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शरीर ही नहीं मन को भी दुरुस्त करता है योग: आचार्य रमेश सचदेवा

योग कोई दाएं-बाएं मुड़ना अथवा ऊपर-नीचे उछल-कूद करना नहीं है बल्कि कुछ देर ठहर कर आसन और प्राणायाम के द्वारा शरीर के अंदर ठहराव लाकर शरीर को तरोताजा करना है।हर किसी को आज कहीं-ना-कहीं जल्दी पहुंचने की एक ऐसी लालसा लगी हुई है, किसी को करोड़पति बनना है, तो किसी को नेता बनकर राज करना है, किसी को अंको की दौड़ में अव्वल आना अथवा किसी को लाना है, तो किसी को कुछ। सब इसी दौड़ के कारण न तो अपने मोबाइल को स्थिर देख सकते है क्योंकि सब-के-सब एक संदेश से दूसरे, एक ऐप से दूसरे एप और ना ही एक स्थान पर टिक कर बैठे नज़र आते हैं, सब दौड़ते नजर आते है। आज सबको यदि कोई बड़ी चिंता है तो वह केवल यही है कि बैटरी खत्म ना हो जाए। बस हर वक्त रिचार्ज करने के लिए चार्जर ढूंढते नज़र आते हैं अथवा बिजली के पॉइंट को, जहाँ वे चार्जर लगा सकें।

ऐशो आराम की जिंदगी के अनेकों साधन जुटाने के बावजूद भी हर गतिशील शख्स परेशान है। अपनी हर परेशानी का हल व्यक्ति या दूसरे से अपेक्षा करता है अथवा पुन: भौतिक साधनों से ही प्राप्त करना चाहता है जो उसे नहीं मिलते।

इसके कारणों को जानने के लिए तथा निवारण के बारे में एक पौराणिक कथा है, जिसमें डाकू अंगुलिमाल को 108 उंगलियों की माला बनाने का लक्ष्य पूरा करना था। जिसके लिए वह बहुत ही जल्दबाजी में था। उसके मार्ग से एक दिन गौतम बुद्ध गुजर रहे थे तो उसने गौतम बुद्ध से कहा ठहर जाओ। बुद्ध कहते हैं मैं तो ठहरा हुआ हूँ, “तुम कब ठहरोगे”?

इस बात से हम समझ सकते हैं कि हाल ठहराव ही है और जिसने आसन, प्राणायाम या ध्यान से अदम्य शक्ति हासिल कर रखी हो उसे किसी भी तरह का भय नहीं लगता। यह सब हमारे अंदर का ठहराव ही है और यही योग कहलाता है जोकि सभी समस्याओं की रामबाण औषधि है। योगासन वही होता है जिसमें थोड़ा हलचल होती है और फिर थोड़ा ठहराव होता है।

परंतु आज हम ठहराव से बहुत तो दूर हैं यह जानते हुए कि ठहराव कैसा भी हो वह हमें सुख ही देता है भौतिक युग में आज का युवा इसे प्राप्त करने के लिए जिम जाता है, रनिंग करता है, हेवी एक्सरसाइज़ करता है और उसे लगता है कि वह खुद को रिचार्ज कर रहा है। परंतु वास्तव में वे अपनी बैटरी को खर्च करके आते हैं।

ऐसे में एक योग ही है जो हमें रिचार्ज करता है, हमें ऊर्जावान बनाता है। योग के सभी अंग चाहे आसन हो, प्राणायाम हो, ध्यान हो, योग विश्राम हो, एकाग्रता हो, सब-के-सब हमारे तन-मन के तनाव को कम करते हैं। ऑक्सीजन की आपूर्ति को बढ़ाते हैं और इससे हम कहीं खुद को ज्यादा तरो-ताजा अनुभव करते हैं और ऊर्जावान बन जाते हैं।

हमने अक्सर नोट भी किया होगा कि हम जब सो करके उठते हैं तो हम स्वयं को तरो-ताजा ही अनुभव करते हैं क्योंकि रात भर हम ठहरे हुए होते हैं। हर कोई हर वक्त तरो-ताजा ही नजर आना चाहता है और इसके लिए वह हर वक्त सो करके, तरो ताजा हो जाए, ऐसा कतई संभव नहीं। इसके लिए जरूरत है हमें ऐसी विधाओं की जिसे हम योग साधना कहते हैं। जिसमें हम कई प्रकार के आसन तथा प्राणायाम करके, और तरो-ताजा हो जाते हैं।

इस विश्व योग दिवस पर हमको यही समझना है कि योग कोई दाएं-बाएं मुड़ना अथवा ऊपर-नीचे उछल-कूद करना नहीं है बल्कि कुछ देर ठहर कर आसन करने और प्राणायाम के द्वारा शरीर के अंदर ठहराव लाकर शरीर को तरोताजा करना है। और जब शरीर तरोताजा होता है हम गौतम बुद्ध की तरह ही अंगुली कटवाने से बच जाते हैं क्योंकि हमारे अंदर का ठहराव हमें आत्मबल देता है और साहस प्रदान करता है।

शरीर में ऊर्जा का केंद्र बिंदु सात चक्रों को माना जाता है। इसी से जीवन ऊर्जा प्रभावित होती है। जब ये चक्र संतुलन में होते हैं तो जीवन ऊर्जा उनके माध्यम से आगे बढ़ाने और आसपास की दुनिया से जोड़ने में सक्षम होती है। इन्हें सूक्ष्म ऊर्जा प्रदान करने वाला भी माना जाता है, जोकि अंगों, मन और बुद्धि को सर्वोत्तम स्तर पर काम करने में मदद करता है। ये मूलाचक्र है, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपूरक चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्धि चक्र, आज्ञा चक्र और सहस्रार चक्र।

आज के इस तनाव के युग में हर कोई ठहराव को ढूंढ रहा है जो कि उसके अंदर है और उसने स्वयं ही अभ्यास कर उसे और बढ़ाना है और तनाव से मुक्ति प्राप्त करनी है।

क्योंकि आज व्यक्ति जिस प्रकार मदमस्त होकर न जाने कितने अनर्थ करता आ रहा ही है। उसके लिए अपने मन को अथवा अपने श्वासों की गति नियंत्रित अथवा स्थिर करना ही योग है। आइए, इस अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर हम सब हमारी प्राचीन परंपरा योग साधन को समझें और योग साधना के द्वारा अपने आप को तरोताजा रखें व जीवन को तनावमुक्त व भयमुक्त करें।

लेखक

आचार्य रमेश सचदेवा

मोटिवेशनल स्पीकर एवं पेरेंटिंग कोच

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