कुसंग वाला व्यक्ति कभी सत्संग में नहीं आ सकता: स्वामी किशन जी महाराज
राम कथा एवं दुर्लभ सत्संग के दूसरे दिन स्वामी आनंद जी महाराज ने हरे राम-हरे कृष्ण का उद्घोष करते हुए प्रभात फेरी निकाली

डबवाली-गांव सकता खेड़ा में चल रही रामकथा एवं दुर्लभ सत्संग के दूसरे दिन की कथा में पूज्य संत स्वामी आनंद जी महाराज ने अलसुबह गीता जी के श्लोक सुनाने के बाद गांव में हरे राम-हरे कृष्ण का उद्घोष करते हुए प्रभात फेरी निकाली।दोपहर को स्वामी किशन जी महाराज ने कथा में बताया कि हर किसी को भगवान समझो तो लडाई झगड़ा होगा ही नहीं और सुखपूर्वक जीवन जी सकते हो। जब माता-पिता, दादा-दादी, भाई-बहन, बेटा-बेटी अथवा पडोसी सामने दिखे तो समझो कि ये भगवान का रूप हैं क्योंकि भगवान को हम भला बुरा कह ही नही सकते हैं तो लडाई झगड़ा होगा ही नहीं। सामने पेड़ पौधे पशु पक्षी दिखे तो उन्हें भी भगवान का रुप समझो क्योंकि जब हम इन सबको भगवान समझेंगे तो पेड़ पौधों को काटेगे नहीं, पशु पक्षियों को मारेगें नहीं तो अपने आप किसी प्रकार का विवाद नहीं होगा। अपने सामने सभी जीवित चीजों को भगवान का रुप समझेंगे तो कभी लडाई झगड़ा नहीं होगा व अपने आप को सुकून मिलेगा कि हम कितना सुखपूर्वक जीवन जी रहे हैं। वैसे भी अनेक संतों ने भी शिक्षा दी है कि पेड़ों को नहीं काटना चाहिए जीव को नहीं मारना चाहिए, उन्हें भी धरती पर रहने का अधिकार है।
स्वामी किशन जी महाराज ने समझाया कि बिश्नोई धर्म प्रवर्तक श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान ने करीब पौने छह सौ वर्ष पहले नियम धर्म में बता दिया था कि हरे वृक्षों को नहीं काटना चाहिए, इनसे हमें प्राणवायु मिलती है। उन्होंने मनुष्य जीवन पर एक भजन सुनाया कि हे मनुष्य समय रहते सचेत हो जा नहीं तो वह दिन तो एक दिन आएगा जब इस दुनिया से जाना पडेगा। सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी तब न सोना और न चांदी काम आएगी। इसलिए हरि भजन करो, राम का नाम लो, वही भव सागर से पार लगाएंगे। कुसंगति के दुष्परिणामो के बारे में बताया कि कुसंग वाला व्यक्ति कभी सत्संग में नहीं आ सकता है । इसलिए हमेशा अच्छा संग करो जिससे सदैव अच्छे रास्ते पर जाओगे। सतसंग में जाना भी अच्छे रास्ते पर जाना है जो भवसागर से पार उतार सकता है। उन्होंने कलयुग केवल नाम अधारा, सुमर सुमर भव उतरे पारा दोहा सुनाते हुए कहा कि राम नाम की महिमा बड़ी विलक्षण महिमा है। मीराबाई का उदाहरण देते हुए बताया कि मीराबाई ने सब कुछ छोड़कर राम के नाम को बड़ा माना। मीराबाई का भजन पायो जी मैने राम रत्न धन पायो भी सुनाया। इसी के साथ नागौर के पास स्थित गांव माझीवास की फुलीबाई का उदाहरण देते हुए कहा कि जब भगवान के लड़ लग जाए तो सब चीजों में राम नाम हो जाता है जैसे फुलीबाई उपले बनाते समय राम राम करती रहती थी तो उपलों में राम नाम हो गया। किसी ने कहा कि उपले बनाते समय राम-राम बोलने से क्या होगा तो उसने एक उपला कान के लगाने को कहा जिसमें से राम राम शब्द सुनाई दे रहा था। इसलिए अगर भवसागर से पार होना है तो चलते फिरते उठते बैठते राम का नाम लेते रहना चाहिए। स्वामी किशन जी ने बताया कि भगवान शिव की विवाह कथा भी सुनाई जाएगी।
बिश्नोई सभा डबवाली के सचिव इन्द्रजीत बिश्नोई ने बताया कि इससे पहले पतित पावनी मां गंगा जी के तट ऋषिकेश से पधारे शिरोमणि संत स्वामी रामसुखदास जी के शिष्य संतों का स्वागत किया गया। इस मौके पर हिसार से दीपेन्द्र, डिंग मण्डी से विकास अग्रवाल, फतेहाबाद से बहादुर राम, निर्मला देवी, सूरतगढ से कुंभा राम, डबवाली से बिश्नोई सभा डबवाली के पुजारी कपिल देव, जम्भेश्वर दुग्ध डेयरी डबवाली से सुशील भादू, देवीलाल धारणियां, ओमप्रकाश रोहज, आसाखेडा से रिटायर्ड अध्यापक जयद्रथ पूनिया के अलावा वेदप्रकाश रोहज, संतोष धारणिया, सतपाल रोहज, राम रत्न धारणिया, गजेंद्र कुमार धारणिया, राज सिंह मान, वीरा सिह दंदीवाल, रविन्द्र कुमार धारणिया, शिवकुमार धारणिया, पाला राम धारणिया, शालू धारणिया, लक्ष्मण प्रजापत, शोभित खीचड़, पिरथी सिंवर, मनीष कुमार मांजू, साहिल धारणिया, विनीत सिहाग, राम सिंह खीचड़, बुर्ज भंगू, सिरसा से मयंक बेनिवाल, विष्णु दत पूनिया, रामलाल मेघवाल आदि भारी संख्या में महिलाएं पहुंची। बहन रामकला बिश्नोई ने गांव व बाहर से आए भक्तजनों का आभार जताया।
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