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कंगना रनौत के कृषि कानूनों पर बयान से बढ़ी बीजेपी की मुश्किलें, विपक्ष ने साधा निशाना

चंडीगढ़, 24 सितंबर 2024

हरियाणा में विधानसभा चुनावों के बीच बॉलीवुड अभिनेत्री और हिमाचल से सांसद कंगना रनौत ने बीजेपी की चिंताएं बढ़ा दी हैं। उन्होंने तीन कृषि कानूनों को फिर से लागू करने की मांग की है, जो पहले किसान आंदोलन के दबाव में केंद्र सरकार ने वापस ले लिए थे। कंगना ने कहा कि ये कानून किसानों के हित में थे और इन्हें दोबारा लागू किया जाना चाहिए। यह बयान एक बार फिर विवादों का कारण बन गया है।

कंगना के इस बयान के बाद विपक्ष ने तुरंत प्रतिक्रिया दी है। पंजाब में अकाली दल के प्रवक्ता अर्शदीप सिंह कलेर ने कहा कि भाजपा को कंगना को पार्टी से बाहर निकालना चाहिए और उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लागू किया जाना चाहिए।

उधर, भाजपा के सीनियर नेता हरजीत ग्रेवाल ने कहा कि कंगना को पंजाब और किसानों के मुद्दों पर बयानबाज़ी बंद करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि वे इस मामले को पार्टी के उच्च नेतृत्व के सामने रखेंगे।

हरियाणा कांग्रेस ने भी इस पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि कांग्रेस किसानों के साथ है और तीनों काले कानून अब कभी वापस नहीं लाए जाएंगे, चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी कितना भी जोर लगा लें।

कंगना के 2 बड़े बयान:

1. किसानों के हित में कानून वापस लाने की मांग: कंगना ने कहा कि किसानों के लिए जो कानून बनाए गए थे, उन्हें फिर से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि किसान अपनी समृद्धि के लिए इन कानूनों को खुद मांगें ताकि उनके विकास की राह में कोई बाधा न आए।

2. किसानों को बताया देश का 'पिलर ऑफ स्ट्रेंथ': कंगना ने कहा कि किसानों को देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए और ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की तरह किसानों को भी अपने अधिकारों की मांग करनी चाहिए। उन्होंने अपील की कि जो राज्य इन कानूनों का विरोध कर रहे थे, वे अब इनका समर्थन करें।

कंगना के पुराने विवादित बयान:

यह पहली बार नहीं है जब कंगना किसानों को लेकर विवादों में आई हैं। पिछले महीने भी उन्होंने कहा था कि किसान आंदोलन के दौरान पंजाब में उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे और अगर सरकार ने बिल वापस नहीं लिया होता तो आंदोलन और भी खतरनाक हो सकता था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि आंदोलन के दौरान रेप और मर्डर जैसी घटनाएं हुई थीं। इस बयान पर भी विपक्ष और किसानों ने कंगना को घेर लिया था, और भाजपा ने खुद को उनके बयान से दूर कर लिया था।

कृषि कानूनों का इतिहास:

5 जून 2020 को केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को अध्यादेश के माध्यम से लागू किया था, जिनके खिलाफ किसानों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के किसान इन कानूनों का विरोध करते हुए दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहे। लंबे विरोध और 11 दौर की वार्ता के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला और आखिरकार, 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया।

इसके बाद, 29 नवंबर को संसद में बिना किसी चर्चा के इन कानूनों को ध्वनिमत से रद्द कर दिया गया। 11 दिसंबर 2021 को किसानों ने अपना आंदोलन समाप्त कर दिल्ली बॉर्डर पर विजय दिवस मनाया।

कंगना के ताजा बयान से एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है, खासकर जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं।

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