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अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार के समापन दिवस पर जाम्भाणी दर्शन अनुसार पर्यावरण संरक्षण के विषय पर हुई चर्चा,बिश्नोई सभा डबवाली की टीम ने शहीद माता अमृता देवी बिश्नोई शहीद स्थल खेजड़ली पहुंच कर नमन किया
डबवाली-गुरु जम्भेश्वर पर्यावरण कंजरवेसन रिसर्च चेयर, जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी जोधपुर व जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर द्वारा 'संसाधनो के प्रबंधन में मितव्ययता, पुन: उपयोग एवं पुन: चक्रण द्वारा जाम्भाणी दर्शन अनुसार पर्यावरण' विषय पर जोधुपर में आयोजित अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार के समापन दिवस के पहले सत्र में देश की राजधानी दिल्ली से पधारे इंजीनियर आर के बिश्नोई ने कचरे पर बोलते हुए कहा कि 84 लाख योनियो के प्राणीयों में सबसे ज्यादा दिमाग वाला प्राणी मनुष्य ही पर्यावरण को सबसे ज्यादा प्रदूषित करता है जबकि मनुष्य को स्वच्छता रखनी चाहिए।
कोई भी जीव देख लो, जंगलो में, समुंद्र में, पहाडों में कहीं भी कचरा नहीं होता है। मनुष्य जहां रहता है वहां कचरे के पहाड़ बन जाते हैं। दिल्ली के चारों तरफ देखे तो कचरे के पहाड़ बने हुए हैं। यह कचरा प्रदूषण फैलाता है, पर्यावरण प्रदूषित करता है, अगर उस कचरे का मनुष्य साथ की साथ निपटारा करे तो यह कचरे के पहाड़ बने ही नहीं और कचरे वाली जमीन का सदुपयोग हो सके। धरती को हम माता कहते हैं लेकिन धरती को हम माता मानते नहीं है, अगर हम धरती को माता माने तो कचरा ओर प्रदूषण फैलाये ही नहीं, धरती माता को गंदा करे ही नहीं। गुरु जम्भेश्वर भगवान कहते हैं मोरे धरती ध्यान वनस्पति वासो यानि गुरु जम्भेश्वर भगवान कहते हैं मेरा हमेशा ध्यान धरती, वनस्पति , पेड़ पशु पक्षी की ओर है इनकी छेड़छाड़ न हो। इनके बिना, पर्यावरण सन्तुलन के बिना मनुष्य जीवन मुश्किल है, इसलिए मेरा ध्यान हमेशा इस ओर रहता है। गुरु जाम्भोजी जी ने स्वच्छता पर कहा है -सेरा करो स्नान सुबह उठते ही स्नान करना व साफ सुथरा रहना, केते उभे कांसा मांज्या यानि खड़े खड़े बर्तन साफ करने पर मिट्टी के छीटे अपने पैरो पर पडेगे , अस्वच्छता फैलेगी। इस प्रकार जाम्भाणी दर्शन अनुसार, गुरु जम्भेश्वर भगवान द्वारा बताए नियम अनुसार चल कर हम प्रकृति को सुन्दर, स्वच्छ, प्रदूषण मुक्त बना सकते हैं। पर्यावरण सरक्षण में जीव, जन्तुओं, पक्षियों व पेड़ पौधों का अहम योगदान है। रिसर्च में बताया गया है कि करीर का पेड़ चिम्पा पक्षी के बिना पनपना मुश्किल है इसलिए दोनों का पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान है।
हिसार से पधारे डा कृपा राम बिश्नोई ने अपने पत्र वाचन में बताया कि सृष्टि को बनाने और बचाने के लिए इनको मेनटेन करना जरूरी होता है। जाम्भाणी दर्शन अनुसार गुरु जम्भेश्वर भगवान अपनी वाणी में कहते हैं कि आकाश वायु तेज जल धरणी, तामा सकल सृष्टि को करनी अर्थात गुरु जम्भेश्वर भगवान कहते हैं कि अगर पर्यावरण का सरक्षण करना है, धरती को बचाना तो इन पांच चीजों को मेनटेन रखना होगा, तभी जाकर हम ओर अन्य प्राणी सुखमय जीवन जी सकते हैं। उन्होंने बताया कि 1 सेंटीमीटर धरती की मिट्टी बनाने में 11 हजार वर्ष लगते है व उसको गंवाने में कुछ ही मिनट लगते हैं। उन्होंने कहा किजाम्भाणी दर्शन अनुसार, परम्परा अनुसार बचा सकते हैं। अन्य वक्ताओं ने बताया कि कुछ वर्ष पहले बुजुर्ग आचार विचार की हर चीज का रियूज करते थे जैसे बड़े भाई के कपड़े छोटे भाई बहनों द्वारा पहनना, बड़े भाई की किताबों से छोटे दो तीन भाई बहन पढ़ लेते थे। आज भाई बहन कम हो गये लेकिन उदाहरण के तौर पर कम से कम चीज खरीद कर खरीदी हुई चीज को फैंके नहीं बल्कि उसका रियूज करें ताकि कम से कम कचरा हो। डॉ अनुषिका बिश्नोई ने भी विचार रखे। उन्होंने कहा कि काम के बदले अनाज की मुहिम गुरु जम्भेश्वर भगवान लगभग 500 वर्ष पहले ही चलाई थी उनके समय भयंकर अकाल पड़ा तो उन्होंने लोगों को निठले कामचोर न बना कर तालाब खुदवाकर उन्हें काम के बदले अनाज दिया। उस तालाब में वर्षा का पानी इक_ा होने से लोगों के जीव जन्तुओं के काम आने लगा। जांभाणी दर्शन अनुसार मनुष्य को बहुत सी चीजें को सीखने को मिलता है।
इस मौके पर अकादमी सदस्य एवं बिश्नोई सभा सचिव इन्द्रजीत बिश्नोई ने सत्र के वक्ताओ को पौधा, शाल, स्मृति चिन्ह् देकर सम्मान किया। डबवाली से सभा अध्यक्ष कुलदीप कुमार जादूदा, सदस्य जीत राम पूनिया, इन्द्रजीत खीचड़, परविन्दर कुमार कडवासरा, शिवकुमार खीचड़, सतपाल सीगड, सुशील कुमार खीचड़ सोनू जादूदा आदि ने पूरा कार्यक्रम अटेंड किया।
कार्यक्रम समापन के बाद डबवाली टीम ने शहीद माता अमृता देवी बिश्नोई शहीद स्थल खेजड़ली पहुंच कर नमन किया। विल्हो जी समाधि स्थल, रामडावास, धोरा जाजीवाल आदि दर्शनीय स्थलों के दर्शन किए।
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क्या डबवाली में BJP की इस गलती को नजर अंदाज किया जा सकता है,आखिर प्रशासन ने क्यों नहीं की कार्रवाई
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