नशे के कहर से कांपता पंजाब का सीमावर्ती गांव फुल्लो
Dabwali News
फुल्लो गांव, जो पंजाब की सीमा पर स्थित है, इन दिनों नशे के कहर से कांप रहा है। चट्ठा रोड पर स्थित एक धर्मशाला में 20 वर्षीय युवक का शव बरामद हुआ, जो पिछले करीब दो वर्षों से चिट्टे का नशा कर रहा था। यह गांव पंजाब सीमा से मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और डबवाली तथा कालांवाली से 18 से 20 किलोमीटर की दूरी पर है।
ग्रामीणों का कहना है कि पिछले दो वर्षों में नशे के कारण 10 से ज्यादा युवाओं की मौत हो चुकी है। नशा कहां से आता है, कौन बेचता है, यह किसी को नहीं पता, लेकिन सभी इस बात से सहमत हैं कि इन मौतों के पीछे चिट्टा का नशा ही है। मृतक के चाचा अंग्रेज सिंह और भाई जश्न ने बताया कि लवप्रीत 29 जून को घर से निकला था और 30 जून को उसका शव धर्मशाला में बने कमरों के पीछे पड़ा मिला। शव से सड़ांध आने लगी थी।
पोस्टमार्टम के लिए शव को डबवाली के उपमंडल नागरिक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां की हालत देखकर चिकित्सक ने उसे सिरसा रेफर कर दिया। सोमवार को सिरसा के सामान्य अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम हुआ। अंग्रेज सिंह के अनुसार, उनका भतीजा चिट्टा का इंजेक्शन लगाता था और यह लत उसे एक जमींदार के साथ रहने के दौरान लगी थी। उन्होंने उसका उपचार करवाने का भी प्रयास किया था, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ।
गांव के पूर्व सरपंच गुरसाहब सिंह ने बताया कि पिछले दो वर्षों में नशे के कारण 10 से 12 युवाओं की मौत हो चुकी है। गांव में नशा करने वाले युवक हैं और कई मेडिकल स्टोर भी हैं। इनकी जांच होनी चाहिए। सरपंच प्रतिनिधि कुलदीप सिंह का कहना है कि नशे की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।
हाल के मामलों पर एक नजर
लोहगढ़ गांव में 15 जून को एक युवक का शव जर्जर मस्जिद में मिला था, जोकि नशा करने का आदी था। गांव गंगा में भी नशे के कारण 20 वर्षीय युवक की मौत हुई थी। 23 जून को डबवाली शहर के रविदास नगर में एक युवक ने नशे का इंजेक्शन लगाया, जिससे उसकी मौत हो गई। यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है जब हम देखते हैं कि डबवाली और आसपास के इलाके में चिट्टा और नशे में प्रयोग होने वाली दवाइयां आसानी से बिक रही हैं।
डबवाली को नशे की रोकथाम के लिए ही पुलिस जिला बनाया गया था, लेकिन एक वर्ष में कोई सुधार नहीं हुआ। नशे का यह कहर अब एक गंभीर सामाजिक मुद्दा बन चुका है, जिससे निपटने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
फुल्लो गांव, जो पंजाब की सीमा पर स्थित है, इन दिनों नशे के कहर से कांप रहा है। चट्ठा रोड पर स्थित एक धर्मशाला में 20 वर्षीय युवक का शव बरामद हुआ, जो पिछले करीब दो वर्षों से चिट्टे का नशा कर रहा था। यह गांव पंजाब सीमा से मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और डबवाली तथा कालांवाली से 18 से 20 किलोमीटर की दूरी पर है।
ग्रामीणों का कहना है कि पिछले दो वर्षों में नशे के कारण 10 से ज्यादा युवाओं की मौत हो चुकी है। नशा कहां से आता है, कौन बेचता है, यह किसी को नहीं पता, लेकिन सभी इस बात से सहमत हैं कि इन मौतों के पीछे चिट्टा का नशा ही है। मृतक के चाचा अंग्रेज सिंह और भाई जश्न ने बताया कि लवप्रीत 29 जून को घर से निकला था और 30 जून को उसका शव धर्मशाला में बने कमरों के पीछे पड़ा मिला। शव से सड़ांध आने लगी थी।
पोस्टमार्टम के लिए शव को डबवाली के उपमंडल नागरिक अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां की हालत देखकर चिकित्सक ने उसे सिरसा रेफर कर दिया। सोमवार को सिरसा के सामान्य अस्पताल में शव का पोस्टमार्टम हुआ। अंग्रेज सिंह के अनुसार, उनका भतीजा चिट्टा का इंजेक्शन लगाता था और यह लत उसे एक जमींदार के साथ रहने के दौरान लगी थी। उन्होंने उसका उपचार करवाने का भी प्रयास किया था, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ।
गांव के पूर्व सरपंच गुरसाहब सिंह ने बताया कि पिछले दो वर्षों में नशे के कारण 10 से 12 युवाओं की मौत हो चुकी है। गांव में नशा करने वाले युवक हैं और कई मेडिकल स्टोर भी हैं। इनकी जांच होनी चाहिए। सरपंच प्रतिनिधि कुलदीप सिंह का कहना है कि नशे की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।
हाल के मामलों पर एक नजर
लोहगढ़ गांव में 15 जून को एक युवक का शव जर्जर मस्जिद में मिला था, जोकि नशा करने का आदी था। गांव गंगा में भी नशे के कारण 20 वर्षीय युवक की मौत हुई थी। 23 जून को डबवाली शहर के रविदास नगर में एक युवक ने नशे का इंजेक्शन लगाया, जिससे उसकी मौत हो गई। यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है जब हम देखते हैं कि डबवाली और आसपास के इलाके में चिट्टा और नशे में प्रयोग होने वाली दवाइयां आसानी से बिक रही हैं।
डबवाली को नशे की रोकथाम के लिए ही पुलिस जिला बनाया गया था, लेकिन एक वर्ष में कोई सुधार नहीं हुआ। नशे का यह कहर अब एक गंभीर सामाजिक मुद्दा बन चुका है, जिससे निपटने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है।
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