अन्य सामाजिक कार्यों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। अपने माता-पिता की याद में उन्होंने 'सावित्री-रोशन लाल गर्ग चैरिटेबल ट्रस्ट' का गठन किया है, जो जरूरतमंद और असहाय लोगों की सेवा कर रहा है।
**धार्मिक श्रद्धांजलि:**
जैन धर्म तेरापंथ धर्म संघ के 11वें अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण और साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा था कि मृत्यु का होना निश्चित है, लेकिन कब होनी है, यह अनिश्चित है। कोरोना संक्रमित होने पर दोनों श्रावकों का अकस्मात जाना बेहद दुखद है। हम नियति की विडंबना के आगे विवश हैं। दिवंगत आत्माओं के भावी आध्यात्मिक विकास की मंगल कामना के साथ हम अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके दिखाए धर्म के मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।
**स्मृति में ट्रस्ट का गठन:**
दिवंगत श्रीमती सावित्री देवी गर्ग और श्री रोशन लाल गर्ग की स्मृति में उनके बेटों ने 'सावित्री रोशन लाल गर्ग चैरिटेबल ट्रस्ट' का गठन किया है। इस ट्रस्ट के तहत मानवता की भलाई के कार्य किए जा रहे हैं। अशोक गर्ग, नरेश गर्ग और दीपक गर्ग ने बताया कि वे जरुरतमंद और बेसहारा लोगों के जीवन में खुशी के पल भरने का प्रयास कर रहे हैं। दीपक गर्ग पिछले तीन दशकों से सहारा जनसेवा डबवाली के बैनर तले भी रक्तदान और अन्य सामाजिक कार्यों में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
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