माडल संस्कृति स्कूलों के विद्यार्थियों की सीबीएसई बोर्ड परीक्षा इत्यादि फीसें सरकार स्वयं भरे: अमरनाथ बागड़ी
हरियाणा के माडल संस्कृति स्कूलों में सभी प्रकार की फीसें माफ करवाने के लिए अंबेडकर जन-जागृति मंच मंडी डबवाली ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र।

डबवाली
डा. बी. आर. अंबेडकर जन-जागृति मंच मंडी डबवाली ने प्रधानमंत्री व अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग, भारत सरकार को पत्र लिखकर हरियाणा के माडल संस्कृति स्कूलों में पढ़ने वाले एससी-एसटी , ओबीसी व अन्य गरीब विद्यार्थियों की सभी प्रकार की फीसें माफ करने की मांग की है। यह जानकारी देते हुए डा. बी. आर. अंबेडकर जनजागृति मंच मंडी डबवाली के प्रधान कृष्ण कायत व उपप्रधान अमरनाथ बागड़ी ने बताया कि मंडी डबवाली में लड़कों की पढ़ाई के लिए एकमात्र सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल जो कि हरियाणा बोर्ड से संबंधित था । लगभग 3 वर्ष पहले हरियाणा सरकार ने इस एकमात्र सरकारी स्कूल का नाम बदलकर मॉडल संस्कृति स्कूल कर दिया व इसे सीबीएसई बोर्ड से संबंधित करवा दिया।
उन्होंने बताया कि मॉडल संस्कृति स्कूल के नाम पर इस सरकारी स्कूल में बच्चों से दाखिला फीस व ट्यूशन फीस इत्यादि ली जाने लगी हैं और इसमें अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग के लिए भी फीस में किसी प्रकार की कोई छूट नहीं है। 180000 से कम इनकम सर्टिफिकेट वालों को भी केवल ट्यूशन फीस में छूट दी गई है। गौरतलब है कि मंडी डबवाली पंजाब और हरियाणा राज्य की सीमा पर बसा हुआ शहर है । पंजाब क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बच्चे भी इसी स्कूल में पढ़ने के लिए आते हैं जो कि अति गरीब होने के बावजूद भी हरियाणा राज्य का आय प्रमाण-पत्र नहीं बन पाता है । इसके अलावा हरियाणा क्षेत्र के कई निवासियों की फैमिली आईडी इत्यादि में त्रुटियां होने के कारण भी बहुत से गरीब आय प्रमाण पत्र नहीं बनवा पाए हैं और उन्हें भी महंगी फीसें देने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जो माता-पिता इतनी महंगी ट्यूशन इत्यादि फीसें नहीं भर पाते हैं उनके बच्चे पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं क्योंकि शहर में अन्य कोई सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल नहीं है ।
उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त सीबीएसई बोर्ड द्वारा सभी विद्यार्थियों से अन्य प्रकार के कार्यों हेतु भी भारी भरकम फीसें वसूल की जाती हैं और इनमें अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को भी किसी प्रकार की छूट नहीं दी जाती। इस कारण दिन-प्रतिदिन माडल संस्कृति स्कूलों से गरीब विद्यार्थियों का पलायन होता रहता है और ये विद्यार्थी शिक्षा से वंचित होते जा रहे हैं। हमारे शहर के इस सरकारी स्कूल में कभी दो हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ाई करते थे लेकिन महंगी फीसें लागू करने से अब शायद एक हजार बच्चे ही मुश्किल से बचे होंगे। हरियाणा के इन मॉडल सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों से दसवीं/बारहवीं सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा के नाम पर भी 2100 रूपए या उससे ज्यादा तक की वसूली की जा रही है। अन्य स्कूलों से बोर्ड परीक्षा वाली कक्षा में दाखिला लेने के लिए सीबीएसई द्वारा पांच हजार रुपए प्रति छात्र अतिरिक्त फीस वसूल की जाती है । वहीं बोर्ड परीक्षा में फेल विद्यार्थी अगर दुबारा स्कूल में दाखिला लेना चाहता है तो उससे भी पांच हजार रुपए ज्यादा फीस वसूल की जाती है और इन फीसों में एससी-एसटी , ओबीसी या अन्य किसी वर्ग के लिए भी कोई छूट नहीं है। जो माता-पिता अपने बच्चों की ये सीबीएसई बोर्ड परीक्षा इत्यादि वाली फीसें भरने में असमर्थ होते हैं उनके बच्चे स्कूल छोड़ जाते हैं और आगे की शिक्षा से वंचित रह जाते हैं क्योंकि इस शहर के एकमात्र लड़कों के सरकारी स्कूल को माडल संस्कृति नाम देकर फीसें लागू कर निम्न वर्ग को सार्वजनिक शिक्षा से वंचित कर दिया गया है।
उन्होंने डा. बी. आर. अंबेडकर जन-जागृति मंच, मंडी डबवाली की ओर से मांग उठाई है कि माडल संस्कृति बने सरकारी स्कूलों के अनुसूचित जाति/जनजाति सहित सभी विद्यार्थियों की सीबीएसई बोर्ड परीक्षा फीसें माफ की जाएं और अगर सीबीएसई बोर्ड इन फीसों को माफ नहीं कर सकता है तो माडल संस्कृति स्कूलों में पढ़ने वाले एससी-एसटी व अन्य गरीब विद्यार्थियों की फीसें हरियाणा सरकार द्वारा भरी जाएं और विद्यार्थियों से किसी प्रकार की फीस वसूल न की जाए ताकि सभी विद्यार्थी अपनी पढ़ाई जारी रख सकें और गरीब अभिभावकों को आर्थिक बोझ न उठाना पड़े ।
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